गुप्त नवरात्रि कब है 2024, गुप्त नवरात्रि का रहस्य

2024 माघ माह में भी होती है एक नवरात्रि, जिसे गुप्त नवरात्रि कहते है तो आईए जानते है क्या है गुप्त नवरात्रि ? इसका पूजन, मुहूर्त समय और महत्व ? इसका प्रचलन कैसे हुआ ? गुप्त नवरात्रि में हर मनोकामना सिद्धि के लिए क्या-क्या महा उपाय किए जा सकते है ?

क्या है गुप्त नवरात्रि

“देवी भागवत” की कथा के अनुसार – माता दुर्गा की उपासना के लिए नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि दो प्रकार की होती है पहली ‘प्रकट नवरात्रि’, दूसरी ‘गुप्त नवरात्रि ‘। दोनों प्रकार की नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है। इस तरह पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि मनाने का विधान है।

लेकिन सनातन धर्म ग्रंथो के अनुसार प्रकट नवरात्रि में मां दुर्गा की सार्वजनिक रूप से पूजा अर्चना की जाती है जबकि गुप्त नवरात्रि में मां काली और 10 महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से की जाती है। इस नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा पूरे 9 दिन तक सच्ची भक्ति भावना के साथ की जाती है।

देवी मां के आशीर्वाद की महिमा इतनी होती है कि भक्त के हर संकट विपदा का नाश हो जाता है। साधक, माघ माह की नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की गुप्त रूप से साधना कर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है। कहा जाता है कि इस व्रत में इतनी शक्ति है कि देवी भगवती ने प्रभु श्री राम जी को भी यह कथा सुनाई थी। श्री राम जी ने इस व्रत के पुण्य से अपार शक्ति प्राप्त की थी, जिसके फलस्वरूप ही प्रभु श्री राम ने, ‘दशानन रावण’ से युद्ध करके न सिर्फ उसे परास्त किया बल्कि बंधु-बांधवों सहित उसका वध कर दिया।

गुप्त नवरात्रि कब है 2024

सनातन धर्म के अनुसार मां दुर्गा की उपासना का पर्व फरवरी में भी पड़ता है जो “माघ गुप्त नवरात्रि” के नाम से जाना जाता है। माघ माह में पड़ने के कारण ही इसे कहीं-कहीं “मांगू नवरात्रि” भी कहते है | हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से नवमी तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष माघ माह की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी शनिवार से प्रारंभ होगी और इसका समापन 18 फरवरी रविवार को होगा। यह नवरात्रि पूरे 9 दिन तक मनाई जाएगी।

इस बार गुप्त नवरात्रि मे घट स्थापना का शुभ दिन और  मुहूर्त

घट स्थापना का दिन – 10 फरवरी शनिवार।
सुबह घट स्थापना का शुभ मुहूर्त – प्रात 8:45 मिनट से लेकर 10:10 तक कुल अवधि 1 घंटा 25 मिनट की रहेगी ।
अविजित मुहूर्त – घट स्थापना का दोपहर का शुभ मुहूर्त – दोपहर 12:13 से लेकर 12:58 तक, कुल अवधि 44 मिनट तक रहेगी।
पूजन सामग्री – नारियल, आम का पत्ता ,चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, सिंदूर, कुमकुम, कपूर (कपूर के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है) , पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फल, मिठाई और श्रृंगार के समस्त सामान – चूड़ी, बिंदी, काजल, महावर(आलता), वस्त्र, इत्र इत्यादि।

माघ माह की गुप्त नवरात्रि की पूजन  विधि

गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन साधक सूर्योदय के समय उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र को धारण करें, और हो सके तो हरे रंग के कपड़े को ही पहने। इसके बाद पूजा स्थल को साफ सुथरा करें। पूजा घर के पूर्वोत्तर कोने में चौकी पर या मंदिर में ही स्वच्छ आसान बिछाकर माता की तस्वीर को स्थापित करें।

इसके पश्चात गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों के लिए कलश स्थापना करे। माता दुर्गा की तस्वीर को हरे रंग के वस्त्र पहनाकर पुष्प, धूप और दीप से पूजा अर्चना करें। भक्ति भाव से माता दुर्गा को चुनरी, शृंगार का सामान और वस्त्र भी अर्पित कर सकते है। इसके बाद मंत्रों का जाप भी करे।

