मूर्ति प्राण – प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

भारतवर्ष में सनातन धर्म में मूर्ति पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण है और मूर्ति पूजा के लिए सर्वप्रथम एक शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। एक शुभ मुहूर्त में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करके उस मूर्ति में भगवान और देवी या देवता की शक्ति का स्वरूप स्थापित किया जाता है।

सनातन धर्म में पूजा- पाठ का विशेष महत्व है। शास्त्रों में भी पूजा-पाठ और अनुष्ठान का वर्णन है। मंदिरों के अलावा घर पर भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। व्यक्ति अपने घर पर किसी न किसी देवी-देवता की प्रतिमा स्थापित करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति की पूजा नहीं करनी चाहिए और इस प्रकार की अनदेखी करने से व्यक्ति को पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है? और इसकी प्रक्रिया क्या होती है? आइये जानते है।

धर्म गुरुओं के अनुसार, मंदिर या घर पर मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि को प्राण प्रतिष्ठा कहा जाता हैं। सनातन धर्म में प्राण प्रतिष्ठा का विशेष महत्व होता है। मूर्ति स्थापना के समय प्राण प्रतिष्ठा अवश्य की जानी चाहिए। धार्मिक मत है कि प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात मूर्ति रूप में उपस्थित देवी-देवता की पूजा-उपासना अवश्य की जाती है।

प्राण प्रतिष्ठा का महत्व

हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसके जरिए मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया जाता है। ये काम अनुष्ठान के जरिए होता है और इसमें भजन और मंत्रों के पाठ के बीच मूर्ति को पहली बार स्थापित किया जाता है। वैसे प्राण शब्द का अर्थ है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ स्थापना होता है।

मूर्ति प्राण - प्रतिष्ठा मुहूर्त 2024

प्राण प्रतिष्ठा का शाब्दिक अर्थ है, जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना होता है। हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा से पहले कोई भी मूर्ति पूजा के योग्य नहीं मानी जाती है बल्कि निर्जीव मूर्ति मानते हैं। प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से उनमें शक्ति का संचार करके उन्हें देवता के जीवंत रूप में बदला जाता है।

इसके बाद वो पूजा और भक्ति के योग्य बन जाती है। फिर लोग इन मूर्तियों की पूजा कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्राण-प्रतिष्ठा की प्रक्रिया के बाद ही मंदिर में भगवान के रूप की एक मूर्ति स्थापित की जाती है और उसकी पूजा की जाती है। जब भक्त किसी भी ऐसे स्थान पर पूजन करते हैं तब उनकी मनोकामनाओं को पूर्ति होती है।

इन मंत्रों के साथ होती है प्राण प्रतिष्ठा

मानो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं, तनोत्वरिष्टं यज्ञ गुम समिमं दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ ।।

अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै, देवत्व मर्चायै माम् हेति च कश्चन ।।

ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः सुप्रतिष्ठितो भव, प्रसन्नो भव, वरदा भव ।।

विशेष: यहाँ दिये गए मंत्र मे त्रुटियाँ हो सकती है, इनका प्रयोग करने से पहले कृपया किन्ही योग्य पंडित या विद्वान से विचार अवश्य करवा लें, धन्यवाद। 

प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया

प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले देवी-देवताओं की प्रतिमा को गंगाजल या विभिन्न (कम से कम 5) नदियों के जल से स्नान कराया जाता है। इसके पश्चात, मुलायम वस्त्र से मूर्ति को पोछने के बाद देवी-देवता के रंग अनुसार नए वस्त्र धारण कराए जाते हैं।

इसके बाद प्रतिमा को शुद्ध एवं स्वच्छ स्थान पर विराजित किया जाता है और चंदन का लेप लगाया जाता है। इसी समय मूर्ति का शृंगार किया जाता है और बीज मंत्रों का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस समय पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और अंत में आरती कर लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कर के ईश्वर की पूजा करने से लोगों को भय से मुक्ति मिलती है। सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और कष्ट भी दूर होते है। यही नहीं, शांति के लिए भी भक्त ईश्वर की शरण में, प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति की पूजा करते हैं। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से व्यक्तिगत जीवन से बाधाओं को दूर करने का मौका मिलता है। प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति की पूजा करने वालों को रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है।

