वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसे होना चाहिए

ज्योतिष शास्त्र में वास्तु का काफी महत्व होता है और इसी के आधार पर लोगों को अपने घर का निर्माण कराना चाहिए, क्योंकि यदि आप वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके अपने घर का नक्शा तैयार करवाते है, तो उससे आपको बहुत लाभ होता है।

लेकिन यदि आप वास्तु नियमों का पालन नहीं करते है, उनकी अनदेखी या अवहेलना करते हैं तो आपको अपने घर मे, अपने जीवन में नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां, विशेष रूप से आर्थिक परेशानियाँ भी आ सकती हैं। तो चलिए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार किस प्रकार घर का नक्शा तैयार किया जाना चाहिए जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार बना रहे।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा

जब आप अपने घर का निर्माण करवाएं, तो वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा जरूर तैयार करवाना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो यह आप के लिए बहुत लाभदायक होता है और ऐसा करने से वास्तु दोष का सामना भी नहीं करना पड़ता है जिससे घर में वास्तु दोष भी उत्पन्न नहीं होता है, साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है।

वास्तु के अनुसार घर बनाना बहुत शुभ माना जाता है। यदि घर, वास्तु शास्त्र के अनुसार बताए हुए नियम से बनवाया या खरीदा जाये तो सदा आपके घर में सुख-शांति बनी रहती है। वहीं अगर घर बनाते समय वास्तु का ध्यान नहीं रखा जाए तो घर में हमेशा अशांति और कलह का वातावरण बना रहता है।

यदि आप नया घर लेने की या खरीदने की सोच रहे हैं तो वास्तु शास्त्र में इससे जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं। आज हम आपको उन्हीं के विषय में अवगत कराने जा रहे है कि नया घर लेते या बनवाते समय घर का नक्शा कैसा होना चाहिए।

वास्तु अनुसार घर का नक्शा बनाना बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि जब आप घर का नक्शा वास्तु के अनुसार बनाते हैं तो आपके घर का हर कोना, दिशाओं के अनुकूल रहता है और इससे आपको काफी लाभ होता है। वास्तु शास्त्र में दिशाएं काफी महत्वपूर्ण होती हैं और घर का नक्शा बनवाते समय दिशाओं को विशेषकर ध्यान में रखना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसे होना चाहिए

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की जमीन मे कुल 9 क्षेत्र होते हैं जिसमें से 4 दिशायें, 4 कोण और एक मध्य क्षेत्र माना जाता है। आपको बता दें कि मध्य क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण होता है। वास्तु के अनुसार घर का मध्य स्थान, उसमें रहने वाले लोगों के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है।

इसके साथ ही घर बनाने के लिए भूमि का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि घर बनाने की शुरुआत तो वहीं से की जाती है। भूमि कैसी है, भूमि कहां है यह देखना जातक के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर घर बनाने के लिए भूमि वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तम है, तो जातक को काफी लाभ मिलेगा।

वो जीवन मे चौतरफा प्रगति करेगा। इसके अलावा अगर वो भूमि मध्यम है तो भी जीवन मे सकारात्मक घटनाएं अधिक होंगी लेकिन अगर वो भूमि अधम है तो उस भूमि पर बने घर मे तथा जीवन मे भी नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है। आइए अब बात करते हैं मकान के नक्शे की।

मकान के नक्शे में दिशा का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि दिशा जातक के जीवन के क्षेत्र से संबंधित मानी जाती है। नीचे दी गयी जानकारी से आप ये जान सकते हैं कि कौन सी दिशा, जीवन के किस क्षेत्र से संबंधित होती है।

दक्षिण दिशा: यह दिशा जातक के कैरियर क्षेत्र से संबंधित होती हैं।

दक्षिण पश्चिम दिशा: यह दिशा ज्ञान और बुद्धिमत्ता से संबंधित होती हैं।

उत्तर पश्चिम दिशा: इस दिशा का संबंध धन से होता है।

उत्तर दिशा: यह सामाजिक सम्मान से संबंधित दिशा होती है।

पश्चिम दिशा: यह व्यक्ति के परिवार से जुड़ी दिशा होती है।

दक्षिण पूर्व दिशा: यह दिशा जातक के करीबी लोगों से जुड़ी होती है। आपको बता दें कि यह वह लोग होते हैं जो आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार होते हैं।

पूर्व दिशा: यह दिशा बच्चों से संबंधित होती है। साथ ही यह दिशा बच्चों के स्वास्थ्य, सोच को प्रभावित करती है।

