अंक शास्त्र का रहस्य

the-mystery-of-numerologyअंक शास्त्र का रहस्य प्राचीन काल से ही विद्वानों के लिए सम्मोहक रहा है | प्राचीन ग्रीक विद्वानों और दार्शनिको का यह दृढ विश्वास था कि जो अंक हमारे गणित शास्त्र मे गणना करने का महत्व रखते है दरअसल भौतिक जगत मे उन अंकों के पीछे एक रहस्य छुपा हुआ है | टामस टेलर नामक विद्वान जिसने “आयमब्लीकस” की पुस्तक “लाइफ आफ पैथागोरस” का अग्रेजी में अनुवाद किया, ने कहा है कि पैथागोरस ने ऑरफेव से बुद्ध एवं प्रबुद्ध अंकों के सिद्धान्त को ग्रहण किया, इसके कारण उनकी अवरुद्ध प्रगति तो इतनी चल निकली कि जितना उनके राज्यक्षेत्र का विस्तार न हो सका ।

पैथागोरस ने इसी संदर्भ में अपने ग्रन्थ ‘दुर्लभ परिसंवाद’ में स्पष्ट रूप में कहा है कि “अंक, सभी के विचार और आकृति के तौर तरीको को नियंत्रण में रखते है इसीलिए सभी ईश्वरीय कारणो और विध्वंस के कारणो का परिणाम भी अंक बताते है | अंकों का प्रयोग किसी भी वस्तु की संख्यात्मक मूल्यो की अभिव्यक्ति के लिए होता है जिसमे इकाई एक आधार है। इकाई का समग्र अर्थ शून्य अर्थात जीरो से है। जीरो से ही सारे अंक निकलते हैं और जीरो मे ही विलीन हो जाते है । अर्थात ब्रहमाड (शून्य ) सारे ग्रहो (अंकों) की गोद है जिसमे सभी ग्रह समाहित है ।

अतः ऐसा माना जाता है कि पहले से लेकर अन्तिम संख्या के अंकों का प्रतिनिधि १० है । अर्थात् गिनती के सभी अंक यहाँ तक चलने के बाद मात्र आवृत्ति करते है जबकि उनकी सख्या में नयापन कुछ नही होता है। इसी तरह अगर हम हिब्रू वर्णमाला की बात करें तो हिब्रू वर्णमाला मे अल्फा से ओमेगा तक सारी गिनती सिमट जाती है ।

अगर हम अंकों को एक क्रमानुसार सख्याओं में एकत्र करके देखते है तो हमे एक चमत्कारी संख्या भी देखने को मिलती है। अंक निम्नलिखित है और जीरो (शून्य) इनका जीवन क्षेत्र 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 | अंकों की उपरोक्त शृखला में से अब अगर पहले और आखिरी अंको को क्रमागत आगे और पीछे की ओर से रखकर जोडा जाये तो क्या परिणाम निकलेगा- देखे।

1 तथा 1 बराबर 10

2 तथा 8 बराबर 10

3 तथ 7 बराबर 10

4 तथा 6 बराबर 10

5 तथा 5 बराबर 10

इनमे मध्य अंक 5 का विशेष महत्व है | 5 अंक व्यक्त करता है मनुष्य की प्राकृतिक विशेषताओ को जो कि पंच तत्व के आधार पर बना हुआ है|  इसीलिए मनुष्य के दोनो हाथो मे 5-5 अंगुलिया है ।। पैरो की पाच-पांच अगुलिया अपना महत्व रखती है। चाईनीज तथा हिन्दू धार्मिक ग्रथो मे पंचभूत अर्थात् पाच देवताओ का वर्णन होता है।

पाच वस्तुओ का जहाँ आध्यात्मिक महत्व है वहा सामाजिक और राजनैतिक तथा आर्थिक जीवन मे पाच अपना स्थान ग्रहण कर चुका है । धार्मिक संस्कारो मे पाच विप्र ही दैनिक जीवन की पांच क्रियाओ का सांसारिक महत्व समझाते है । भारत मे जिस प्रकार धार्मिक रूप से पाच को पवित्र तथा प्रबुद्ध अंक माना जाता है वैसे ही चीन मे 5 को ईश्वरीय शक्ति का मेरु दण्ड माना जाता है |

5 की उपलब्धि बहुत भाग्यवर्धक मानी जाती है समाजवादी देशो मे सप्ताह में काम करने के लिए 5 दिन का महत्व भी शायद इसी श्रंखला की एक उपलब्धि है। चीनी शब्द WU Hing की पाच महत्वपूर्ण अनुकरणीय बातें चरित्र में महत्व रखती है। पाच प्रकार के दण्ड विधान और पाच भौतिक तत्व है | ये पाच भौतिक तत्व है-मिट्टी, काष्ठ, धातु, अग्नि और ‘जल, इनका अधिकार पांच ग्रहों के अधीन है।

शनि- पृथ्वी अर्थात् मिट्टी का अधिपति है । गुरु- काष्ठ, अर्थात लकड़ी का अधिपति है। शुक्र-धातु, सोना, चादी, पीतल आदि का अधिपति है । मंगल- अग्नि का अधिपति है। बुध– जल तत्व का अधिपति है । 

इस प्रकार चीनी संस्कृति मे पाच तत्वो को पाच प्रमुख ग्रहो के साथ जोड़ कर रखा गया है। जैसे-मिट्टी को मिट्टी ग्रह, काष्ठ अर्थात लकड़ी को काष्ठ ग्रह, धातु को धातु ग्रह, जल को जल ग्रह और आग को अग्नि ग्रह के नाम से सबोधित करते है ।