गुप्त नवरात्रि का रहस्य

गुप्त नवरात्रि में दुर्गा मां की पूजा करते समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के साथ, मां दुर्गा की सुबह और शाम की आरती अवश्य करें । गुप्त नवरात्रि में दुर्गा माता को सुबह-शाम की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाए, लेकिन भूल कर भी दुर्गा मां की पूजा में (आक) मदार, दूर्वा और तुलसी पत्ते का इस्तेमाल नहीं करें।

माघ माह की गुप्त नवरात्रि में पूजा के समय 108 बार दुर्गा मां के मंत्रों का जाप अवश्य करें। क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से मां का आशीर्वाद और कृपा हमेशा-हमेशा के लिए अपने भक्तजनों पर बनी रहती है।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि की पूजा में तांत्रिक साधना और अघोरी तंत्र-मंत्र की सिद्धि को पाने के लिए गुप्त रूप से साधना की की जाती है किंतु सामान्य व्यक्ति भी गुप्त रूप से दुर्गा मां की उपासना करके अपने जीवन में आए हुए,समस्त संकटों ,बीमारियों को समाप्त कर सकता है।

इसमें गोपनीय संकल्प भी पूरे हो सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि के पूजा व्रत अनुष्ठान को हमेशा ही गुप्त रखना चाहिए। इस पूजा के विषय में आपने क्या संकल्प लिया है, आपने क्या प्रण लिया है ,आप किस कारण से, इस व्रत को पूरा कर रहे है, आदि किसी को भी नहीं बताना चाहिए। आप जितना अधिक इसको गुप्त रखेंगे, उतनी ही जल्द से जल्द माता रानी आपकी मनोकामना की पूर्ति करती है।

गुप्त नवरात्रि का रहस्य

गुप्त नवरात्रि की महिमा को आम लोगों (गृहस्थ लोगों ) तक ऋषि श्रृंगी ने पहुंचाया था। एक दिन ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों के साथ आश्रम में बैठे धर्म चर्चा कर रहे थे। चर्चा समाप्त होने के पश्चात एक महिला उनके पास आई जो अत्यंत दुख थी। उसने दुखी होकर ऋषि से कहा कि उसका पति बहुत अनीतिपूर्ण कार्य करता है। बार-बार समझाने पर भी उसमें कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है।

इस वजह से घर में कलेश रहता है और पूजा-पाठ भी नहीं हो पा रहा है। कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे शीघ्र ही उनके व्यसन दूर हो जाएं। तब ऋषि शृंगी ने उस महिला को ‘गुप्त नवरात्रि’ की महिमा के बारे बताते हुए दस महाविद्याओं की उपासना करने को कहा और बताया कि यह उपासना शीघ्र फलदायी है, इससे उसे शीघ्र लाभ होगा।

महिला ने विधिवत व्रत-अनुष्ठान किया। परिणामस्वरूप मां ने उसके सभी कष्टों को शीघ्र हर लिया और तभी से गृहस्थ लोगों में भी ‘गुप्त नवरात्रि’ प्रचलित हुई। इस नवरात्रि की साधना को गुप्त रखा जाता है इसलिए इसे ‘गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्रि शीघ्र अतिशीघ्र फल देने वाली नवरात्रि भी मानी जाती है।

गुप्त नवरात्रि में किए जाने वाले महा उपाय

आर्थिक तंगी दूर करने के लिए उपाय

पहले 5 दिन पान के पत्ते पर चंदन से माता का ‘बीज मंत्र’ लिखकर उनके चरणों में समर्पित करें । इस दौरान माता के मुख्य मंत्र, यानी नवार्ण मंत्र का जप करें। फिर 108 बार नवार्ण मंत्र का जप करें।
नवार्ण मंत्र – ‘ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’। तत्पश्चात नवमी के दिन इन सभी पान के पत्तों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख ले। ऐसा करने से आपकी आर्थिक तंगी दूर होती है, धन लाभ होता है। यह चमत्कारिक तौर पर आजमाया गया उपाय है।

बिजनेस और व्यापार में वृद्धि के उपाय

नवरात्रि के नौ दिनों तक पान के पत्तों पर सरसों का तेल लगाकर माता के चरणों में अर्पित करे। 9वें दिन सारे पान के पत्तों को उठाकर उसको अपने सिरहाने के नीचे रख कर सो जाएं । ऐसा करने से व्यापार में लाभ के योग बन जाते है, और तरक्की होने लगती है । जब यह पान का पत्ता सूख जाए तो कुछ दिनों के बाद इसे जल में प्रवाहित कर दे।

