महाशिवरात्रि की पूजा को आध्यात्मिक दृष्टि से जाने, और समझे ‘महामृत्युंजय मंत्र’ की महिमा को, जिससे शिव कृपा प्राप्त हो सके

शिव क्या है

शिव ही शक्ति है, एक रहस्यमय ऊर्जा है, जिनसे सब जगत चलायमान है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक भी अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाये हैं। हालांकि प्राचीन काल के ऋषियों और संतों ने इस अज्ञात शक्ति को “शिव” कहा है। शिव ही वह ऊर्जा है जो हर जीव के भीतर मौजूद है।

इस ऊर्जा की वजह से ही हम अपनी दैनिक गतिविधियां जैसे सांस लेना, खाना, उठना, चलना और बोलना कर पाते हैं। यह ऊर्जा न केवल जीवित प्राणियों को चलाती है, बल्कि यह निर्जीव चीज़ों में भी कार्य करती है। इस प्रकार शिव, अस्तित्व को संचालित करते हैं। सृष्टि मे जो कुछ भी अस्तित्व मे है और जो भी अस्तित्व मे नही है (यानी जो अव्यक्त है) उन सब के मूल मे शिव ही हैं।

हम महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं

महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो हमारी चेतना को उत्कर्ष की ओर ले जाता है, और ध्यान के माध्यम से, प्राण शक्ति को बढ़ाकर अपने स्त्रोत की ओर ले जाने का एक मार्ग भी दिखाता है। वैसे तो महाशिवरात्रि को लेकर कई कहानियाँ मौजूद हैं। उनमें से कुछ का हम उल्लेख कर रहे है जो इस प्रकार है –

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था।

मान्यता यह भी है कि जब देवता और राक्षस, अमृत की खोज में समुद्र मंथन कर रहे थे तब मंथन से विष निकला था और स्वयं भगवान शिव ने विष पी कर उसे अपने कंठ में रोक लिया था, जिस वजह से उनका शरीर नीला पड़ गया था ( इसलिए भगवन शिव को “नीलकंठ” भी कहा जाता है)। इसीलिए ऐसा माना जाता है कि जिस दिन विष पीकर उन्होंने सृष्टि और देवतागण दोनों को बचा लिया था, उस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि के दिन क्या करें 

एक और किवदंती यह भी है कि जब देवी गंगा पूरे उफ़ान के साथ पृथ्वी पर उतर रहीं थी तब भगवान शिव ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धरा था। जिससे पृथ्वी का विनाश होने से बच गया था। इसलिए भी इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।

ऐसी मान्यता भी है कि भगवान ने महाशिवरात्रि के दिन “सदाशिव” जो कि भगवान शिव का ही निराकार रूप हैं, उससे “लिंग” स्वरुप लिया था। इसलिए भक्त रात भर जागकर भगवान शिव की आराधना करते हैं और महाशिवरात्रि का उत्सव मनाते है।

महाशिवरात्रि के दिन क्या करें

महाशिवरात्रि वह दिन है जब हम भगवान शिव की अराधना करते हैं और जो आध्यात्मिक दृष्टि से हम भक्तो को भगवान शिव से जोड़ती है। महाशिवरात्रि के पूरे दिन और पूरी रात अधिकतर लोग ध्यान, पूजा और शिव भजन करके उत्सव मनाते हैं।

आईये जानते है कि महाशिवरात्रि के पावन दिन हमको क्या करना चाहिए जिससे हम अपने आराध्य भोलेनाथ से जुड़ सके व उनकी कृपा पा सके

उपवास

उपवास से शरीर के हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और शरीर की शुद्धि होती है जिससे मन को शांति मिलती है। जब मन शांत होता है तब वह आसानी से ध्यान में चला जाता है। इसलिए, महाशिवरात्रि पर उपवास करने से मन तथा चित्त को विश्राम मिलता है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन फलाहार करना चाहिए अथवा ऐसा भोजन ग्रहण करना चाहिए जो सुपाच्य हो। महाशिवरात्रि पर उपवास करने से, हम अपने मन को निर्मल करके भगवान शिव की भक्ति में लीन होने के लिए ऊर्जावान कर पाते है।

ध्यान

महाशिवरात्रि की रात को नक्षत्रों की स्थिति, ध्यान के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इसलिए लोगों को महाशिवरात्रि पर जागते रहने और ध्यान करने की सलाह दी जाती है। प्राचीन काल में लोग कहते थे कि “यदि आप हर दिन ध्यान नहीं कर सकते हैं” तो साल में कम से कम एक दिन ध्यान अवश्य करें। ऐसे में महाशिवरात्रि में रात्रि जागरण अथवा ध्यान अवश्य करें और भगवान शिव की कृपा से अपने जनम -जनम के पापों से मुक्ति पा सके |

