मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहां है

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

हम सभी जानते हैं कि मेहंदी एक ऐसा अदभुत पौधा है जिसकी हरी पत्तियों को पीसकर प्रयोग करने से उसका हरा रंग गहरे लाल रंग में बदल जाता है। इसी तरह मेहंदीपुर का बालाजी मंदिर भी ऐसा ही एक चमत्कारिक धाम है़ जहाँ रोग- दोष से भरे हुए जीवन के बदसूरत रंग बालाजी की कृपा से स्वस्थ और सुख के प्रसन्नता भरे रंगों में बदल जाते हैं।

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा की चमत्कारिक पंक्तियां “भूत पिशाच निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावै” मेहंदीपुर के बालाजी धाम के लिए शत प्रतिशत सटीक दिखाई देतीं हैं। क्योंकि यह वह धाम है जहाँ यदि किसी व्यक्ति पर भूत-प्रेत आदि का साया हो तो उसके मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के प्रांगण में पाँव रखते ही उस पर सवार नकारात्मक शक्तियाँ उसे छोड़कर भाग खड़ी होती हैं। क्योंकि उन बुरी आत्माओं को पता है कि यदि उन्होंने बाला जी के भक्तों का पीछा नहीं छोड़ा तो मेहंदीपुर के बालाजी के धाम के भगवान का क्रोध उन्हें भस्म कर देगा।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहां है

यह मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के दौसा जिले के सिकराय नामक तहसील में स्थित है़। पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है़ कि यहाँ इस स्थान पर श्री बाला जी महाराज, श्री प्रेत राज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव) एक साथ लगभग एक हजार वर्ष पूर्व एक साथ प्रकट हुये।

अब प्रश्न यह उठता है़ कि प्राचीन काल में ऐसी क्या परिस्थतियाँ थीं कि उस समय जब इन तीन महाशक्तियों को एक साथ एक ही स्थान पर प्रकट होना पड़ा। निश्चित रूप से यह रहस्य किसी भी व्यक्ति को प्रमाणिक रूप से ज्ञात नहीं है़। लेकिन इतनी संभावना अवश्य व्यक्त की जा सकती है़ कि बिना आवश्यकता के और बिना किसी कारण के कोई शक्ति उत्पन्न नहीं हो सकती।

ऐसा माना जाता है कि निश्चित रूप से भूत-प्रेतों और पिशाचों आदि के आतंक से धरती वासियों को बचाने के लिए भगवान अपना रूप बदल कर इस स्थान पर प्रकट हुये होंगे।

कौन हैं मेहंदी पुर बाला जी के धाम के भगवान

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर फोटो

मेहंदीपुर के बाला जी दरअसल बजरंग बली हनुमान जी के सबसे शक्तिशाली बाला जी के रूप में स्थापित हैं। बाला जी पवन पुत्र हनुमान जी का बाल्य स्वरूप है़। कहा जाता है़ कि मारुति नंदन का बाल रूप ही सबसे अधिक शक्ति शाली है़। क्योंकि यह वह रूप है़ जिन्होंने बाल्य काल में फल समझकर सूर्य को ही अपने मुख में निगल लिया था।

इसीलिए हनुमान जी के बाल स्वरूप को बहुत ताकतवर माना जाता है़ जिसके दर्शन मात्र से भक्तों की समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। इस धाम में हनुमान जी का यह वह स्वरूप है़ जिसके समक्ष कुछ भी असंभव नहीं है़। लोग यहाँ मायूस और उदास आते हैं। बाला जी कृपा पाकर मालामाल हंसते हुये घर जाते हैं। कहते हैं कि जो एक बार मेहंदीपुर के बाबा से सच्चे मन से जुड़ गया तो उसका संपूर्ण जीवन धन्य हो गया।

मेहंदीपुर बाला जी महाराज की अदभुत कथा

यह कहानी लगभग एक हजार वर्ष से अधिक पुरानी है़। उस समय राजस्थान के दौसा जिले के इस स्थान पर गुर्जर जाति के लोग रहा करते थे। कहते हैं कि एक बार यहाँ एक गाँव के लोगों पर ऊपरी हवाओं (भूत- प्रेतआदि) ने हमला बोल दिया। गांव के कई निवासियों की तबीयत खराब होने लगी।

