2024 बसंत पंचमी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और अबूझ मुहूर्त, महत्व और कैसे प्रसन्न करे माता सरस्वती को?

बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित है। विद्या, संगीत, कला आदि से जुड़े लोगो के लिए ये दिन बहुत महत्वपूर्ण है। बसंत पंचमी का त्योहार क्यों मनाते हैं? 2024 मे बसंत पंचमी कब है? शुभ-पूजन मुहूर्त, अबूझ मुहूर्त और महत्व? इसकी शुरुआत कब से हुई और वसंत पंचमी से जुड़ी हुई छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातें, जिस के उपाय से हम अपने जीवन को सुखद बना सकते है। आइए जानते है विस्तार से।

2024 बसंत ऋतु का सविस्तार परिचय

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को “बसंत पंचमी” मनाई जाती है। ये पर्व विद्या, कला, संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। बसंत पंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उत्साह से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं।

प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को छह ऋतुओं (मौसमों) में बाटा गया है, उनमें बसंत (बसंत ऋतु) लोगों का सबसे मनपसंद मौसम है। जब फूलों पर बहार आ जाती है , खेतों में सरसों के फूल चमकने लगते है, जौ और गेहू की बालिया खिलने लगती है।

आमों के पेड़ों पर बौर आ जाते है और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलिया मडराने लगती है। बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पाचवें दिन एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु और कामदेव (बसंत ऋतू के पिता) के साथ माता सरस्वती की पूजा होती है, इसलिए यह “बसंत पंचमी” का त्यौहार कहलाता है।

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शास्त्रों में बसंत पंचमी को “ऋषि पंचमी”, “मधुमास”,” ज्ञान पंचमी”, “माघ पंचमी”, “श्री पंचमी” के नाम से भी ल्लेखित किया गया है | बसंत पंचमी माता सरस्वती का दिन है। ऐसा माना गया है माता को पीला चावल बहुत पसंद है इसलिए हर घर में पीला मीठा चावल, मिठाई, केसरिया खीर, बासुंदी, केसरिया चावल (तहरी), कुरकुरी बसंती पुरी, केसर पेड़ा, केसरी हलवा और कढ़ी पकोड़ा इत्यादि का भोग भी लगता है।

बसंत पंचमी का महत्व

हिंदू परंपराओं के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है, जिसमें बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल हैं। मान्यता है कि माघ शुक्ल पंचमी से बसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है।

वर्ष की सारी ऋतुओं में बसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है और इस दिन पंचमी तिथि भी होती है इसलिए बसंत ऋतु के नाम पर ‘बसंत’ और तिथि ‘पंचमी’ होने के कारण इसे ‘बसंत पंचमी’ कहा जाता है। इस दिन से शीत ऋतु का समापन होता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है।

हर तरफ खेतों में फसले लहलहा उठती हैं। इस ऋतु में मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों में भी नई चेतना का संचार होता है। फल – फूल सब खिलने लगते हैं और हर तरफ खुशहाली आ जाती है।

बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व

पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। बसंत ऋतु के आते ही प्रकृति का कण- कण खिल उठता है। मनुष्य के साथ – साथ पशु-पक्षी तक उत्साह से भर जाते हैं। हर दिन, एक नयी उमंग के साथ सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।

यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है पर बसंत पंचमी (माघ शुक्ल पंचमी ) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है।

जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदा की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों के लिए सरस्वती पूजन यानि की बसंत पंचमी का महत्व बिलकुल वैसा ही है, जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है |

बसंत पंचमी का धार्मिक महत्त्व

सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी जब सृष्टि भ्रमण के लिए निकले तो उन्होंने देखा उनके द्वारा रचित संसार में चारों ओर सुनसान वातारण था, संसार निर्जन ही दिखाई दिया | वातावरण बिल्कुल शांत था, कोई वाणी (मूक) नहीं थी तब ब्रह्मा जी ने अपने जल – कमंडल से जल छिड़का जिससे पूरी सृष्टि कम्पित होने लगी और तभी एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री (माँ सरस्वती) प्रकट हुई, जिनके हाथ में वीणा, माला और पुस्तक थी।