मंत्रोच्चारण

महाशिवरात्रि के दिन पंचाक्षर मंत्र, “नम: शिवाय” का उच्चारण सबसे अधिक लाभदायक है। यह मंत्र तुरंत ही आपकी ऊर्जा को ऊपर उठाता है। “नम: शिवाय” में यह पांच अक्षर “न”, “म”, “शि”, “वा”, “य” पाँच तत्त्वों को सम्बोधित करते है। वह पाँच तत्त्व हैं – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।

“नम: शिवाय” का जप करने से ब्रह्मांड में मौजूद इन पांच तत्वों में सामंजस्य पैदा होता है। जब इन पांच तत्वों में प्रेम और शांति का मिलन होता है, तब हमको परमानंद की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा करने से लाभ

रूद्र पूजा या महाशिवरात्रि पूजा, भगवान शिव के सानिध्य को पाने के लिए की जाने वाली पूजा है। महाशिवरात्रि के दिन, रूद्र पूजा का बड़ा महत्व है, इस पूजा में विशेष अनुष्ठानों के साथ, वैदिक मंत्रों का उच्चारण भी शामिल है। रूद्र पूजा से वातावरण में सकारात्मकता और पवित्रता का उदय होता है।

यह नकारात्मक विचारों और भावनाओं को परिवर्तित कर देता है। पूजा में बैठने मात्र से ही मन अभिभूत हो जाता है, स्वयं में एक नयी ऊर्जा और शक्ति का संचार प्रतीत होने लगता है और मंत्र को सुनने से मन सहज ही गहन ध्यान में उतर जाता है।

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की उपासना के लाभ

शिवलिंग निराकार “शिव” का ही प्रतीक है। शिवलिंग पूजा में “बेल पत्र” अर्पण किया जाता है। शिवलिंग को “बेल पत्र” अर्पण करना अर्थात तीन गुणों को भगवान शिव को समर्पित कर देना। वो तीन गुण है पहला – तमस (वह गुण जिससे जड़ता उत्त्पन होती है), दूसरा – रजस (वह गुण जो गतिविधियों का कारक है), तीसरा – सत्व (वह गुण जो सकारात्मकता, रचनात्मकता और जीवन में शान्ति लाता है)।

ये तीनों गुण आपके मन और कार्यों को प्रभावित करते हैं। इन तीनों गुणों को दिव्यता (भगवान् शिव) को समर्पण करने से शांति और परम आनंद की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि को अत्यधिक प्रभावशाली “रुद्रम स्तोत्र” सुनें और ‘नमः शिवाय’ का जाप करें |

महामृत्युंजय मंत्र की महिमा

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने वाला दूसरा मंत्र ‘महामृत्युंजय मंत्र’ है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति भय मुक्त, रोग मुक्त जीवन जीना चाहता है और अकाल मृत्यु के डर से स्वयं को दूर करना चाहता है तो उसे ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करना चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र, भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मंत्र है। इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां सदा सर्वदा के लिए समाप्त हो जाती हैं। शिवपुराण और अन्य ग्रंथो में भी इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिवपुराण के अनुसार, महामृत्युंजय मंत्र के जप से व्यक्ति को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है।

ऐसे में आज हम आपको भगवान शिव के सबसे प्रभावशाली महामृत्युंजय मंत्र की महिमा के बारे में बता रहे हैं। महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि, महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ और महामृत्युंजय मंत्र के जाप से होने वाले लाभ –

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।

महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि

पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार करना चाहिए। वहीं, भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। महाशिवरात्रि के शुभ दिन और रात में इस मंत्र का जाप करना अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है।

यदि आप वर्ष के अन्य माह में पड़ने वाले मासिक शिवरात्रि में भी जाप करते है तो भी अत्यंत लाभकारी होता है। यदि आप भगवान भोलेनाथ के प्रिय माह सावन में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए।

आपको इस मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप न करें। मंत्र का जाप पूर्ण होने के बाद हवन करना उत्तम माना जाता है।

क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप

महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति इत्यादि की परिस्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि को आध्यात्मिक रूप से समझ पाने के लिए आपको भगवान शिव को समझना होगा उनके स्वरूप को भी समझना होगा। शिव जी का ‘महामृत्युंजय मंत्र’ महादेव का परम शक्तिशाली मंत्र है। कहा तो ये भी जाता है कि इस मंत्र से अल्पायु का संकट दूर हो जाता है।

जो मनुष्य पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से इस मंत्र का जाप करता है उसकी सुरक्षा का भार स्वयं महादेव उठाते हैं। हम आशा करते है कि हमारे इस लेख के माध्यम से आप महाशिवरात्रि की महिमा को इस दृष्टिकोण से भी समझ पाए होंगे।