जब काफी दवा-ईलाज करने के बाद भी उन ग्राम वासियों की तबीयत ठीक नहीं हुई। तब  एक दिन गाँव वाले उन भूत-प्रेत ग्रस्त व्यक्तियों को लेकर राज वैद्य को दिखाने के लिए उनके आवास पर जाने लगे। राजमहल की ओर चलते- चलते  सभी लोग थक गए। तब भूत प्रेत से ग्रस्त व्यक्तियों को एक छोटे से मंदिर के पास बैठा दिया गया।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास

बताते हैं कि ऊपरी हवाओं से ग्रस्त व्यक्तियों को उस मंदिर के पास बैठाते ही चारों तरफ तेज आंधियाँ चलने लगीं। आस-पास का वातावरण भयावह हो गया। उसके बाद आई तेज मूसलाधार बारिश, गाँव वालों सहित वे सभी ऊपरी बाधा से ग्रस्त व्यक्ति बारिश से नहा गये। उसके  बाद गाँव वालों ने जो कुछ देखा आश्चर्य चकित रह गये।

चमत्कार हो गया था। बारिश से नहाने के बाद भूत प्रेत से ग्रस्त गाँव के लोग अपने सिरों को हिलाते हुए वहाँ काली पहाड़ी वाले जंगल में स्थित मंदिर के अंदर जाने लगे। ऐसा लग रहा था कि मंदिर की देवता उन लोगों को अंदर बुला रहे हों। उस मंदिर की मूर्ति के सामने जाते ही भूत-प्रेत से ग्रस्त व्यक्तियों ने असमान्य हरकतें करना बिल्कुल ही बंद कर दिया।

इसके बाद सभी भूत-प्रेत ग्रस्त व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों की तरह व्यवहार करने लगे। इसका कारण यह था कि उन ग्राम वासियों को बुरी शक्तियों का साया छोड़कर भाग गया था। गाँव के सभी लोग उस मंदिर के देवता की जय जयकार करने लगे। जानते है यह मंदिर कौन सा था! यह मंदिर बजरंगबली हनुमान जी के बाल स्वरूप बालाजी का था।

जिसे गांव के पुजारी ने स्थापित किया था। गाँव के पुजारी का कहना था कि यह बालाजी की मूर्ति उसे काली पहाड़ी के निकट एक  टीले की खुदाई में मिली थी। उस दिन गाँववालों के साथ हुई यह चमत्कारिक घटना चारों तरफ पुष्प के सुगंध की तरह फैल गयी कि इस मेहंदी पुर मंदिर के बालाजी की चमत्कारी मूर्ति के दर्शन मात्र से रोगों-दोषों का नाश होता है।

मेहंदी पुर बाला जी के प्रसाद का रहस्य

यह बात सभी जानते हैं कि मेहंदीपुर के बाला जी की लीला अपरंपार है़। यहाँ बाला जी की प्रतिमा का दर्शन पाकर और वहाँ प्राप्त प्रसाद खाकर भक्तों के संकट छूट जाते हैं। लेकिन इस मंदिर की मान्यता है़ कि मंदिर में प्राप्त प्रसाद को वहीं खाकर समाप्त कर देना होता है़।

उस प्रसाद को घर नहीं ले जाया जाता है़। यदि कोई व्यक्ति प्रसाद को घर ले जाता है़ तो बाला जी के कोप का भागी होता है़। बाला जी के दर्शन के बाद कुछ भक्त प्याज -लहसुन छोड़ देते हैं और सात्विक भोजन अपनाते हैं । कहते हैं कि ऐसा संकल्प लेने से मेंहदी पुर बाला जी की कृपा बढ़ जाती है़। देश-विदेश में ऐसी हजारों घटनाऐं हैं जब बाला जी की कृपा से भक्त रंक से राजा बन गये।