उत्तर पूर्व दिशा: यह दिशा प्यार और पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ी दिशा होती है।

वास्तु के नियम

  1. मकान का नक्शा बनाने के लिए जो प्लाट आपने चुना है उस के लिए वास्तु के नियमों का ध्यान रखना चाहिए जैसे – आपके मकान की जमीन मंदिर से थोड़ी दूरी पर हो, तो काफी अच्छा रहता है। इसी के साथ मंदिर के एकदम पीछे और दाएं-बाएं या सामने आपकी जमीन नहीं होनी चाहिए।
  2. साथ ही अगर आपकी जमीन ऐसे क्षेत्र मे स्थित है, जहां एक नदी, 5 तालाब 21 बावड़ी और 2 पहाड़ मौजूद हो तो यह अति उत्तम होगा। साथ ही आपको ध्यान रखना चाहिए कि आपकी जमीन के सामने कोई खंबा नहीं होना चाहिए। जमीन के ईशान कोण और उत्तर दिशा को छोड़कर कहीं भी पानी का टैंक नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपको त्रिकोणीय जमीन नहीं खरीदनी चाहिए।
  3. आपको जमीन की लंबाई और चौड़ाई का भी ध्यान रखना चाहिए। आपको बता दें कि किसी भी जमीन की चौड़ाई से उसकी लंबाई एक अनुपात दो अधिकतम हो सकती है। इससे ज्यादा लंबाई वाले जमीन को शुभ नहीं माना जाता। बहुत से लोग बढ़े हुए या कम अनुपात के साथ जमीन ले  लेते हैं जो की अच्छा नहीं माना जाता।
  4. इसके साथ ही आपको इस बात की  जानकारी होनी चाहिए कि जमीन के ईशान कोण से शुभ या सकारात्मक ऊर्जा की तरंगे प्रवाहित होकर नैऋत्य कोण तक पहुंचती है। इसीलिए वर्गाकार चौड़ाई से डबल लंबाई वाले जमीन को उतना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि ऐसी जमीन पर बने घर में ऊर्जा का प्रवाह ज्यादा होता है।
  5. साथ ही जैसे-जैसे जमीन की चौड़ाई से उसकी लंबाई बढ़ती जाती है तो ईशान कोण से प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को नैऋत्य कोण तक पहुंचने में ज्यादा समय लगता है, जिससे ऊर्जा का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसलिए ऐसी जमीन व्यक्ति के लिए शुभ नहीं मानी जाती है।
  6. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य दरवाजा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए घर का नक्शा बनाते समय उसके दरवाजे को भी अहम स्थान दिया जाता है। इसी के साथ घर के मुख्य दरवाजे पर मांगलिक चिन्ह जैसे ॐ या स्वास्तिक का प्रयोग करना चाहिए।
  7. साथ ही आपको ये भी ध्यान रखना चाहिए कि घर में मुख्य दरवाजे जैसे अन्य दरवाजे नहीं बनाने चाहिए। मुख्य दरवाजे को फूल, पत्र, लता आदि के चित्र से सजाना चाहिए। घर के मुख्य दरवाजे के लिए पूर्व दिशा सबसे अच्छी और सही मानी जाती है। इस दिशा में घर के मुख्य दरवाजे के होने से घर में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है। पूर्व दिशा मे उपलब्धता न होने पर आप उत्तर दिशा में भी मुख्य दरवाजा बना सकते हैं।
  8. बिना आंगन आपका घर आधा-अधूरा सा लगता है इसलिए घर के नक्शे में आंगन भी बहुत आवश्यक होता है। आँगन के संबंध मे आपको सदैव यह बात ध्यान मे रखनी चाहिए कि घर के आगे और पीछे नाही बल्कि घर के बीचोंबीच एक, छोटा ही सही पर आंगन अवश्य बनवाएं।
  9. घर के आंगन में गंदगी कभी नहीं होनी चाहिए साथ ही कोशिश करें कि घर का आँगन हमेशा गीला न रहे। अगर घर के बीचोंबीच बना आँगन हमेश साफ सुथरा और स्वच्छ रहेगा तो ऐसे घरों मे हमेशा पितरों का आशीर्वाद बना रहेगा और वहाँ धन की कभी कमी नहीं रहेगी।
  10. घर के आँगन मे अगर कच्ची मिट्टी का फर्श है तो आपको वहाँ तुलसी, आंवला, कढ़ी पत्ते का पौधा, अनार, जायफल आदि का पौधा लगाना चाहिए। इसके अलावा आप सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाले फलदार पौधे भी अपने घर के आंगन में लगा सकते हैं।
  11. घर में स्नानघर और शौचालय का नक्शा बनाते समय आपको वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। थोड़ी सी भी चूक होने पर इसके कारण घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र में स्नानघर और शौचालय को चंद्रमा और राहू का स्थान माना जाता है।
  12. स्नानघर में चंद्रमा तथा शौचालय में राहु का वास होता है। इसी लिए घर मे शौचालय और स्नानघर कभी भी एक साथ नहीं बनाने चाहिए। क्योंकि घर मे चंद्र और राहु का एक साथ होने का मतलब है चंद्रग्रहण। इसलिए घर में परेशानियां उत्पन्न होती है। इस तरह का बाथरूम घर में निश्चित रूप से परेशानी लेकर आता है।
  13. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के नक्शे में सीढ़ियां उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए या पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होनी चाहिए। घर में सीढ़ियां हमेशा नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम), दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। नैऋत्य कोण की दिशा में सीढ़ियां होना शुभ माना जाता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  14. इसी के साथ सीढ़ियों को हमेशा विषम संख्या 7,11, 15,19 आदि में बनाना चाहिए। विषम संख्या की सीढ़ियां घर में खुशियां और शांति लाती है। साथ ही घर के मालिक के लिए यह काफी लाभदायक होता है। ऐसा माना जाता है कि घर में 17 सीढ़ियां सर्वाधिक शुभ होती हैं।