मां सरस्वती ने अपनी वीणा से बसंत राग छेड़ा। इसके फलस्वरूप सृष्टि को वाणी और संगीत की प्राप्ति हुई। देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि तथा विवेक को सृष्टि के आयामों मे स्थापित किया, फिर ये महत्ततव के साथ पूरी सृष्टि मे व्याप्त हो गए, जिससे संसार को ज्ञान का प्रकाश मिला।

जिस दिन देवी सरस्वती प्रकट हुई उस दिन माघ शुक्ल ‘पंचमी’ की तिथि और ‘बसंत ऋतु’ के आगमन का दिन था इसलिए इस दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है और मां सरस्वती के प्रकट होने के उपलक्ष्य में घर-घर में बसंत पंचमी की विशेष पूजा (माँ सरस्वती की पूजा) का विधान है।

बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व

बसंत पंचमी से ठंड का समापन होने लगता है। मौसम में संतुलन बना रहता है। इस दिन पीले रंग का बहुत उपयोग होता है। हिंदू धर्म में तो इस रंग का बहुत महत्व है किंतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पीला रंग बहुत ही महत्वपूर्ण रंग है। यह रंग डिप्रेशन दूर करता है, दिमाग को पूर्णता सक्रिय करने में और और आत्मविश्वास में वृद्धि करने में सहायक होता है।

प्रकट होने के बाद देवी सरस्वती ने जिस विद्या और बुद्धि तथा विवेक को इस सृष्टि मे स्थापित किया वो Natural Intelligence था। आज वैज्ञानिकों मे इसी इन्टेलिजन्स को artificially (यानी कृतिम रूप से) बनाने की होड़ मची है। लेकिन उन्हे (आज के वैज्ञानिकों को) जड़ और चेतन को जोड़ने वाली जो कड़ी है, उसके बारे मे प्रारम्भिक ज्ञान भी नहीं है। इसलिए सफलता कि संभावना संदिग्ध है।

बसंत पंचमी 2024 की तिथि

हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से हो रही है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी 2024 पर पूजा का शुभ मुहूर्त

14 फरवरी को बसंत पंचमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दिन पूजा के लिए आपके पास करीब 5 घंटे 35 मिनट तक का समय है।

बसंत पंचमी का अबूझ मुहूर्त

बसंत पंचमी के दिन को “अबूझ मुहूर्त” माना जाता है (इस दिन पंचांग या किसी भी शुभ मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं होती है इसीलिए इसदिन को “अबूझ मुहूर्त” माना गया है) ये दिन सम्पूर्ण रूप से शुभ ही शुभ है।

इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, समस्त 16 संस्कार, खासकर विद्यारंभ संस्कार करने से करियर, धन, वैवाहिक जीवन, में सफलता मिलती है। इस दिन श्रेष्ठ योग बनने के कारण समस्त मंगल कार्यो के शुभारम्भ करने से सभी देवी देवताओ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

बसंत पंचमी पूजन संपूर्ण विधि क्या है?

बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करके सरस्वती पूजा का संकल्प लें। मां सरस्वती के पास भगवान गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करके और गंगाजल से स्नान कराने के बाद पीला वस्त्र पहनाए, उसके उपरांत कोई पुस्तक, वाद्य यंत्र, कलम या कोई भी कलात्मक चीज अवश्य रखें।

गेंदे की माला, अक्षत (पीला चावल हल्दी में रंगा हुआ ), चंदन, रोली, कुमकुम, पीला पुष्प, धूप-दीप, गंध अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाये। सरस्वती वंदना एवं मंत्र से पूजन करें। चाहे तो ‘सरस्वती कवच’ का भी पाठ कर सकते हैं।

हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर ले और ‘ओम श्री सरस्वती नमः स्वाहा’ मंत्र की एक माला का 108 बार जाप करते हुए हवन करें।

अंत में खड़े होकर सरस्वती माता और गणेश जी की आरती करे। इसके उपरान्त भगवान गणेश और माता सरस्वती से पूजा मे हुई भूल-चूक के लिए क्षमा-याचना करे। इसके पश्चात पूजा मे सम्मिलित लोगो को प्रसाद वितरण करे।

