मां काली की फोटो घर में रखनी चाहिए या नहीं

सदियों से हिंदू धर्म में लोग देवी देवताओं की प्रतिमा या चित्रों की पूजा आराधना करते आ रहे हैं। 33 करोड़ देवी देवताओं में से कुछ देवी देवताओं को जागृत माना गया है अर्थात् उनकी मूर्ति घर में रखने का अर्थ है कि वो देवता साक्षात् हमारे साथ घर में रह रहे हैं। इन्हीं जागृत देवी देवताओं में से एक हैं शक्ति की देवी, मां दुर्गा के रौद्र रूप में जानी जाने वाली मां काली।

मां काली का चित्र या मूर्ति हमें अपने घर पर रखनी चाहिए या नहीं, आपको इस मत के पक्ष और विपक्ष में बड़ी संख्या में लोग अपना तर्क रखते हुए नज़र आयेंगे। आइए, इस बारे में दोनों पक्षों के विचारों को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं जिससे आप उचित निर्णय ले सकें।

मां काली का चित्र या मूर्ति अपने घर में नहीं रखने के बारे में मत

मां काली की जागृत शक्ति से व्यक्ति के संकट तुरंत ही दूर हो जाते हैं, परंतु मां काली का स्वरुप अत्यंत ही क्रोध से भरा होता है और नरमुंड की माला पहने होने के कारण थोड़ा डरावना भी लग सकता है। हम सब अपने घर में मंदिर स्थापित करते हैं और उस में सौम्य रूप के देवी-देवताओं के चित्र स्थापित करते हैं।

ऐसा करने से घर में सकारात्मकता का संचार होता है और मनुष्य के हृदय व मस्तिष्क में अच्छी ऊर्जा का संचार होता है। रौद्र रूप में राक्षसों का संहार करते हुए मां काली की तस्वीर घर में नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इस तस्वीर में मां काली अत्यंत गुस्से में दिखाई देती हैं।

वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार यदि समझें तो, वैसे इसमें माँ काली की तस्वीर या मूर्ति रखने या ना रखने का सीधा वर्णन नहीं है, परंतु अनेक वास्तु विशेषज्ञ यह मानते हैं कि कोई भी क्रोध दिखाती हुई तस्वीर या मूर्ति, चाहे वह किसी देवता की ही क्यों ना हो, घर में रखने से नकारात्मकता का संचार होता है और घर के वातावरण में भी शांति नहीं रहती।

अनेक शास्त्रों और प्राचीन समय की कथाओं में भी माँ काली की तांत्रिक पूजा का ही वर्णन अधिकांश जगह मिलता है, जिससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह पूजा हम जैसे साधारण घर में रहने वाले मनुष्यों के लिए नहीं है। इसलिए बहुत से विचारकों का मानना है कि मां काली की मूर्ति या तस्वीर अपने घर पर नहीं रखनी चाहिए।

मां काली का चित्र

मां काली का चित्र या मूर्ति अपने घर रखने के पक्ष में मत

बहुत बड़ी संख्या में भक्तों और विचारकों का मानना है कि जो लोग भी माँ काली के रौद्र रूप के होने के कारण उन की प्रतिमा को घर में ना रखने की सलाह देते हैं, उन्होंने माँ काली के सही स्वरुप को कभी जाना ही नहीं। वो क्रोध सिर्फ दैत्यों और बुराइयों को मारने के लिए करती हैं। हैं तो वो फिर भी माँ ही, हम बच्चों को उनसे डरने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है।

आप उन की सही ढंग से और विधि विधान से पूजा करेंगे तो वो आपको आशीर्वाद देकर भला ही करेंगी। बच्चे गलत हो भी सकते हैं परंतु माता कभी कुमाता नहीं हो सकती। अगर काली माता की फोटो या मूर्ति रखने से घर के वातावरण में कोई क्लेश या कलह होता तो हमारे इतने सारे बंगाली भाई बहन जो माँ काली की विशेष भक्ति करते हैं, वो सारे परेशान होते, परंतु ऐसा नहीं है।

लगभग पूरा पश्चिम बंगाल और देश या दुनिया में जहाँ भी बंगाली लोग हैं, सब काली माता की मूर्तियां रखते हैं और खूब धूम-धाम से उन की पूजा अर्चना करते हैं। काली माँ ने सभी भक्तों को सुख-समृद्धि दी है और विपत्तियों से बचाया है। इसलिए, आप भी निर्भय होकर पूरे मन से, पूरी श्रद्धा और भक्ति से उन की तस्वीर या मूर्ति रख कर पूजा करें, माँ ज़रूर भला करेंगी।

दोनों ही तरह की विचारधारा हम ने आप के सामने रखी है, जिससे आप स्वयं परखें कि आप के लिए उचित क्या है। इस बारे में एक अन्य तर्कसम्मत विचार भी हो सकता है। मां काली शक्ति की देवी हैं और इन की शक्ति अन्य देवी देवताओं से अधिक मानी गई है।

मां काली को प्रसन्न करने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप उन की फोटो अपने पूजा घर में रखें, आप उन की मंत्र साधना तो कर ही सकते हैं। यदि आप अपने घर पर मां काली की साधना करना चाहते हैं, तो काली-प्रणव एकाक्षरी क्रीं मंत्र का रात में जाप करें। पापी ग्रहों जैसे शनि राहु वह केतु की शांति के लिए भी मां काली की उपासना की जाती है।

मां काली की पूजा अर्चना से घर में शोक का नाश होता है, आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा शत्रु नियंत्रण में रहते हैं। यदि आप पूरी श्रद्धा और भक्ति से मां की उपासना करें तो आपकी सारी मनोकामना पूर्ण होगी और मां का आशीर्वाद आपके जीवन को सुखद और सुंदर बना देगा।