डीएनए (DNA) का फुल फॉर्म क्या है

डीएनए (DNA) का फुल फॉर्म क्या है

दोस्तों, आपने डीएनए (DNA) के बारे में ज़रूर सुना होगा और हममें से बहुत से लोगों को पता भी होगा कि यह हम सभी मनुष्यों की संरचना में एक खास महत्त्व रखता है। ये अणु बहुत जटिल है, परन्तु इसको समझना बहुत ही दिलचस्प होता है। इसका फुल फॉर्म “डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल” या अंग्रेजी में इसे Deoxyribonucleic Acid कहते हैं।

डीएनए, नाम तो सुना होगा?

डीएनए (DNA) होता है डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड। इसको आप एक लम्बी चेन वाला अणु या आनुवंशिकता की एक ऐसी इकाई कह सकते हैं जिसके अंदर उस जीवित प्राणी की संरचना का सारा डेटा और शरीर कैसे क्रिया करेगा, इसके पूरे निर्देश होते हैं।

इसके अंदर हमारे शरीर के विकास के लिए आवश्यक तत्व जैसे विटामिन, मिनरल, प्रोटीन इत्यादि के बारे में भी विस्तृत जानकारी भरी होती है। यही वो लिंक है जो आपको अपने माता-पिता से जोड़ता है और आपको उनके जैसा बनाता है।

कैसा होता है डीएनए?

इसकी जटिल और महीन संरचना के कारण एक अकेले डीएनए को केवल आँखों से देख पाना संभव नहीं होता, परन्तु इसे आप शक्तिशाली माइक्रोस्कोप से देख सकते हैं। अगर बड़ी संख्या में कोशिकाओं को मिला दें तो आप उसे बिना माइक्रोस्कोप के सीधे अपनी आँखों से भी देख सकते हैं।

डीएनए का एक अणु बनाने के लिए न्यूक्लियोटाइड की फॉस्फेट और शर्करा समूहों के साथ बारी-बारी से गुंथी हुई एक चेन जैसी श्रंखला (डबल हेलिक्स) बनती है। बनाने वाले ने भी क्या खूब बनाया है मानव शरीर! डीएनए (DNA) की जटिल महीन संरचना को देख कर ऐसा लगता है कि बहुत उच्च स्तर की कारीगरी से बनाया गया है इसे।

यह सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि सभी जीव-जंतुओं, यहाँ तक कि पेड़-पौधों, बैक्टेरिया, सूक्ष्म जंतुओं आदि सभी में पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये इतना विशाल होता है कि इसके अंदर पूरे विश्व की जानकारी समा सकती है। यदि हम किसी जीव के डीएनए की लम्बाई को पृथ्वी से सूर्य तक फैला दें तो उस दूरी को 600 बार फैलाये गए डीएनए की परत में लपेटा जा सकता है! इस महान ह्यूमन इंजीनियरिंग को देख कर हम सब अचंभित रह जाते हैं और सोचते हैं किस शक्ति के द्वारा हम सब मनुष्यों के अंदर इतनी कमाल की इंजीनियरिंग करी गई होगी!

डीएनए हम मनुष्यों के लिए ज़रूरी क्यों है?

डीएनए की खोज ने हम इंसानों के अस्तित्व और कार्यप्रणाली के बारे में बहुमूल्य जानकारी दी है जिसका अध्ययन करके बड़ी-बड़ी असाध्य लगने वाली बीमारियों के इलाज खोज लिए गए। वैज्ञानिकों को आनुवंशिकता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।

ये कुछ उसी तरह था जैसे आनुवंशिकता के रहस्यों से भरे बक्से की चाभी मिल गयी हो। यह खोज मानव जाति के लिए इतनी मूलयवान थी कि 1953 में इसकी संरचना के बारे में विस्तार से बताने के लिए वैज्ञानिक जोड़ी अमेरिकन जेम्स वाटसन और ब्रिटिश वैज्ञानिक फ्रांसिस क्रीक को नोबेल पुरस्कार सम्मान मिला।

ऐसा माना जाता है कि चूँकि यह इतना विशाल होता है और इसकी संरचना जटिल होती है, इस कारण अभी भी हम मनुष्यों को इसके बारे में एक बहुत ही छोटी जानकारी प्राप्त है और आगे आने वाले समय में यदि वैज्ञानिक इसकी संरचना से जुड़े और रहस्य खोज पाए तो मानव जीवन के स्वास्थ्य से जुड़े बड़े-बड़े चमत्कार संभव हैं।