आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार 500 से अधिक फिल्में लॉकडाउन के कारण फंस कर रह गयीं है। जिसके कारण फिल्म इंडस्ट्री की हालत पतली हो गई है। पिछले कई महीनों से लगातार फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और भारत सरकार के बीच लगातार पत्राचार हो रहा है ताकि शीघ्र भारत सरकार फुल स्ट्रैंथ के साथ सिनेमा घरों में फिल्म को चलाने की अनुमति दे दे।
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया का यह तर्क है कि जब सरकार यात्रियों के लिए बसें चलाने का निर्णय ले सकती है, जो यात्रा करने वालों से खचाखच भरी होती है। तो ऐसे में सिनेमाघरों को चलाए जाने में क्या आपत्ति है?
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि कोरोना महामारी को देखते हुये हमारे सिनेमा हॉल सरकारी वाहनों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित है। इसलिए हमें थिएटर में फुल स्ट्रैन्थ के साथ फिल्म प्रदर्शन के लिए अनुमति दी जानी चाहिए।
क्योंकि भारत सरकार के द्वारा अब तक केवल 50% स्ट्रैन्थ के साथ सिनेमाघरों में चलाने की अनुमति दी है। भारत सरकार के इस निर्णय से फिल्म इंडस्ट्री संतुष्ट नहीं है क्योंकि ऐसी दशा में उन्हें अपना घाटा ही घाटा नजर आ रहा है।
फिर पहले से ही फिल्म के टिकटों के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में नियम के विपरीत दामों को बढ़ाया भी नहीं जा सकता। लॉक डाउन के चलते कम रोजगार के कारण लोगों की दिलचस्पी केवल रोटी, कपड़ा और मकान तक सीमित रह गई है।
ऐसे में मनोरंजन के लिए दर्शक टेलीविजन तक सीमित हो गए हैं। अब दर्शकों को फिर से सिनेमा घरों तक ले जाने के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया लगातार प्रयास कर रही है। पिछले वर्ष अक्टूबर 2020 के माह में अनलॉक के नियमों के तहत सिनेमा हॉल की क्षमता के 50% दर्शकों के साथ सिनेमा हॉल खोले जाने की बात कही गई थी।
कुछ समय पहले फिल्म इंडस्ट्री में एक आशा की किरण जागी थी। जब जनवरी के प्रथम सप्ताह में तमिलनाडु सरकार ने फुल स्ट्रैंथ के साथ सिनेमाघरों में फिल्में रिलीज का निर्णय ले लिया था। लेकिन उनके इस निर्णय पर तब गाज गिरी जब मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के इस निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
तमिलनाडु सरकार के इस निर्णय पर माननीय मद्रास उच्च न्यायालय का कहना था कि धन के लाभ के लिए करोना जैसी भयंकर महामारी को अनदेखा करना पूरी तरह गलत है।
इसलिए केवल 50% स्ट्रैन्थ के साथ ही सिनेमाघरों को चलाने की अनुमति दी जा सकती है। 25 दिसंबर को प्रदर्शित ‘कुली नंबर 1’ की असफलता को देखते हुए अब कोई फिल्म निर्माता रिस्क नहीं लेना चाहता।
अधिकतर फिल्म निर्माताओं का यही सोचना है कि फिल्में रिलीज तभी की जायें जब फुल स्ट्रैन्थ के साथ सिनेमा घरों को खोला जाए। ऐसे में बिना वैक्सीनेशन के अभी कोई संभावना नजर नहीं आती।
लेकिन फिल्म फेडरेशन आफ इंडिया और भारत सरकार के मंत्रियों के बीच आपस में वार्तालाप चल रही है। फेडरेशन लगातार सरकार से संपर्क बनाये हुऐ है और पत्रों के माध्यम से जोर डाला जा रहा है कि जल्द से जल्द उनके पक्ष में निर्णय हो और शत-प्रतिशत स्ट्रैन्थ के साथ फिल्म प्रदर्शन की अनुमति प्रदान की जाये। ताकि फिल्म जगत संकटों से उबर सके।