फाल्गुन पूर्णिमा व्रत कब है? फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त, पूजन और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की पन्द्रहवीं तिथि को पूर्णिमा तिथि होती है। इस दिन चंद्र देव अपने पूर्ण रूप में दिखाई देते हैं। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि व्रत का अत्यधिक महत्व होता है, किन्तु फाल्गुन माह में पड़ने वाले पूर्णिमा के व्रत का अपना अलग ही विशेष महत्त्व है।

इस दिन व्रत करने से जातक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा तिथि को चंद्र देव अपनी पूरी शक्तियों के साथ अत्यधिक बलवान अवस्था में होते हैं, साथ ही यह भी मान्यता है कि चंद्र देव को पूर्णिमा तिथि अत्यधिक प्रिय है।

फाल्गुन पूर्णिमा को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन हिन्दुओ का प्रमुख पर्व होली भी मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा का अधिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी के पूजन से घर में उन्नति होती है।

समुद्र मंथन से फाल्गुन माह के पूर्णिमा तिथि के दिन ही चंद्र देव की भी उत्पत्ति हुई थी। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन (अपने जन्मदिन के दिन) चंद्र देव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहते है इसलिए फाल्गुन पूर्णिमा पर व्रत रखकर, चंद्र देव की पूजा कर के व्यक्ति अपने मानसिक कष्टों को भी दूर कर सकता हैं।

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त, पूजन और महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा का उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और व्यक्ति पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की भी विशेष कृपा हो जाती है। पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ दान और किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। वैशाख, माघ और फाल्गुन माह के शुक्लपक्ष पूर्णिमा के दिन किसी भी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान और दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत के शुभ मुहूर्त 2024

पंचांग के अनुसार, 24 मार्च 2024 को फाल्गुन पूर्णिमा सुबह 09 बजकर 54 मिनट पर आरम्भ होकर अगले दिन 25 मार्च 2024 को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा। फाल्गुन पूर्णिमा मे उदया तिथि को ध्यान रखकर व्रत-स्नान दान इत्यादि करना चाहिए इसलिए इस वर्ष 25 मार्च को व्रत, पूजन करना श्रेष्ठकर होगा। होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा

फाल्गुन पूर्णिमा स्नान-दान मुहूर्त – सुबह 04.45 – सुबह 05.32

फाल्गुन पूर्णिमा सत्यनारायण भगवान के पूजन मुहूर्त – सुबह 09.23 – सुबह 10.55

चंद्रोदय समय – शाम 06.44

फाल्गुन पूर्णिमा में माता लक्ष्मी पूजन मुहूर्त – रात्रि 12.03 – रात 12.50

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का महत्व

पुराणों के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा पर क्षीर सागर के समुद्र मंथन के समय माता लक्ष्मी समुद्र से निकली थी इसलिए इस दिन को माता लक्ष्मी का जन्मोत्सव अर्थात्‌ लक्ष्मी जयंती के रूप में भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन-समृद्धि की देवी माना जाता है।

इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करके लोग धन समृद्धि पाने की कामना करते है। लक्ष्मी जयन्ती का दिन धन-सम्पदा की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म पुराणों के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का महत्व चंद्र देव से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि इसी दिन समुद्र मंथन से चंद्र देव भी प्रकट हुए थे अर्थात इसी दिन चंद्र देव का भी जन्म उत्सव माना जाता है।

मान्यता है कि चंद्र देव मनुष्यों को समस्त प्रकार के भौतिक सुखों और विलासिता को प्रदान करने वाले देव माने जाते हैं। कोई भी व्यक्ति बिना उनकी कृपा के घर, वाहन तथा ऐश्वर्या इत्यादि की प्राप्ति नहीं कर सकता है।

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत में यदि व्यक्ति, माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की पूजा और उपासना करता है तो उसे समस्त प्रकार के सुख सुविधाओं का लाभ होता है। इसीलिए भी हमारे धार्मिक ग्रंथो में फाल्गुन पूर्णिमा व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत में क्या करें

ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से चंद्र उदय होने तक उपवास रखना चाहिए और विधिवत पूजा करना चाहिए।

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और चंद्र देव के मंत्रों का जाप भी अवश्य करना चाहिए। फाल्गुन पूर्णिमा व्रत के दिन दान जरूर करना चाहिए क्योंकि इस दिन किया दान सर्वाधिक पुण्य प्रदान करता है। शास्त्रों में भी दान करना अच्छा माना गया है। फाल्गुन पूर्णिमा व्रत में पूजन के बाद हवन करना चाहिए क्योंकि इस दिन हवन करना श्रेष्ठ माना गया है।

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत की तिथि में होलिका दहन के समय होलिका की कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करनी चाहिए। होलिका दहन के समय अग्नि देव को धूप, दीप, फूल, अक्षत, गुड़, नारियल, बताशे, साबूत पान, उपले, हल्दी, गेहूं की बालियां सहित पांच प्रकार के अनाज अर्पित करे। इस से व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत के उपाय

फाल्गुन पूर्णिमा व्रत के दिन यदि व्यक्ति ज्योतिष द्वारा बताये गए कुछ सरल उपाय कर ले तो उसके जीवन में सुख समृद्धि के द्वार खुल सकते है। आइये जानते है वो उपाय, जो इस प्रकार है –

मनोवांछित फल की प्राप्ति के उपाय

यदि कोई व्यक्ति मनोवांछित फल की प्राप्ति करना चाहता है तो उस व्यक्ति को फाल्गुन पूर्णिमा व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करना चाहिए क्योंकि पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का वास होता है, जिनके आशीर्वाद मात्र से ही व्यक्ति अपनी कामना की पूर्ति कर सकता है।

विवाहित जीवन मे खुशहाली लाने के उपाय

यदि कोई व्यक्ति अपने दांपत्य जीवन में मधुरता और खुशहाली लाना चाहता है तो उसके लिये पति-पत्नी में से किसी एक को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन व्रत करके रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अवश्य देना चाहिए इससे चंद्रदेव की कृपा से उनका विवाहित जीवन यापन बहुत खुशहाली से व्यतीत होता है। यदि दोनों पति- पत्नी साथ में अर्घ्य देते हैं तो ये दुगना पुण्य प्रदान करता है।

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए उपाय

यदि कोई व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे फाल्गुन पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्र देव को कच्चे दूध में शक्कर, चावल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से आप को आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने में लाभ मिलेगा।

धन प्राप्ति के लिए उपाय

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने ग्यारह कौड़ियों पर हल्दी से तिलक कर के उनके समक्ष रख दे। अगली सुबह इन्ही कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर धन रखने वाली तिजोरी मे रख ले। माना जाता है यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा कर ले तो उस घर में कभी भी धन- धान्य की कमी नहीं रहती है और माता लक्ष्मी का स्थाई रूप से वास हो जाता है।

निष्कर्ष

2024 फाल्गुन पूर्णिमा व्रत के दिन यानी होली पर चंद्र ग्रहण भी लग रहा है तो इसलिए फाल्गुन पूर्णिमा के दिन व्रत पूजन एक विशेष फल देने वाला माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण कन्या राशि में लगेगा । वैसे तो ये चंद्र ग्रहण भारत मे मान्य नहीं है तो भारत के लोगों को इससे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी और वो अपना व्रत विधि विधान से संपन्न कर पाएंगे।

यदि इस दिन व्यक्ति श्रद्धा भाव से , निर्मल और स्वच्छ मन से चंद्रदेव की विधिवत पूजा और आराधना करता है तो चंद्र देव उस व्यक्ति की पूजा प्रार्थना से अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं और उसको सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।