तुलसी जी की पूजा के नियम

तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म में हमेशा से पूज्यनीय रहा है और लगभग हर हिन्दू घर में आपको यह गुणों से भरा पौधा दिख जायेगा जिसकी पूजा की गयी होगी। देवी भागवत पुराण में ऐसा वर्णित है कि लक्ष्मी माता का अवतार हैं तुलसी जी और विष्णु भगवान की सहचरी हैं। तुलसी की पत्तियों में बहुत से औषधीय गुण भी मिलते हैं।

आइए, सबको लाभ पहुँचाने वाले इस महान पूज्य्नीय तुलसी जी के पौधे की पूजा के नियमों के बारे में आपको बताते हैं।

तुलसी जी की पूजा कैसे करते हैं?

हम सभी लोग अपने-अपने बचपन से ही अपने घरों में तुलसी के पौधे की पूजा देखते आ रहे हैं और ये सनातन यानी हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। मुख्य रूप से पूजा के लिए तुलसी जी के पत्तों को लगभग हर शुभ कार्य में इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसा माना जाता है, पानी में तुलसी दल यानी तुलसी के पत्ते डाल देने से उस की अपवित्रता समाप्त हो जाती है क्योंकि यह सात्विक तो है ही, साथ में, इसमें एंटी-वाइरल और एंटी-माइक्रोबियल तत्व भी होते हैं, जो बीमारियों से भी सुरक्षित रखते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, तुलसी जी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होती हैं, इसलिए उनको तुलसी जी के पत्ते अर्पित करने से वो भी अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं। विशेषकर कार्तिक के महीने में आप सुबह नहाने के बाद तुलसी जी के 5 पत्ते तोड़ कर, गंगाजल से धो कर मंदिर में संभाल कर रख दें।

जब आप रात को सोने के लिए जाएँ तो भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप को नमन कर के उन पत्तों को अपने पास रख कर सो जाएँ। उन पत्तों को आप पीले कपड़े में बांधकर अपने पास पर्स या तिजोरी वगैरह में सहेज कर रख सकते हैं, इससे आपको श्रीहरि भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा ही प्राप्त होता रहेगा।

तुलसी जी की पूजा के नियम

तुलसी पूजा का महत्व

प्राचीन काल से चली आ रही शास्त्र-आधारित मान्यता के आधार पर और विष्णु भगवान को विशेष प्रिय होने के कारण लगभग सभी धार्मिक स्थलों, विशेषकर कि विष्णु भगवान के मंदिरों में पूजा के प्रसाद के साथ तुलसी दल ज़रूर रखा जाता है।

ऐसा भी अक्सर देखा गया है कि जिस घर में तुलसी जी का सही तरीके से ख़्याल रखा जाता है और हर दिन दीया जला कर पूजा की जाती है तो उस घर में हमेशा खुशहाली और परिवार के लोगों में अच्छा स्वास्थ्य बना रहता है। यही नहीं, जिन लोगों के घर में तुलसी जी की पूजा होती है, उस घर के सदस्यों की अकाल मृत्यु होने की संभावना भी बहुत ही कम हो जाती है। इसके औषधीय गुणों से स्वस्थ शरीर मिलने के अलावा इसकी पवित्रता से घर के वास्तु दोष भी कम हो जाते हैं।

रामचरितमानस के अनुसार, लंका दहन के दौरान जब हनुमान जी की नज़र रावण के छोटे भाई विभीषण के घर के बाहर तुलसी जी के पौधे पर गयी तो वो समझ गए कि दानवों की इस नगरी में विष्णु भगवान के अवतार प्रभु श्रीराम का कोई भक्त यहाँ रहता है। यह इस दोहे से पता चलता है – ‘रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ। नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरष कपिराई॥5॥’

तुलसी पूजा के नियम

सनातन धर्म में किसी भी भगवान की पूजा कुछ विशेष नियमों से जुडी होती है, जिसका आधार शास्त्रों में वर्णित कोई ना कोई कथा होती है। अगर आप कथा को गहराई से वैज्ञानिक आधार पर भी जाँच कर देखेंगे तो कोई ना कोई गूढ़ कारण भी दिखेगा। यहाँ हम आपके लाभ के लिए आपको तुलसी पूजा से जुड़े ऐसे ही कुछ नियमों से अवगत कराते हैं।

  • अगर आपने तुलसी जी का पौधा घर में लगाया है तो सुबह और शाम को उस पौधे के नीचे एक दीया ज़रूर जलायें।
  • ध्यान रखें कि तुलसी जी के पौधे में आप इतवार को जल ना दें, बाकी दिनों में हर रोज़ पौधे में सुबह आवश्यकता के अनुसार जल अवश्य दें। ज़रूरत से अधिक जल देने पर भी उसकी जड़ सड़ जाती है।
  • विशेष ध्यान रखें कि आप कभी भी शिवलिंग या भगवान शिव पर चढ़ाए गए फूल, जल, इत्यादि को तुलसी जी के पौधे में ना डालें क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यह वर्जित है और इससे भगवान शिव क्रोधित होते हैं।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार, आपको तुलसी जी का पौधा उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए और इसे दक्षिण दिशा में तो कभी ना लगायें जो कि बहुत अशुभ होता है।
  • तुलसी जी के पौधे के आस-पास तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली शराब, आदि का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जाना चाहिए। अगर आपने तुलसी की माला पहनी हुई हो तो भी इस नियम का विशेष तौर पर पालन करें।

आपने अगर तुलसी का पवित्र पौधा घर पर लगाया है तो उसकी अच्छे से देखभाल करें, नियमित जल दें तो आपको तुलसी माँ अपना आशीर्वाद ज़रूर देंगी। जब भी मौका मिले तो तुलसी जी के पवित्र पौधे को किसी को दान भी करें जिससे औरों को भी इस अमृत का लाभ मिले।