रूठी हुई लक्ष्मी को कैसे मनाएं?

हम सभी घर में लक्ष्मी माता रुपी धन-संपत्ति को अपने घर में लाना चाहते हैं और उसके तरीके ढूंढते रहते हैं, शायद आप भी ऐसा ही करने की कोशिश करते रहते होंगे। कोशिश करने पर भी कई बार हम समझ नहीं पाते कि आखिर गलती कहाँ हो रही है, क्यों हमारे घर लक्ष्मी का आगमन नहीं हो रहा है।

आइये शास्त्रों के अनुसार, आज इस बात को जान लें कि वैभव और सम्पन्नता की देवी को घर में लाने के लिए क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए।

क्या करने से लक्ष्मी घर में आती है?

अपने घर में लक्ष्मी जी के आगमन को सुनिश्चित करने के लिए आपको मूल बातें याद रखने की जरूरत है जिनका सार यही है कि जैसे आप जिन बातों का ध्यान अपने माता-पिता या घर के बड़ों को प्रसन्न करने के लिए करते हैं, मूलतः उन्हीं बातों का आपको ध्यान रखना है।

शास्त्रों के अनुसार, उस घर में देवी-देवताओं का वास होता है और लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है जहाँ घर के बड़े-बूढ़ों विशेषकर कि माता-पिता का सम्मान किया जाता है। आइये आपको विस्तार से बताएं कि किन बातों का ध्यान रखने से लक्ष्मी माँ प्रसन्न हो कर आपके घर में विराजेंगी।

लक्ष्मी माँ को आपके घर में वातावरण अच्छा लगे, इसके लिए आप यह ध्यान रखें कि आपके घर का हर कोना बिल्कुल साफ़ सुथरा रहे क्योंकि लक्ष्मी माता को गंदगी बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इसलिए आप अपने घर को साफ़-सुथरा रखने के लिए हर रोज़ ध्यान दें क्योंकि एक भी दिन छोड़ा गया तो घर के कुछ हिस्सों में गंदगी अवश्य आ जाती है।

इसलिए घर को साफ़ और चमकता हुआ रखने के लिए आप केवल दीपावली के ही त्यौहार का इंतज़ार ना करें बल्कि झाड़ू हाँथ में ले कर हर दिन नियम से दिन के एक निश्चित समय पर घर के हर कमरे की अच्छे से सफाई करें और यदि यह कार्य भोर में ही हो जाए तो सबसे अच्छा है। अपने आस-पास का वातावरण अच्छे से साफ़ रहे तो फिर बाकी का हर काम करने में आपका भी मन और भी अच्छे तरीके से लगेगा, जिससे आप हर कार्य को बेहतर तरीके से कर पायेंगे।

रूठी हुई लक्ष्मी को कैसे मनाएं?

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है?

सभी बातों में जो सबसे महत्वपूर्ण है वो यह है कि चूँकि लक्ष्मी जी को साफ़-सुथरी जगह ही पसंद है, इसलिए जहाँ गंदगी होगी वहाँ लक्ष्मी माता नहीं ठहरेंगी। बाहरी साफ़-सफाई ही नहीं, हमें अपनी आतंरिक साफ़-सफाई की ओर भी ध्यान देना है जो कि और भी अधिक महत्वपूर्ण है।

यहाँ आतंरिक साफ़-सफाई से मतलब विचारों की सात्विकता और शुद्धता से है, विकारों को मिटाने से है। आप यह भी ध्यान रखें कि अपने मन को यथासंभव उदास या निराश ना होने दें क्योंकि निराशा और उदासी एक प्रकार का अंधकार और नकारात्मकता लाती है।

आप ना ही कोई बुरी आदत पालें और ना ही किसी और के बारे में कुछ भी बुरा सोचें क्योंकि हम जब भी किसी के भी बारे में नकारात्मकता रखते हैं तो वो घूम कर हमारे पास ही वापस आती है, यह संसार का नियम है जिसे समझना बहुत ज़रूरी है।

सनातन धर्म की विचारधारा में अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की परिकल्पना मनोवैज्ञानिक तौर पर भी एक बहुत प्यारी सोच है जो हर किसी में आशा और विश्वास का संचार करती है, इसलिए आप भी अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रयास करें।

