करणी माता का मंदिर कहां है

करणी माता का मंदिर

राजस्थान राज्य के बीकानेर में एक ऐसा मंदिर है जिसे चूहों के मंदिर के नाम से जाना जाता है। तो क्या इस स्थान पर किसी चूहे की मूर्ति स्थापित की गई है? नहीं ऐसा नहीं है। इस धाम की विशेषता यह है कि यहाँ पाँच दस चूहे नहीं बल्कि लगभग 30,000 चूहे निवास करते हैं।

कहते हैं कि ये चूहे माँ जगदंबा के भक्त और संदेशवाहक हैं। जो हर आने वाले भक्त की मनोकामना पूर्ण कराने के लिए देवी मां से प्रार्थना करते हैं। इसलिए इस मंदिर के चूहों को चूहा न कहकर ‘काबा’ नाम से पुकारा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि इस धाम में रहने वाले चूहे प्रसन्न रहेंगे तो देवी माँ का आशीर्वाद सदा भक्तों पर बना रहेगा।

इसीलिए इस धाम में हजारों की संख्या में रहने वाले चूहों के खाने-पीने एवं रहने की शानदार व्यवस्था की गई है। राजस्थान का यह मंदिर करणी माता के मंदिर के नाम से विश्व विख्यात है। जहां पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है।

क्या है करणी माता के मंदिर का इतिहास

करणी माता के मंदिर से जुड़ी हुई अनेक कथाएं प्रचलित हैं। यह मंदिर कब कैसे अस्तित्व में आया? इस विषय में अनेक मत हैं। इस धाम से जुड़ी एक पौराणिक कथा बताती है कि15 वीं सदी से पूर्व की बात है कि एक राज घराने के परिवार की कन्या अपना राजसी सुख- वैभव आदि त्यागकर देवी माँ की आराधना में जप -तप के मार्ग पर चल पड़ी।

वह जंगल में कुटिया बनाकर रहने लगी। जहाँ वह देवी माँ की घोर तपस्या में तल्लीन हो गयी। कहते हैं कि उसने अन्न-जल त्याग दिया और पूरी तरह माता के शरण में चली गयी। बताते हैं कि उन्हीं दिनों उस स्थान पर भयंकर बाढ़ आ गई । बाढ़ के पानी से अपनी जान बचाने के कुछ चूहे आकर उस कन्या की कुटिया में रहने लगे।

कहते हैं कि जब बाढ़ का पानी कुटिया के अंदर आने लगा तो उन चूहों ने एक के ऊपर एक चढ़ कर उस बाढ़ के पानी को रोकने के लिए बाँध बना दिया। कहते हैं कि तभी आकाश में एक दिव्य ज्योति प्रकट हो गयी। उस दिव्य ज्योति के प्रकाश में वे काले रंग के चूहे दूधिया रंग में बदल गये और बाढ़ के पानी के उन दूधिया रंग के चूहों को स्पर्श करते ही वह बाढ़ का पानी पीछे हटता चला गया।

यह चमत्कारी प्रभाव था उस कन्या का जो अपनी तपस्या के बल पर करणी माता के रूप अवतरित हो चुकी थी। कहते हैं उसी दिन से वे सफेद चूहे करणी माता के सच्चे भक्त हो गये। इन चूहों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती गयी। माता करणी अपने दैवीय प्रभाव से अपने भक्तों को रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्ति दिलाने लगीं।

बताते हैं कि बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह स्वयं माता करणी के परम भक्त थे। वह उनके दरबार में आया करते थे। माता करणी के दिव्य ज्योति में विलीन हो जाने के पश्चात बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 16वीं सदी में माता करणी का भव्य मंदिर स्थापित किया। माता करणी के आशीर्वाद से महाराजा गंगा सिंह के धन-वैभव और यश में चार गुना वृध्दि हुई।

 इस मंदिर की बनावट राजमहल जैसी है़

करणी माता मंदिर

इस मंदिर में प्रवेश करने पर ऐसा लगता है़ जैसे की हम किसी राजपूत राजा के महल मे प्रवेश कर रहें हों। मंदिर का प्रमुख द्वार संगमरमर के पत्थर से अत्यंत सुंदर बना हुआ है़। मुख्य द्वार की खूबसूरत नक्काशी देखते ही बनती है़। इस मंदिर में चाँदी के दरवाजे लगे हैं और स्वर्ण निर्मित छत्र भी हैं।