2024 मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त

इस वर्ष, यानि 2024 मे, मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त निम्नानुसार रहेंगे –

जनवरी 2024 मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त

18 जनवरी, दिन – गुरुवार, पौष शुक्ल, अष्टमी तिथि

20 जनवरी, दिन – शनिवार, पौष शुक्ल, दशमी तिथि

21 जनवरी, दिन – रविवार, पौष शुक्ल, एकादशी तिथि

24 जनवरी, दिन – बुधवार, पौष शुक्ल, त्रयोदशी तिथि

25 जनवरी, दिन – गुरुवार, पौष शुक्ल, चतुर्दशी तिथि

26 जनवरी, दिन – शुक्रवार, पौष शुक्ल, पूर्णिमा तिथि

29 जनवरी, दिन – सोमवार, तिलकुटा चौथ तिथि

30 जनवरी, दिन – मंगलवार,, माघ कृष्ण, चतुर्थी तिथि

31 जनवरी, दिन – बुधवार, माघ कृष्ण, पंचमी तिथि

फरवरी 2024 मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त

1 फरवरी, दिन – गुरुवार, माघ कृष्ण, षष्ठी तिथि

4 फरवरी, दिन – रविवार, माघ कृष्ण, नवमी तिथि

10 फरवरी, दिन – शनिवार, माघ शुक्ल, प्रतिपदा तिथि

14 फरवरी, दिन – बुधवार, माघ शुक्ल, पंचमी तिथि

15 फरवरी, दिन – गुरुवार, माघ शुक्ल, षष्ठी तिथि

16 फरवरी, दिन – शुक्रवार, माघ शुक्ल, सप्तमी तिथि

17 फरवरी, दिन – शनिवार, माघ शुक्ल, अष्टमी तिथि

18 फरवरी, दिन – रविवार, माघ शुक्ल, नवमी तिथि

19 फरवरी, दिन – सोमवार, माघ शुक्ल, दशमी तिथि

21 फरवरी, दिन – बुधवार, माघ शुक्ल, द्वादशी तिथि

22 फरवरी, दिन – गुरुवार, माघ शुक्ल, त्रयोदशी तिथि

28 फरवरी, दिन – बुधवार, फाल्गुन कृष्ण, चतुर्थी तिथि

मार्च 2024 मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त

3 मार्च, दिन – रविवार, फाल्गुन कृष्ण, सप्तमी तिथि

4 मार्च, दिन – सोमवार, फाल्गुन कृष्ण, अष्टमी तिथि

7 मार्च, दिन – गुरुवार, फाल्गुन कृष्ण, द्वादशी तिथि

8 मार्च, दिन – शनिवार, फाल्गुन कृष्ण, त्रयोदशी तिथि

अप्रैल 2024 मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त

15 अप्रैल, दिन -सोमवार, चैत्र शुक्ल, सप्तमी तिथि

24 अप्रैल, दिन – बुधवार, वैशाख कृष्ण, प्रतिपदा तिथि

26 अप्रैल, दिन -शुक्रवार, वैशाख कृष्ण, द्वितीया तिथि

मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर 2024 मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त

मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए 2024 के शेष इन महीनों में कोई भी अनुकूल शुभ मुहूर्त नहीं है।

मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा – शुभ दिन

मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए वर्ष 2024 में सोमवार, बुधवार तथा गुरुवार का दिन सबसे शुभ दिन रहेगा।

मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा – शुभ नक्षत्र

मघा, चित्रा, अभिजीत, पुनर्वसु, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी तथा मृगसीरा नक्षत्र वर्ष 2024 में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए शुभ नक्षत्र है।

( विशेष : उपरोक्त जानकारी हिन्दू पंचांग के अनुसार है )