बसंत पंचमी के महा उपाय

श्रेष्ठ फल प्राप्ति के लिए

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को कलम अर्पित करें और साल भर इस कलम का प्रयोग करें। सफेद या पीले वस्त्र जरूर धारण करें। सात्विक भोजन करें और खुश रहे। घर में केसर युक्त खीर जरूर बनाएं और चाहे तो इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी कर सकते हैं। बसंत पंचमी में स्फटिक की माला को अभिमंत्रित करके धारण करना भी श्रेष्ठ परिणाम देता है।

बच्चों की पढ़ाई मे एकाग्रता के उपाय

बच्चा जी चुराता है पढ़ाई से तो करें ये दो उपाय- 1-बच्चों के हाथ से स्टडी टेबल पर माता सरस्वती का चित्र लगवाए। उनके हाथों से पीले रंग का फूल माता को अर्पित करवाए और उसी दिन उनके हाथों से ‘मोरपंखी का पौधा’ घर पर लगवाए ।

फिर माता सरस्वती के मूल मंत्र “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” का जाप करवाए। अगर यह मंत्र कठिन लग रहा हों तो माता सरस्वती के बीज मंत्र ऐं का ही जाप करने को कहें। यह बीज मंत्र ऐं बहुत ही चमत्कारी है । आप केवल १० दिनों मे ही इसके स्तब्ध कर देने वाले परिणाम को अनुभव करेंगे।

ग्रह दोष से मुक्ति के उपाय

कुंडली में बुध कमजोर हो तो बुद्धि कमजोर हो जाती हैं, ऐसी स्थिति में मां सरस्वती की उपासना करें, माता को हरे फल-फूल अर्पित करें। अगर बृहस्पति कमजोर हो जाए तो विद्या में बाधा आती है तो इसके निवारण के लिए पीले वस्त्र पहनकर पीले फल फूल माता कोअर्पित करें।

अगर शुक्र कमजोर हो तो मन की चंचलता होती है और करियर का चुनाव नहीं हो पता अतः ऐसी स्थिति में सफेद फूलों से मां सरस्वती की उपासना इन मंत्रो से करे मंत्र – ” या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”॥

वाणी दोष से मुक्ति के उपाय

यदि आपको या आपके घर में किसी भी बच्चे को बोलने में दिक्कत आती है अथवा हकला कर बोलना होता है तो आपको यह उपाय उनके हाथ से करवाना चाहिए। उपाय के अनुसार बसंत पंचमी के दिन एक चांदी की बांसुरी ले कर आये और इस में शहद भर कर मां सरस्वती को अर्पित करने से उनकी हकलाने व बोलने में आने वाली समस्या से मुक्ति मिल जाएगी । ठीक होने के बाद भी इस उपाय को छोड़ना नहीं हैअपितु यह उपाय लगातार तीन बसंत (तीन वर्ष) तक करना है।

मानसिक विकास हेतु उपाय

अज्ञानता की बुराइयों को खत्म करने और मानसिक विकास के लिए आपको नीचे दिए गए मां सरस्वती के मन्त्र का जाप बसंत के दिन से शुरू करना है इसमें स्फटिक माला तथा श्वेत आसन आवश्यक है। प्रतिदिन एक माला का जाप करना है। यह जाप भी एक वर्ष तक लगातार करना है।

मन्त्र-

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥

मां को प्रसन्न करने हेतु उपाय

अगर आप मां सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते है तो इस मंत्र का नित्य ग्यारह माला चन्दन की माला से जाप करे और माता को सफेद पुष्प अर्पित करे।

मंत्र -.