ऐसा लगता है़ जैसे बीकानेर के महाराजा ने इस मंदिर को बनवाने में दिल खोल कर धन खर्च किया है, क्योंकि माता करणी उनके साम्राज्य की कुलदेवी थीं। कहा जाता है़ कि इस मंदिर की माता करणी माता जगदम्बा की अवतार हैं।

चूहे ही माता करणी के पुजारी हैं

इस मंदिर में रहने वाले असंख्य चूहे इस धाम के प्रति कौतूहल जगाते रहते हैं। इस मंदिर में पहली बार प्रवेश करने वाला व्यक्ति हजारों की संख्या में चूहों को देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है़ और मन ही मन सोचता है़ कि माता के मंदिर मे चूहों का क्या काम?

लेकिन जब उन्हें उन चूहों की वास्तविकता का पता चलता है़ तो वह उन चूहों के प्रति नतमस्तक हो जाता है़। क्योंकि इस मंदिर में चारों ओर धमाचौकड़ी मचाने वाले चूहे दरअसल माता करणी तक संदेश पहुँचाने का एक मात्र माध्यम हैं।

कहा जाता है़ कि यही चूहे भक्तों की मनोकामना को देवी माँ तक पहुँचाते हैं। इसलिए इस धाम में प्रवेश करने वाला व्यक्ति इस मंदिर के चूहों को प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। क्यों कि वह जानता है़ कि इस मंदिर के चूहे माता की कृपा दिलाते हैं।

करणी माता मंदिर के अदभुत दृश्य

करणी माता मंदिर में आने पर आपको ऐसे अनेक अदभुत दृश्य दिखाई देंगे जो आपको आश्चर्य चकित कर देंगे। सबसे पहली बात इस मंदिर में अंदर घुसने पर बहुत संभल -संभल कर चलना पड़ता है़ कि कहीं  इस मंदिर का कोई चूहा पैरों के नीचे नहीं आ जाये।

इसलिए इस मंदिर में भक्त अपने पैरों से लगभग चींटी की चाल से आगे बढ़ते हैं। दूसरा अदभुत दृश्य उस स्थान पर नजर आता है़ जहाँ हजारों  की संख्या में चूहे विशाल चाँदी की परात में अपना भोजन ग्रहण करते हुये नजर आते हैं। क्योंकि इस धाम के चूहे आम नहीं बहुत खास हैं।

इस मंदिर के बारे में लिखती हुईं काव्या नंदन कहती हैं कि माँ करणी वह माता हैं जो संसार के सबसे कमजोर जीव चूहों को अपने शरण में लेकर यह संदेश अपने भक्तों को देतीं हैं  कि इस संसार के हर निर्बल से निर्बल जीव पर उनकी कृपा है़।

करणी माता मंदिर में माँ की कृपा का संकेत

कहते हैं कि यदि इस धाम मे किसी भक्त को सफेद रंग का चूहा दिखाई देता है़ तो वह अपने आपको धन्य समझता है़। क्यों कि ऐसा माना जाता कि इस धाम में यदि किसी व्यक्ति को दूधिया रंग का चूहा नजर आता है़ तो इसका साफ संकेत है़ कि उस पर करणी माता की कृपा हो गयी है़ और उस भक्त की मनोकामना शत प्रतिशत पूर्ण होगी।

क्योंकि इस मंदिर के चूहों को करणी माता का संदेश वाहक माना जाता है़। इस मंदिर मे हजारों की संख्या में चूहों के निवास करने के कारण इसे चूहे वाला मंदिर भी कहा जाता है़। दूर दराज से लोग – बाग  मंदिर के  इसी अदभुता दृश्य को देखने आते हैं।

Shafaq Naaz सोशल मीडिया पर छायी हुई हैं शमा सिकंदर Vahbiz Dorabjee बला की खूबसूरत अभिनेत्री हैं Avneet Kaur net worth kenisha awasthi