माघ पूर्णिमा कब है 2024, माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा में गंगा स्नान क्यों करना चाहिए

माघ मास में प्रयागराज में तीन बार स्नान करने से जातक को जो फल प्राप्त होता है, वह धरती पर 1000 अश्वमेध यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है। हरिद्वार में ब्रह्मकुंड को ‘हरी की पौड़ी’ कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे ‘पावन घाट’ माना जाता है।

कथाओं के अनुसार इस स्थान पर समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदे कलश से छलक कर भूमि पर गिरी थी। माघ मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर हरिद्वार के ब्रह्मकुंड मे स्नान करने से परम गति यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि हरिद्वार के पवित्र तीर्थ में स्नान करने वाले मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती।

बताया जाता है कि इसी घाट पर भगवान विष्णु के पद चिन्ह है। माघ पूर्णिमा के दिन विधिवत स्नान करने से और मां गंगा की पूजा से मनुष्य के हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। इन सबके अतिरिक्त माघ पूर्णिमा के दिन जल और वातावरण में एक विशेष प्रकार की अलौकिक (शक्ति) ऊर्जा होती है।

इस दिन विधिवत स्नान ध्यान करने से मनुष्य की कुंडली में मौजूद जितने भी प्रकार के दोष होते हैं उनके दूर होने मे दैवीय सहायता मिलती है तथा अन्य ग्रहों का भी शुभ प्रभाव मिलता है। ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि इस दिन ग्रहो से जुड़ी हुई वस्तुओं का विशेष तौर पर दान करना चाहिए।

माघपूर्णिमा में मंत्रो के द्वारा करें अमृतपान और मोक्ष की प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन (चंद्रमा) चंद्र देव अपनी 16 कलाओं से सुशोभित होकर अमृत के समान वर्षा करते हैं। उनके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं। इसलिए कहते हैं कि हमारी प्रकृति में सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले तत्व पाए जाते हैं।

और माना जाता है कि इस दिन स्नान दान करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है, जो हमें मोक्ष की राह पर ले जाती है। सूर्य और चंद् दोष से भी मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि इस दिन गंगा के जल को स्पर्श करने मात्र से पुण्य की प्राप्ति हो जाती है, और मनुष्य के लिए स्वर्ग के द्वार स्वयं ही खुल जाते हैं।

माघ पूर्णिमा का महत्व

माघ पूर्णिमा के दिन स्नान इसलिए भी बड़ा महत्व रखता है क्योंकि इस दिन महान दानवीर योद्धा (महाभारत के सूर्यपुत्र कर्ण) कर्ण का भी जन्म हुआ था, और उसी दिन उनको पावन नदी में भी बहा दिया गया था। देशभर में माघ पूर्णिमा के व्रत को भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन चंद्रमा के कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना बड़ा ही फलदाई माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चंद्र देव ही समस्त ऐश्वर्य दिलाते हैं। चंद्रमा की कृपा से ही हम (समस्त प्रकार के) सांसारिक ऐश्वर्य का भोग करते हैं। जैसे- घर, वाहन, विदेश यात्रा, अत्यधिक धन का सृजन, सब चंद्र देव की कृपा से ही प्राप्त होता है।
अमृत पान मंत्र- चंद्र मंत्र-
मंत्र-
1- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः ||
2- ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ||
3- ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नमः ||
4- ॐ भूर्भुवः स्वः अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात् ||
5- दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ||
6- ॐ सों सोमाय नमः ||
इन समस्त मंत्रों में से किसी एक मंत्र का 108 बार माघ पूर्णिमा के दिन जाप करते हुए दूध में, सफेद पुष्प डालकर रात में चंद देव को अर्पित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

माघ पूर्णिमा का महत्व व माघ पूर्णिमा पूजन विधि

माघ पूर्णिमा में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा संभव नहीं है तो घर के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है। स्नान के पश्चात सूर्य देव को जल अर्पण करें, और सूर्य मंञो का जाप करें, और सूर्य पूजन करें।

उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को चरणामृत अर्पित करें। भगवान विष्णु को केले का पत्ता, रोली, फल, तिल, पान सुपारी, कुमकुम आदि अर्पित करें। इसके बाद आरती करें। माघ पूर्णिमा के दिन धन की देवी लक्ष्मी का पूजन करने का भी विधान है।

माघ पूर्णिमा के दिन काले तिल का दान करना विशेष फलदाई माना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन दान दक्षिणा करने से 32 गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमाके नाम से भी जाना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ पर दूध ,मिश्री चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। इससे भगवान मधुसूदन की कृपा प्राप्त होती है।

माघ पूर्णिमा कब है 2024

माघ पूर्णिमा दिन शनिवार 24 फरवरी 2024 को है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 23 फरवरी 2024 को दोपहर 3:33 मिनट तक।
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 24 फरवरी 2024 को शाम 5:59 मिनट पर।

माघ पूर्णिमा में नौ ग्रहों के नौ दान क्या है?