कुछ अवगुण और विकार हैं जिनसे लक्ष्मी माँ दूर रहती हैं, इसलिए आप भी ख़्याल रखें कि उनको अपने मन में न पनपने दें। गलत लोगों की संगति से मन में गलत विचार पैदा होते हैं, तो इसलिए ऐसे लोगों से आप दूर रहें। विचार शुद्ध रहें तो मन साफ़ रहेगा और विकारों से आप प्रभावित नहीं होंगे।

एक और महत्वपूर्ण बात जिसका आपको विशेष ध्यान रखना है कि आपको चाहे थोड़ा मिले या बहुत सी धन-संपत्ति मिल जाए, कभी अहंकार मन में ना आने दें, अहंकार से बहुत से विकार उत्पन्न होते हैं। कुछ लोग कोई छोटी सी सफलता मिल जाने भर से इतना अहंकार से भर जाते हैं कि वो किसी से सीधे मुँह बात ही नहीं करते।

या फिर उनको लगता है कि लोग उनको सीधा-साधा समझ कर गलत फायदा उठा लेंगे परंतु आप अपनी काबिलियत पर भरोसा रखें और सबसे प्यार से ही बोलें। एक मुख्य बात और है कि लक्ष्मी माँ को प्रसन्न रखने के लिए अपने घर में और घर के बाहर, स्त्रियों का अवश्य विशेष सम्मान करें क्योंकि स्त्री तो देवी का ही एक रूप हैं। जो लोग स्त्रियों का सम्मान नहीं करते उनके घर लक्ष्मी जी कभी भी नहीं आ सकतीं।

माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या किया जाए?

घर में वास्तु सही रखने के अलावा कुछ और शुभ कार्यों व मुहूर्तों की भी जानकारी रखें जिनमें आप लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए विशेष प्रयास कर सकते हैं। अमावस्या की रात्रि में किया गया लक्ष्मी पूजन विशेष महत्त्व का होता है। उन विशेष मुहूर्तों में से एक दीपावली (यह कार्तिक अमावस्या को पड़ती है) के त्यौहार का विशेष मुहूर्त होता है जो लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष माना जाता है।

दीपावली प्रकाश का त्यौहार (पर्व) है और दीपों का प्रकाश वह शुद्ध सात्विक ऊर्जा है जो हम सबको ये सन्देश देती है कि ऐसा ही सात्विक प्रकाश हमारे भीतर भी होना चाहिए, लक्ष्मी माता को भी यही सात्विक प्रकाश प्रसन्न करता है। दीपावली से पहले धनत्रयोदशी (धनतेरस) के दिन नयी झाड़ू और सोने-चाँदी (या अपने बजट के अनुसार कोई भी धातु) से बनी वस्तु, गहना इत्यादि खरीदें जो कि बहुत शुभ माना जाता है।

इस दिन कच्ची मिट्टी से बनी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों को खरीदने का भी रिवाज़ होता है जिसे साल भर अपने पूजा घर में रखा जाता है और अगले साल दीपावली पर पिछली मूर्तियों को विसर्जित करके नयी मूर्तियाँ खरीदी जाती हैं। दीपावली के मुहूर्त में विधि-विधान से सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करके आप विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें और माँ लक्ष्मी के मंत्र का जाप करें जिसके बारे में हमने इसी आर्टिकल में नीचे विस्तार से बताया हुआ है।

इसके अलावा शास्त्रों में गौ माता को भी लक्ष्मी माँ का एक रूप माना गया है, आप अपने आस-पड़ोस में घूम रही गायों की जितनी अधिक से अधिक हो सके सेवा करें। उनको हरा चारा खिलायें या किसी गौशाला में यथाशक्ति दान कर दिया करें, इससे न केवल माँ लक्ष्मी प्रसन्न होंगी बल्कि आपका ग्रह दोष भी मिटेगा।

गायों को कामधेनु (अनंत काल तक मनचाहा धन-वैभव देने वाली गाय जिसका एक और नाम सुरभि भी है) क्यों कहा जाता है, इसकी कथा तो आपने अवश्य सुनी होगी। यदि ना सुनी हो तो संक्षेप में जान लें कि पुराणों के अनुसार, कामधेनु गाय समुद्र मंथन में निकली थी और महर्षि वशिष्ठ को वरदान में प्राप्त हुई थी जिसको महर्षि वशिष्ठ प्यार से नंदिनी कहते थे।