इसी प्रकार मनुष्य के आचरण और चरित्र के व्यवहार को पाच नियमो (सीमाओं) मे इस प्रकार बाधा गया है। जैसे-सतान के प्रति वात्सल्य प्रेम, स्वामी भक्ति, दाम्पत्य जीवन की कर्तव्यनिष्ठा, आज्ञाकारिता और सदाशयता । इन पाचो चरित्रगुणो का सम्बन्ध मनुष्य के कर्म व्यवहार से जुड़ा है जैसे संतान और माता पिता के आपसी सम्बन्ध आज्ञाकारिता और सदाशयता के साथ, शासक (राजा) और प्रजा के बीच स्वामी भक्ति की कड़ी जुड़ी रहती है |

पति पत्नी के बीच दाम्पत्य जीवन की कर्तव्य निष्ठा तथा मालिक और नौकर के बीच आज्ञाकारिता तथा मित्र के सम्बन्ध सदाशयता में ही प्रगाढ होते है | प्राचीन संस्कृतियों में पाच किस्म के दण्ड विधान भी नियत है जैसे-आर्थिक दण्ड, डण्डे से पिटाई, कोडा या चाबुक मारना, देश निकाला देना और पाचवा है प्राण दण्ड ।

इस प्रकार दण्ड प्रक्रिया में भी अंक 5 एक व्यापक आधार स्तम्भ बनाया गया है। अतः ऐसा कहा जा सकता है कि अक पांच मानवता और मानवीय सम्बन्धो का सूत्रधार अंक है । मनुष्य एक ऐसे धरातल के मध्य में स्थित है जहा एक ओर प्रत्यक्ष संसार है तो दूसरी ओर अप्रत्यक्ष विश्व । इसके बीच में वह वास्तविक ( Material) तथा अवास्तविक (Immaterial) संसार को मापने मे व्यस्त है जिसमे उसके सहायक तन्तु है अनुभूति तथा विचार | 

मनुष्य,  जो कि सभी भौतिक और अभौतिक तत्वो का मूर्त रूप है, उसमे ब्रहमाड का सार भी निहित है वह इस विशाल ब्रह्मांड का ही एक सूक्ष्म अणु तत्व है । मानव जीवन का रहस्य अंकों की सजीवता से बहुत गहराई से जुडा हुआ है। अत. अब सभी मूल अकों के विश्लेषण और प्रसार के क्षेत्र में 5 का विशेष महत्व है | वह हर जगह एक मध्यस्थ है।

एक सार्थक माध्यम है, तथा व्याप्ति और संकुचन का मेरुदण्ड भी है | सरसरी तौर पर यहाँ देखें कि अंक 5 की विशेष भूमिका क्या है ?1+2+3+4+5+6+7+8+9 = 45 या 9×5=45 अर्थात् 1 से लेकर 9 तक के अकों का कुल योग 45 होता है जो कि 9 अका का 5 गुना है

1+3+5+7+9 = 25 या 5×5=25 सभी विषम अंकों का परस्पर योग 25 है जो कि 5 अंक का 5 गुना है।

2+4+6+8 = 20 या 4×5 =  20 अर्थात सभी सम अंको का परस्पर योग 20 है जो कि 4 अंक का 5 गुना है। 

वास्तव मे अंक विज्ञान के ऐसे बहुत से चमत्कार है जो कि 5 की संख्या पर अत्यधिक केन्द्रित है। अंक विद्या के पारंगत विद्वान सेफारियल नेअपनी पुस्तक मे अंक 5 को बौद्धिक अंक भी कहा है |

सेफारियल ने बौद्धिक अंक 5 की सिर्फ अंकों की सरचना मे बुनियादी भूमिका का ही उल्लेख किया है। उपरोक्त सभी भूमिकाओं के अलावा एक महत्वपूर्ण भूमिका अंक 5 की और है । जैसे सभी अंकों का योग है 45, जिसमें विषम अंक का जोड आता है 25 और सम का जोड 20 है। यहा पर दोनो मे अन्तर (25-20)-5 का ही आता है।

लेकिन 1 से लेकर 9 तक सभी अंकों की श्रंखला का सम्बन्ध एक विशिष्ट परम्परागत चिन्ह से भी है । ये परम्परागत चिन्ह सूर्य तथा सौर मण्डल के अन्य सदस्यो के साथ जुड़े हुए भी है | यहा यह बता देना परम आवश्यक है कि अंकों के सम्बद्ध चिन्ह प्रतीक ज्योतिष शास्त्र के नवग्रहो के प्रतीक चिन्हो के गुण और भाव व्यक्त करने के लिए निर्धारित है।

इन्हे यनिट सिस्टम अथवा एकक प्रणाली अथवा इकाई नियम भी कह सकते हैं इस चिन्ह श्रंखला को कबाला से मिला देने की चेष्टा नहीकरना चाहिए, क्योंकि इससे भ्रम और संदेह पैदा हो सकते है | कबाला शृंखला के सभी चिन्ह हिब्रू अक्षर माला से सम्बन्धित है। हिब्र अक्षर माला मे कुल 22 वर्णाक्षर है |

हिब्रू वर्णमाला प्राचीन यहूदियो के साहित्य की भाषा है। आज की अग्रेजी, हिब्रू, रोमन तथा ग्रीक वर्णाक्षरो के सैकड़ों उतार चढाव और संशोधनो का परिणाम है ।