माघ पूर्णिमा के दिन नौ ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचने के लिए दान पुण्य अवश्य करना चाहिए जो इस प्रकार हैं-
सूर्य – सूर्य के कारण हृदय रोग की समस्या होती है, और इस दोष से मुक्ति के लिए व्यक्ति को गेहूं और गुड़ का दान करना चाहिए।
चंद्रमा – चंद्रमा के कारण मनुष्य की मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है, और वह तनाव में रहता है। इससे मुक्ति पाने के लिए जल ,मिश्री और दूध का दान करना चाहिए।
मंगल – मंगल के कारण व्यक्ति के जीवन में रक्त दोष, कोर्ट कचहरी, मुकदमे बाजी की समस्याएं उत्पन्न होती है। इससे मुक्ति पाने के लिए मसूर की दाल का दान करना चाहिए।
बुद्ध- बुध ग्रह का भी हमारे जीवन में बहुत प्रभाव पड़ता है इस ग्रह के पीड़ित होने के कारण त्वचा रोग और बुद्धि की समस्याएं होती है। इससे मुक्ति के लिए हरी सब्जियों, विशेष रूप से आवला का दान करना चाहिए।
बृहस्पति – बृहस्पति ग्रह के कारण व्यक्ति के पाचन तंत्र , लीवर में समस्याएं उत्पन्न होती है जिसके कारण व्यक्ति को मोटापा, जोड़ों में दर्द ,सांस फूलने जैसी समस्याएं होती है। इससे मुक्ति पाने के लिए केला, मक्का और चने का दान करना चाहिए।
शुक्र – शुक्र ग्रह के कारण व्यक्ति के आंखों में समस्या उत्पन्न होती है। मधुमेह रोग होता है। इससे बचने के लिए माघ पूर्णिमा में घी ,मक्खन, सफेद तिल का दान करना चाहिए।
शनि – शनि ग्रह के कारण व्यक्ति को नर्वस सिस्टम की समस्या या और भी कई प्रकार की लंबी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए काले तिल,सरसो का तेल आदि का दान करना चाहिए।
राहु और केतु – राहु और केतु के कारण व्यक्तियों में विचित्र तरह के रोग उत्पन्न होते हैं। इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को माघ पूर्णिमा में 7 तरह के अनाज काले कंबल, जूते ,चप्पल इत्यादि का दान करना चाहिए |

माघ पूर्णिमा में देवताओं को प्रसन्न करने के उपाय क्या है?

सूर्य – सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करके उनके बीज मंत्र ‘ओम घृणिह सूर्याय नमः,’ का 108 बार जाप करके जल अर्पित करें, और फिर उनको प्रणाम करें।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा के लिए – इस दिन भगवान विष्णु की कथा करें। उसमें केले के पत्ते, फल, सुपारी ,पान, काला तिल, मौली, रोली, कुमकुम ,नारियल मिठाई, फूल आदि रखकर विष्णु भगवान की कथा करें। उसके उपरांत उनको पंचामृत और आटे के चूरमे का भोग लगाए। भोग के पश्चात माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती करें। तत्पश्चात क्षमा प्रार्थना करे। उसके बाद चरणामृत प्रसाद समस्त भक्तों में बांट दें। ऐसा करने से आपके समस्त मनोकामना की पूर्ति होती है।

मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश, बजरंगबली ,सूर्य देव, चंद्र देव, माता लक्ष्मी, शनि देव और समस्त देवी-देवता और ग्रह-नक्षत्र को प्रसन्न करने के लिए गेहूं, गुड, भोजन वस्त्र,फल, घी, कपास, लड्डू आदि का दान फलदाई होता है। ऐसा करने से व्यक्ति को समस्त देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और नौ ग्रह भी शांत होते हैं। जिसके फल स्वरुप जीवन से समस्त दुख दूर हो जाते हैं, और सुखों की प्राप्ति कर मनुष्य ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है।