ऋषि बनने से पहले जब विश्वामित्र राजा हुआ करते थे, तब उन्होंने महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में रहने वाली इस कामधेनु गाय के बारे में सुना और महर्षि के आश्रम में सेना लेकर पहुँच गए। महर्षि वशिष्ठ ने राजा की विशाल सेना की बहुत अच्छी आवभगत की और राजा विश्वामित्र को बहुत सुखद आश्चर्य हुआ कि आश्रम के सीमित संसाधनों के बाद भी महर्षि इतनी बड़ी संख्या के सैनिकों की अच्छी आवभगत कर पाए।

उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से आग्रह किया कि कामधेनु गाय को वह उन्हें दे दें और उसके बदले में एक हज़ार गायें स्वीकार करें पर महर्षि नहीं माने क्योकि वह हर दिन उस गाय की पूजा-अर्चना करते थे। इससे राजा विश्वामित्र के अहंकार को ठेस पहुंची और उन्होंने आश्रम पर आक्रमण कर दिया परंतु उनकी सेना को महर्षि वशिष्ठ के तपोबल और कामधेनु द्वारा उत्पन्न सैनिकों के सामने घुटने टेकने पड़े।

उसके बाद सब जानते हैं कि कैसे राजा विश्वामित्र ने आहत हो कर अपना राजपाट छोड़ कर महर्षि वशिष्ठ की तरह शक्तिशाली बनने के लिए घोर तपस्या करने का निर्णय किया। महर्षि वशिष्ठ ने अपने शिष्यों को बताया कि गौ माता लक्ष्मी माँ का ही रूप होती हैं और हम सबको हर गाय की सेवा करनी चाहिए, उसका बहुत पुण्य और आशीर्वाद मिलता है।

अचानक धन कैसे प्राप्त होता है?

अचानक धन पाने के लिए भी हमारे प्राचीन शास्त्रों में कुछ उपाय बताए गए हैं, आप उनको कर सकते हैं। दक्षिणवर्ती शंख की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है और आप इस की हर दिन पूजा, धन पाने के लिए भी कर सकते हैं। दक्षिणवर्ती शंख के अंदर दूध भर कर आप भगवान विष्णु का अभिषेक भी कर सकते हैं, जो शुभ फल देता है।

इसके अलावा आप भगवान विष्णु के मंदिर में शंख का दान भी कर सकते हैं। एक अन्य उपाय जो बहुत लोकप्रिय है, वह है एक गिलास दूध का तांत्रिक उपाय। इसके लिए आप रविवार की रात को एक गिलास दूध अपने सिरहाने रख कर सो जायें, ध्यान रहे कि वह छलक ना जाए।

सुबह उठ कर नित्य कर्मों से निवृत्त हो कर उस दूध को आप बबूल के पेड़ की जड़ में डाल दें। इनके अलावा कुछ छोटे-छोटे उपाय भी हैं जैसे अपनी तिजोरी में लाल कपड़ा बिछायें और रेशम के लाल कपड़े में साबुत चावल (अक्षत) के 21 दाने अपनी तिजोरी और हो सके तो अपनी पर्स में रख लें।

धन प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए?

आर्थिक स्थिति सही करने के लिए माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिले, इसके लिए वैभव लक्ष्मी के व्रत की बहुत महिमा है। अधिकतर परिवारों में महिलायें माँ लक्ष्मी के इस व्रत को रखती हैं परंतु पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं। माँ लक्ष्मी के श्रीयंत्र की पूजा की भी विशेष महिमा है, इसको आप हर रोज़ साफ करें और इस पर पूजा के वक्त माँ लक्ष्मी की तस्वीर के बगल में रख कर फूल व कुमकुम इत्यादि अर्पित करें।

इस व्रत को हर शुक्रवार 8 या 16 हफ़्तों तक किया जाता है पर महिलायें इसे मासिक धर्म के दौरान न करें। एक तांबे का कलश ले कर उसको जल से भर लें और उस पर मुट्ठी भर साबुत चावल (अक्षत) कुमकुम या हल्दी मिला कर कटोरी में रख लें। भोग के लिए आप किसी सेफद रंग की मिठाई या गाय के दूध से बनायी गयी खीर रख सकते हैं।

