भारत में सबसे ज़्यादा मंदिर किस राज्य में हैं

भारत के सभी राज्यों में से सबसे ज़्यादा मंदिर तमिलनाडु राज्य में हैं। तमिलनाडु के इन मंदिरों में सबसे बड़ी संख्या कांचीपुरम शहर में है और इसीलिए भारत सरकार द्वारा इस शहर को हेरिटेज सिटी घोषित किया गया है। इस राज्य में मंदिरों के निर्माण का गौरवशाली इतिहास रहा है, जो यहाँ के प्राचीन काल के शैव और वैष्णव भक्त राजाओं के द्वारा बनवाए गए थे।

आप इन भव्य मंदिरों के बारे में अच्छी जानकारी ज़रूर हासिल करना चाहेंगे, इसलिए हम आपके लिए लाए हैं तमिलनाडु के मंदिरों से जुडी कुछ रोचक जानकारियां।

भारत में कुल कितने मंदिर हैं

भारत में कुल कितने मंदिर हैं, ऐसी गणना कभी नहीं हुई परंतु एक अनुमान के मुताबिक भारत में 10 लाख से भी ज्यादा मंदिर हैं। तमिलनाडु में सबसे अधिक, लगभग 35000 मंदिर हैं और इनमें से लगभग 50 मंदिर ऐसे हैं, जिन में पूरे साल जितना चढ़ावा चढ़ता है, उसको अगर इकठ्ठा कर दिया जाए तो भारत सरकार के कुल सालाना बजट खर्च के बराबर होगा

कांचीपुरम मंदिर

कांचीपुरम मंदिर

कुछ रिकॉर्ड्स बताते हैं कि भारत में अंग्रेजों के शासन की नींव रखने वाला ईस्ट इंडिया कंपनी का रॉबर्ट क्लाइव जब कांचीपुरम में एक यात्रा के दौरान भयंकर तूफ़ान में बीमार पड़ा तो उसको उस समय पास के वरदराजा मंदिर में लाया गया, जहां का प्रसाद खा कर वो बहुत जल्दी अच्छा हो गया और उसने उस मंदिर में एक बड़ा भारी नेकलेस भेंट किया।

वो उस मंदिर का भक्त हो गया और एक घटना में उसके ऊपर तोप का गोला गिर कर फटने के बाद भी चोट ना लगने पर उस की श्रध्दा मंदिर के प्रति और भी ज़्यादा बढ़ गयी थी।

आइये अब बात करते हैं तमिलनाडु के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों की।

मीनाक्षी मंदिर

मीनाक्षी मंदिर कहां स्थित है

मीनाक्षी (माँ पार्वती का एक रूप) मंदिर तमिलनाडु का सबसे प्रसिद्ध और मुख्य मंदिर माना जाता है। यह तमिलनाडु का सबसे बड़ा मंदिर भी है। खूबसूरती में ये ताज महल के बराबर ही माना जाता है क्योंकि इस मंदिर के अंदर आपको 33000 से भी अधिक रंग-बिरंगी मूर्तियों में महीन मीनाकारी दिखेगी, जो कि कला का एक अद्भुत नमूना है।

लगभग 12वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर भी बोलते हैं क्योंकि सुंदरेश्वर भगवान शिव के ही रूप हैं और उनकी भी यहाँ विशेष पूजा होती है। तमिलनाडु का स्टेट एम्ब्लम डिज़ाइन करने वाले टी कृष्णा राव के अनुसार, तमिलनाडु का स्टेट एम्ब्लम इसी मंदिर के गोपुरम पर आधारित है।

रामनाथस्वामी मंदिर

रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम (ज्योतिर्लिंग)

पंबन द्वीप पर बना यह एक विशाल शिव मंदिर है जहाँ भगवान शिव की आराधना करने भारत ही नहीं कई देशों से लोग आते हैं क्योंकि यह 12 मुख्य ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यही नहीं, इस मंदिर को आदि शंकराचार्य द्वारा बताए गए भारत के चार कोनों पर स्थित चार धामों (बद्रीनाथ, पुरी, द्वारका और रामेश्वरम) में से एक कहा जाता है।

इसकी महत्ता इसलिए भी अधिक मानी गयी है क्योंकि भगवान राम ने स्वयं यहाँ पूजा करके रेत के शिवलिंग (जिसे रामलिंगम कहते हैं) की स्थापना की थी, जो कि आज भी है । एक शिवलिंग हनुमान जी द्वारा कैलाश पर्वत से भी लाया गया था, जिसे विश्वलिंगम कहते हैं और ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने निर्देश दिया था कि उसकी पूजा पहले की जानी चाहिए।

इस मंदिर का 3000 फीट लंबा गलियारा भारत ही नहीं विश्व के सभी मंदिरों में सबसे लंबा है।

एकांबरेश्वर मंदिर

कांचीपुरम का एकांबरेश्वर मंदिर

यह भी भगवान शिव के एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, जहाँ एक कथा के अनुसार स्वयं माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहाँ पर स्थित एक आम के पेड़ के नीचे तपस्या की थी और उन्होंने उस मंदिर में रेत का शिवलिंग स्थापित किया था, इसीलिए उस शिवलिंग को पृथ्वीलिंगम कहते हैं।

यह मंदिर पंचभूत स्थलम (5 मुख्य शिव मंदिर जो एक-एक मूल प्राकृतिक तत्व का प्रतीक हैं) में से भी एक है और यह मंदिर पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ पर स्थित एक आम का पेड़ हज़ारों साल पुराना बताया जाता है और इसकी ख़ासियत ये है कि उस एक ही पेड़ पर चार अलग-अलग नस्ल और स्वाद के आम के फल उगते हैं जिनको चार मौसमों का प्रतीक माना जाता है, तो हुई ना ये कमाल की बात!

तमिलनाडु में किस काल में बने सबसे ज़्यादा मंदिर?

सबसे अधिक मंदिर कांचीपुरम शहर में बनाए गए थे जो पल्लव राजाओं के शासन में बहुत फला-फूला और चोल राजाओं ने भी इस शहर में बहुत से विकास कार्य किए। इतने अधिक मंदिर होने के कारण ही इस शहर को दक्षिण का बनारस भी कहा जाता है।

कालिदास ने भी चौथी शताब्दी में लिखी गयी अपनी पुस्तक ‘नगरेषु कांची’ में इसके बारे में बताते हुए लिखा कि कांचीपुरम उस समय के सबसे भव्य शहरों में से एक था। यहाँ पर अधिकतर मंदिर पल्लवों और चोल राजाओं के लंबे शासन काल के दौरान छठी शताब्दी में बने थे और इससे पता चलता है कि वे सारे राजा धर्म का पालन करने वाले और ईश्वर के प्रति गहरी आस्था रखने वाले रहे होंगे।

आपको तमिलनाडु के इन दिव्य मंदिरों का शांत और दैवीय वातावरण बहुत अच्छा लगेगा। साउथ के मंदिरों की एक और ख़ास बात ये है कि यहाँ आपको कहीं भी गंदगी फैली नहीं दिखेगी और सुंदर साफ़-सुथरे स्थलों पर पूजा करने में अधिक मन भी लगेगा। यहाँ के मंदिरों में आइए और दैवीय कृपा का अनुभव कर दिव्य आनंद को प्राप्त करिए।