  15. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में पूजा घर का स्थान सबसे महत्वपूर्ण होता है और यह घर में शांति बनाए रखता है। आपको वास्तु के विशेषज्ञ से पूछकर घर में पूजा घर बनवाना चाहिए। अन्यथा आपको काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा अगर आपका पूजा घर वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाया जाएं, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
  16. घर में पूजा घर ईशान कोण में यानी उत्तर पूर्व दिशा मे होना चाहिए। पूजा घर में ध्वजा, कलश (विशेष मौकों को छोड़कर), त्रिशूल के साथ शिवलिंग इत्यादि नहीं रखनी चाहिए। पूजा घर के लिए सफेद, हल्का पीला अथवा हल्का गुलाबी रंग को शुभ माना जाता है। पूजा घर के ऊपर या नीचे शौचालय, रसोईघर नहीं बनाना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे कभी पूजा घर नहीं बनाना चाहिए।
  17. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के नक़्शे में शयनकक्ष (बेडरूम) यानी घर का बेडरूम दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यदि घर में ऊपरी मंजिल पर बेडरूम है तो उपरी मंजिल के दक्षिण पश्चिम कोने में बहुत शुभ माना जाता है।
  18. बेडरूम में सोते समय, बिस्तर के सिर वाला हिस्सा हमेशा दीवार से सटाकर सोना चाहिए। ये हमेशा याद रखिए कि सोते समय पैरों को दक्षिण और पूर्व दिशा में करके कभी नहीं सोना चाहिए। साथ ही उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ होता है।
  19. पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से शरीर की थकान खत्म होती है और जातक को अच्छी नींद आती है। साथ ही सोने वाले बिस्तर के सामने कभी भी आईना यानी  दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इसके कारण घर मे अक्सर पति-पत्नी के झगड़े होते रहते हैं।
  20. वहीं बेडरूम के दरवाजे के ठीक सामने कभी भी  पलंग नहीं लगाना चाहिए। डबल बेड के गद्दे अलग-अलग नहीं होने चाहिए। बेडरूम में दरवाजे की तरफ पैर करके कभी नहीं सोना चाहिए। साथ ही बेडरुम के दरवाजों से आवाज नहीं आनी चाहिए।
  21. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में अध्ययन कक्ष के लिए पूर्व, उत्तर, ईशान कोण और पश्चिम दिशा सबसे अच्छी मानी जाती हैं। साथ ही अध्ययन करते समय दक्षिण तथा पश्चिम दिशा से सटकर पूर्व तथा उत्तर की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। वहीं पीठ के पीछे दरवाजे और खिड़की नही होनी चाहिए। इसी के साथ किताब रखने की अलमारी दक्षिण दीवार या पश्चिम दीवार पर होनी चाहिए।
  22. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में-रसोईघर के लिए सबसे उपयुक्त दिशा आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा मानी जाती है जो कि अग्नि देव का स्थान होता है। साथ ही उत्तर-पश्चिम दिशा भी रसोईघर के लिए उपयुक्त होती है। उत्तर या पूर्व दिशा में बैठकर भोजन करना चाहिए।
  23. इसके अलावा अगर आप भोजन हमेशा किचन में ही बैठकर करें तो आपको काफी लाभ होने लगेगा। बर्तन, मसाले, राशन पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। किचन में दवाइयां नहीं रखनी चाहिए, इससे घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  24. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में घर के ड्राइंग रूम के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा या नैऋत्य कोण की दिशा शुभ मानी जाती है। इस के अलावा बैठते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। टीवी दक्षिण-पश्चिम या अग्नि कोण में रखना चाहिए। वही इस कमरे में आप पूर्वज की फोटो दक्षिण या पश्चिम दिशा पर लगा सकते हैं। दीवारों का रंग हल्का नीला, आसमानी नीला, क्रीम, हरे रंग का होना चाहिए।
  25. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के नक़्शे में घर की बालकनी के लिए उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है इससे जातक को लाभ होता है। बालकनी बनवाते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें।
  26. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में पानी की टंकी के लिए उत्तर पूर्व या दक्षिण पश्चिम में पानी का टैंक बनवाना चाहिए। इससे ऊंचाई पर वजन होता है इसीलिए दक्षिण-पश्चिम दिशा शुभ मानी जाती है।
  27. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में घर में स्विमिंग पूल बनाने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा सबसे सही और उत्तम मानी जाती है।
  28. वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में घर का बाहर का गेट, आम तौर पर उत्तर, उत्तर पूर्व और पूर्व दिशा में शुभ माना जाता है। साथ ही पूर्व या उत्तर दिशा में बाहरी गेट रखने से सब अच्छा होता है।