ग्रह कलेश दूर करने के उपाय

पान के पत्ते पर केसर रखकर नौ दिनों तक लगातार माता के चरणों में अर्पित करें। इस उपाय द्वारा घर का माहौल सकारात्मक बन जाता है। गृह क्लेश की समस्या स्वतः ही समाप्त हो जाती है ।

गुलाब के फूल का उपाय

नवरात्रि के नौ दिनों तक माता को पान पर गुलाब के फूल रखकर अर्पित करने से वह अत्यंत प्रसन्न हो जाती है और आखिरी दिन इन पत्तों को बहते हुए जल में प्रवाहित करने से माता की कृपा सदा सर्वदा के लिए आपके घर पर बनी रहती है।

गुप्त नवरात्रि के लाल किताब के उपाय

पूजा के समय मां दुर्गा को अर्पित किए गए गोरोचन को नियमित रूप से माथे पर लगाए , ऐसा करने से बुद्धि तेज होती है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा को 6 सुपारी अर्पित करें फिर बाद में किसी सुनसान जगह पर ले जाकर उसे गाड़ दें। इस उपाय से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है ।

भयंकर बीमारी से मुक्ति पाने के लिए उपाय

गुप्त नवरात्रि के समय गरीबों को फल, अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान अवश्य करें। मदार (आक) के फूल से निकले हुई रुई से भी उपाय बताए गए हैं। मदार के रुई को चमेली के तेल में डुबोकर उसका दीप देवी मां के सामने प्रज्वलित करने से मिर्गी रोग में निजात मिलता है तथा घर पर किसी ने जादू टोना और नजर दोष किया हो या किसी स्त्री को संतान प्राप्ति नहीं हो रही तो इन सब प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की उपासना क्यों की जाती हैं ?

कालका पुराण में गुप्त नवरात्रि को लेकर बताया गया है कि इस दौरान भगवान विष्णु शयन काल की (अवधि) अवस्था में होते है और ऐसे में देव शक्तियां कमजोर होने लगती है। इस समय पृथ्वी पर रूद्र, यम, वरुण आदि का प्रभाव बढ़ने लगता है, इन्हीं विपत्तियों से बचाव के लिए ही गुप्त नवरात्रि बनाई गई है जिसमें 10 महाविद्याओं की उपासना का प्रचलन है।

10 महाविद्याओं की 10 देवी मां के नाम इस प्रकार है – माँ काली, माँ तारा देवी, माँ त्रिपुर सुंदरी (माँ षोडशी), माँ भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी , माँ कमला देवी, माँ मातंगी देवी । ये दस महाविद्या दस रुद्रावतारों की शक्तियां मानी जाती है। इनकी पूजा से निम्न फल की प्राप्ति होती है जो इस प्रकार है-

मां काली – मां काली रूद्र अवतार महाकालेश्वर की शक्ति हैं। इनकी साधना से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।
मां तारा – तारकेश्वर रुद्र की शक्ति मां तारा की सबसे पहले उपासना महर्षि वसिष्ठ ने की थी। इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है। इनकी उपासना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां त्रिपुर सुंदरी – षोडेश्वर रुद्रावतार की शक्ति को ‘ललिता’ या ‘राज राजेश्वरी’ भी कहा जाता है। इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां भुवनेश्वरी – ये भुवनेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी साधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मां छिन्नमस्ता – छिन्नमस्तक रुद्र की शक्ति मां छिन्नमस्ता की साधना से सभी चिंताएं दूर होती हैं और समस्त कामनाएं पूरी होती है।
मां त्रिपुर भैरवी – रुद्र भैरवनाथ की शक्ति हैं। इनकी साधना से जीव सब प्रकार के बंधनों से मुक्त हो जाता है।
मां धूमावती – धूमेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी आराधना से सभी संकट दूर होते है। इनकी पूजा विवाहिता नहीं बल्कि विधवा स्त्रियां करती हैं।
मां बगलामुखी – बगलेश्वर रुद्र की शक्ति मां बगलामुखी की साधना से मनुष्यों को भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
मां मातंगी – मतंगेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी उपासना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है।
मां कमला – कमलेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को धन-संतान की प्राप्ति होती है।