“ॐ शारदा माता ईश्वरी में नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय “।

कलात्मक क्षेत्र में प्रसिद्धि हेतु उपाय

अगर आप संगीत या काव्य आदि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तथा इस कार्य में प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो तो आप नीचे दिए गए मां सरस्वती के मन्त्र का प्रतिदिन ग्यारह माला जाप (स्फटिक की माला या चन्दन की माला) से करें। यह मंत्र आप को देखते ही देखते नयी सफलता की नयी ऊंचाई पर ले जायेगा |

मंत्र –

“सरस्वती महाभागे विद्ये कमल लोचने विश्वरूपे विशालाक्षी विद्याम देहि नमोस्तुते”।।

मां सरस्वती की कृपा पाने हेतु उपाय

अगर आप मां सरस्वती की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको नीचे दिए गए मां सरस्वती के मन्त्र का जाप बसंत पंचमी के दिन से शुरू करना है। इसमें चन्दन की माला आवश्यक है, तथा यह जाप आपको ग्यारह माला प्रतिदिन करना है यह मंत्र भी बहुत शक्तिशाली मंत्र है। इसको लगातार करते रहने से मां सरस्वती की अपार कृपा आप पर सदैव बानी रहेगी।

मंत्र –

“ॐ वागीश्वर्ये विद्महे वाग्वादिन्यै धीमहि तन्नः सरस्वति प्रचोदयात”।।

ज्ञान प्राप्ति हेतु उपाय

यदि आप ज्ञान प्राप्ति के लिए उपाय करना चाहते हैं तो आपको नीचे दिए गए मां सरस्वती के मन्त्र का जाप बसंत पंचमी के दिन से शुरू करना है, जिसमे स्फटिक माला तथा श्वेत आसन आवश्यक है। प्रति दिन ग्यारह माला जाप करना है। यह जाप आपको एक वर्ष तक लगातार करना है।

मंत्र –

“ॐ नमः पद्द्मासने शब्द रूपे ऐं ह्रीं क्लीं वद् वद् वाग्वादिनी स्वाहा” ||

धन प्राप्ति के उपाय

मां सरस्वती का ध्यान करके बसंत पंचमी के दिन से इस मंत्र का जाप शुरू करना है जिसमे स्फटिक माला तथा श्वेत आसन आवश्यक है। प्रति दिन ग्यारह माला जाप करना है। यह जाप आपको एक वर्ष तक लगातार करना है।

मंत्र –

“ॐ अर्ह मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा”।

 बसंत पंचमी में क्या करना चाहिए और क्या नही

बसंत पंचमी में क्या करे – इस दिन तामसिक भोजन न करे सिर्फ सात्विक भोजन करे। किसी मनुष्य, जीव-जंतु, पशु-पक्षी को न सताए । मां सरस्वती विद्या, बुद्धि, गायन व स्वर की देवी मानी जाती है | इस दिन स्टेशनरी से संबंधित सामान जैसे कॉपी, पेंसिल, पेन, किताब इत्यादि जरूरतमंद बच्चों को बाटें। गरीबो मे अन्न, फल- फूल, मिठाई आदि का दान करे ऐसा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती है।

बसंत पंचमी मे क्या न करे – बसंत पंचमी में घर में किसी से झगड़ा ना करें, फसले ना काटे, पेड़ पौधों को तोड़ने से बचे, बड़ों का आदर करें, उनकी अवहेलना न करें। धूम्रपान न करें। लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन और मांसाहार जैसे राक्षसी भोजन का सेवन न करें, बिना स्नान किये भोजन ग्रहण न करें।

बसंत पंचमी और पीला रंग मे संयोजन

बसंत पंचमी मे पीला रंग ही क्यों पहने, यही प्रश्न सबसे पहले दिमाग मे आता है, इन मे क्या संयोजन (संबंध) है, आईए बताते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है उनका प्रिय रंग पीला है और हिंदू धर्म में पीला रंग शुभ का सूचक है।

यह जीवन की जीवंतता और प्रकृति की जीवंतता का प्रतीक है। पीला रंग जीवन में सकारात्मकता (समृद्धि), नई किरण, नई ऊर्जा लेकर आता है। यही वजह है कि पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है। पीले रंग को माँ सरस्वती, बसंत ऋतु, कृषि कार्य और होली आगमन से जोड़कर भी देखा जाता है।

बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, फसलें पकने लगती हैं, फूलों का सौंदर्य पृथ्वी की सुंदरता बढ़ाता है इसलिए ऊर्जा का रूप कहे जाने वाले पीले रंग की प्रधानता बसंत पंचमी पर्व से शुरू हो जाती है | इस दिन पीला पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। मन शांतिमय होकर प्रफुल्लित हो उठता है |

बसंत पंचमी में कैसे करें राशि के अनुसार पूजा जिससे परीक्षा में मिले सफलता ?