वास्तु के अनुसार घर के नक़्शे में घर की प्रत्येक दिशा में क्या होना चाहिए

उत्तर दिशा

इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की दरवाजे होनी चाहिए। घर की बालकनी वॉश- बेसिन इसी दिशा में होना चाहिए। अगर घर का द्वार इस दिशा में है, तो काफी उत्तम माना जाता है।

दक्षिण दिशा

दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुला स्थान या शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। इस स्थान पर आप घर के भारी सामान रख सकते हैं। अगर इस दिशा में दरवाजा या खिड़की है, तो नकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी और ऑक्सीजन का स्तर भी कम रहेगा। इससे घर में तनाव आदि बढ़ सकता है।

पूर्व दिशा

पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा मानी जाती है। इसलिए इस दिशा से सकारात्मक ऊर्जा हमारे मकान में प्रवेश करती है। अगर हमारे घर का दरवाजा इस दिशा में होता है, तो उत्तम माना जाता है इस दिशा में आप खिड़कियां भी लगा सकते हैं।

पश्चिम दिशा

घर की इस दिशा मे आप शौचालय बना सकते हैं। किचन और शौचालय आसपास ना हो इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

अपनाएं ये वास्तु नियम

इसी के साथ घर का मुख्य दरवाजा ईशान कोण, उत्तर दिशा, वायव्य कोण और पश्चिम दिशा में से किसी एक दिशा में होना चाहिए। वहीं घर के बीचोंबीच मे आंगन हो, जिसके बीच में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। साथ ही दरवाजे दो पट का होना चाहिए या बीच में से अंदर खुलने वाला दरवाजा होना चाहिए।

घर में बहुत सारे देवी-देवताओं की फोटो या मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। इसी के साथ सीढ़ियां विषम संख्या 5,7,9 में होनी चाहिए। किसी भी तरह के नकारात्मक पौधे घर में नहीं लगाने चाहिए। साथ ही घर में टूटे बर्तन और कबाड़ को इकट्ठा नहीं करना चाहिए। अगर आप केवल इन नियमों का भी पालन कर लेंगे तो आपके घर मे हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।

निष्कर्ष

मकान का नक्शा बनाते समय मकान के लिए 2डी नक्शा 3डी नक्शा और एलिवेशन का नक्शा भी बनवाना जरूरी होता है जिससे घर के निर्माण कार्य करने में आसानी हो जैसे कहां पंखा लगेगा, कहां पर लाइट्स लगेगी, कहां वार्डरोब होगा, कहा किचन, कहा बाथरूम, कहा स्टडी रूम होगा इत्यादि। यह सब 3डी नक्शे में सम्मिलित होते हैं। इन सभी बातो को मद्देनजर रखकर गृह निर्माण कराते हैं तो आपका घर वास्तु शास्त्र के अनुसार संपन्न घर बनेगा |