उसके बाद आप वैभव लक्ष्मी व्रत कथा (यह आपको अपने आस-पड़ोस की पूजा-पाठ की दुकानों में आसानी से मिल जाएगी) पढ़ें और फिर माँ लक्ष्मी की आरती करें। पूजा करने के बाद माँ लक्ष्मी को अपने दुःख-तकलीफ दूर करने की अपनी मनोकामना बतायें और घर के मुख्य दरवाज़े पर एक दीपक जला कर रख दें।

जितने हफ्ते का व्रत आपने किया हो, उतने शुक्रवार पूरे होने पर यानी 8 या 16 शुक्रवार के व्रत में उतने ही संख्या यानी 8 या 16 कुंवारी कन्याओं को शुद्ध सात्विक खाने का भोज करायें और उनको कुछ गिफ्ट दे कर विदा करें।

लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए कौन सा मंत्र होता है?

वैसे तो माँ लक्ष्मी के अनेकों मंत्र हैं परंतु हम आपको माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ सरल और बहुत विशेष मंत्र हैं जो हम आपको यहाँ बता रहे हैं, इन में से किसी भी एक मंत्र का या सभी मंत्रों का आप बारी-बारी 108 बार जाप कर सकते हैं।

प्रयास करें कि ये सभी मंत्र कमलगट्टे की माला या विशुद्ध रुद्राक्ष माला से की जाए, जो कि 7 मुखी माला हो तो सबसे अच्छा है क्योंकि इस रुद्राक्ष की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी हैं। अगर 7 मुखी माला भी ना मिल पाए तो आप किसी भी दूसरी शुद्ध रुद्राक्ष की माला से जाप कर सकते हैं और यदि वह भी ना मिले तो स्फटिक या चन्दन की माला ले लीजिए।

यहाँ देखने वाली बात यह है कि अगर सही माला लेंगे तो अधिक लाभ होगा परंतु शास्त्रों में लिखे हुए ये मंत्र इतने शक्तिशाली होते हैं कि बिना माला के भी यदि आप उँगलियों पर गिन कर भी अगर 108 बार पूरा कर लेंगे, लाभ तो तब भी आपको अवश्य होगा। इससे आप मंत्रों की अचूक वैज्ञानिकता और महत्त्व को समझ सकते हैं।

पहला मंत्र नीचे दिया गया है, जो कि पुराणों में वर्णित माँ लक्ष्मी का बीज मंत्र है:

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

वैभव लक्ष्मी का यह मंत्र भी धन-वैभव प्राप्ति के लिए बहुत अचूक माना जाता है:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।।

अगर आपके पास समय की कमी है तो आप माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ ह्रीं नमः’ या फिर एकाक्षरी बीज मंत्र ‘श्रीं’ (केवल एक ही शब्द) का भी जाप कर सकते हैं। आप प्राचीन सिद्ध देवर्षियों और महर्षियों द्वारा रचित ऋग्वेद में वर्णित श्री सूक्त का भी पाठ कर सकते हैं।

हर रोज़ करें तो अच्छा है ही परंतु इसको आप हर शुक्रवार और दीपावली के शुभ मुहूर्त पर अवश्य करें तो इसका आपको विशेष लाभ हो सकता है। इन मंत्रों का सही जाप करके कर्ज़ों में डूबे हुए असंख्य लोगों ने अपने कर्ज़ों से मुक्ति पा कर धन-वैभव हासिल किया है।

आप भी इनको लगन से करें और क़र्ज़ के कारण होने वाले अपमान और संकट से मुक्ति पायें। अपने घर के पूजा कमरे में करें तो सर्वश्रेष्ठ है ही परंतु इन मंत्रों का मानसिक जाप आप किसी भी शांत जगह पर बैठ कर कर सकते हैं।

ऊपर बताए गए माँ लक्ष्मी के मंत्र और उपायों को करने के अलावा इस बात का ध्यान रखें कि केवल मंत्र या पाठ करने से ही कार्य सिद्ध नहीं हो जाता क्योंकि भगवान तो भावना के भूखे हैं, इन मंत्रों और उपायों में आप अपनी सच्ची भावना मिलायें और सच्ची श्रद्धा से माँ लक्ष्मी की आराधना करें, यदि आपके द्वारा किये गए मंत्र जाप का उच्चारण सही हुआ और सच्चे मन से आपने माँ लक्ष्मी को पुकारा तो लक्ष्मी माता अपने भक्त के उद्धार के लिए अवश्य आयेंगी, आपका हर उचित कार्य अवश्य पूर्ण होगा।