मेष राशि

श्वेत रंग के वस्त्र पहनकर सरस्वती कवच का पाठ करके पूजन करें, ऐसा करने से बुद्धि और एकाग्रता बढ़ती है। भगवान हनुमान जी की पूजा कर उनके बाएं चरण का सिन्दूर लेकर बसंत पंचमी से नित्य तिलक करें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें। विद्या व बुद्धि के लिए सरस्वती माँ के बीज मंत्र ‘ऐं’ मंत्र का जाप करें।

वृषभ राशि

माता सरस्वती को सफेद चंदन का तिलक लगाए, फूल इत्र और मिठाई का भोग लगाएं और साथ ही अपने गुरु का आशीर्वाद लेने से भी ज्ञान की प्राप्ति होती होती है। इमली के 22 पत्ते लेकर माता सरस्वती के यंत्र या चित्र पर चढ़ाएं और पूजा करें। उसके उपरांत उन पत्तों में से 11 पत्ते लेकर अपने पास सफेद वस्त्र में लपेटकर रखें, सफलता मिलेगी।

मिथुन राशि

इस दिन माता सरस्वती को हरे रंग के वस्त्र अर्पण करने चाहिए और हरे रंग का पेन भी। ऐसा करने से माता सरस्वती के साथ बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, लेखन संबंधी समस्या दूर होती है। भगवान गणेश जी का यथा उपचार पूजन कर यज्ञोपवीत चढ़ाएं तथा 21 दूर्वादल के अंकुर 21 बार “ॐ गं गणपतये नम:” का जप कर चढ़ाएं। विद्या प्राप्ति के विघ्न दूर होंगे।

कर्क राशि

माता सरस्वती और भगवान गणेश को खीर का भोग लगाए, संगीत में रुचि रखने वाले छात्रों को ऐसा करने से बहुत ही लाभ मिलता है। माता सरस्वती के यंत्र या चित्र पर “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” का जाप करके आम के बौर चढ़ाएं।

सिंह राशि

माता सरस्वती के सामने बैठकर मां गायत्री के मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से विदेश में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले छात्रों की इच्छा पूर्ति होती है।

कन्या राशि

इस दिन गरीब बच्चों में पढ़ने की वस्तुएँ जैसे पेन, पेंसिल, पुस्तके आदि का दान करें। ऐसा करने से पढ़ाई में आ रही समस्याएं अपने आप दूर होती है।

तुला राशि

ब्राह्मण को सफेद कपड़े, फल, मिठाई, दान में देने से छात्र को वाणी से संबंधित परेशानी से निजात मिलता है।

वृश्चिक राशि

“सरस्वती आराधना” करे, पूजा के बाद माता सरस्वती को लाल रंग का पेन चढ़ाना चाहिए। माता सरस्वती का पूजन कर श्वेत रेशमी वस्त्र चढ़ाएं तथा कन्याओं को दूध से बनी मिठाई खिलाएं और “ऐं सरस्वत्यै नमः” का जप करें।

धनु राशि

पीले रंग की मिठाई, माता सरस्वती को अर्पित करना चाहिए, ऐसा करने से निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और उच्च शिक्षा की इच्छा रखने वालों की इच्छा की भी पूर्ति होती है।

मकर राशि

माता सरस्वती पर सफेद रंग का अनाज चढ़ाकर उसे गरीब को दान देने से माता की कृपा बरसती है और बुद्धि बल में विकास होता है।

कुंभ राशि

गरीब बच्चों में स्कूल बैग और स्टेशनरी से संबंधित वस्तुएं दान करने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।

मीन राशि

इस दिन माता पर छोटी कन्याओं के पीले रंग के वस्त्र चढ़ा के उसे गरीब कन्याओं में दान करने से कैरियर में आने वाली समस्याओं का निवारण होता है।