भगवान शिव वो आदियोगी हैं जो इस पूरी सृष्टि और ब्रम्हांड के अस्तित्व में आने से पहले भी थे और सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद अनंत काल तक भी रहेंगे। आप पिछले हज़ारों करोड़ों सालों या वर्तमान में जब आप हैं, किसी भी क्षण की कल्पना कर के देखें तो पायेंगे कि कोई भी क्षण ठहरता नहीं है।
हमारे आप में से कोई भी अमर नहीं है, जो आया है वो एक दिन जाएगा ज़रूर, सत्य केवल एक ही है और वो है काल। इस काल को चलाने वाली शक्ति महाकाल है और भगवान शिव वही महाकाल हैं और उन्हीं में ही सब कुछ समाया हुआ है। इसलिए भगवान शिव की सही तरीके से पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है जिसकी विधि हम आपको यहाँ बता रहे हैं।
शिव जी की पूजा करने से क्या होता है?
भगवान शिव को भोले बाबा कहते हैं क्योंकि वो सबसे सरल ह्रदय के योगी माने जाते हैं और इसीलिए, वो सबसे जल्दी और बहुत ही सरल चढ़ावे में भी प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें दिखावा या छप्पन भोग प्रसाद नहीं चाहिए, बल्कि चाहिए आपके द्वारा शुद्ध सात्विक मन से की गयी भक्ति।
अगर आप भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करेंगे तो आप के अंदर उनके आशीर्वाद से आत्मविश्वास झलकेगा। आप बाहर की बजाय अपने अंदर देखने लगेंगे और विश्वास कीजिए आपका ख़ुद अपने-आप से बढ़ कर कोई भी दोस्त, मार्गदर्शक या हितैषी नहीं है।
आपको ज्ञान का एक अपार सागर मिल जाएगा जिससे आपका अपने जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल जाएगा और आप अपनी ज़िंदगी में हर उस उचित लक्ष्य को पा लेंगे जो आप चाहते हैं, वही सच्चे मायनों में आपकी सफलता होगी।
नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा कैसे करें?
नर्मदा नदी के किनारे जो शिवलिंग पाए जाते हैं, उन को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है और ये सभी प्रकार के शिवलिंगों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। उनकी पूजा सही ढंग से करने के लिए आप इन बातों पर विशेष ध्यान दें:
- सुनिश्चित करें कि आप जो शिवलिंग लाएँ उसका आकार अंगूठे के आकार से बड़ा ना हो और अपने घर में एक से अधिक शिवलिंग बिल्कुल ना रखें। उनको रखने के लिए एक आसन भी होना चाहिए जिसके लिए आप किसी भी पूजा की दूकान से उसका अरघा (योनि आधार) खरीद सकते हैं, जो आम तौर पर तांबे का बना होता है।
- आचमनी से जल हाँथ में ले कर शुद्धिकरण मंत्र पढ़ें और अपने ऊपर छिड़क कर या उसको दूर से पीकर अपने को शुद्ध कर लें।
- आप हर रोज़ उस शिवलिंग को पहले जल से अभिषेक करें और फिर कच्चे दूध से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय पढ़ते जाएँ।
- नर्मदेश्वर शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग होता है, इसलिए उस पर अभिषेक किये गए जल और दूध को आप चरणामृत के रूप में पूजा के बाद पी भी सकते हैं और घर में सबको बाँट सकते हैं।
- इसी तरह नर्मदेश्वर शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद भी आप ग्रहण कर सकते हैं और सबको बाँट सकते हैं। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि अभिषेक किया हुआ जल आप तुलसी, केतकी और केवड़ा (या चम्पा) के पौधों के आलावा किसी भी पौधे में डाल सकते हैं, वैसे उस जल को आप वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ की जड़ में प्रवाहित करते हैं तो कई गुना ज़्यादा पुण्य होता है क्योंकि बरगद के पेड़ को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है।
- महाशिवरात्रि, सावन इत्यादि पर दूध, दही, शहद, इत्यादि से सही मंत्रों के साथ शिवलिंग का महाभिषेक भी कराइए।
- हर दिन भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय की कम से कम एक माला (108 बार जपने पर एक माला हो जाती है) ज़रूर करें और कोशिश करें कि वह माला शुद्ध एकमुखी (इसका मिलना बहुत कठिन होता है, 90% लोगों को या तो इसके शुद्ध स्वरुप का पता नहीं होता या एकमुखी का झाँसा दे कर झूठ बोल कर बेचते हैं, इसलिए सावधान रहें) या पंचमुखी रुद्राक्ष की हो। रुद्राक्ष को भी भगवान शिव का ही एक प्रतीक स्वरुप माना जाता है।
- उसके बाद भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। अगर आपको मिल सके तो हर दिन, नहीं तो विशेष दिनों जैसे महाशिवरात्रि और सावन के दिनों में आप उनको धतूरा, बेल पत्र (3 पत्तियाँ जो कटी-फटी ना हों), इत्यादि भी चढ़ायें। महाशिवरात्रि वाले दिन ये लगभग हर गली-कूचे में आपको भारत के लगभग हर शहर में बिकते हुए मिल जायेंगे।
शिव पूजा का सही समय
भोले बाबा की पूजा आप सुबह भी कर सकते हैं परंतु उनकी पूजा का सबसे अच्छा समय प्रदोष काल माना जाता है यानी सूर्यास्त से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद का समय। अगर आप सुबह और शाम दोनों समय पूजा कर सकें तो यह और भी बेहतर होगा।
शिव पूजा विधि मंत्र
आप ऊपर बतायी गयी विधि से भगवान शिव की भावपूर्ण पूजा करें और उनके पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय की एक माला का जाप करें। इसके अलावा यदि आप थोड़ा और समय निकाल कर उसी रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र की भी एक माला का जाप करें तो यह आपके और आपके परिवारजनों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होगा।
इन मंत्रों के अलावा आप शिव आराधना के लिए शिव चालीसा और आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर और लिंगाष्टकम् स्तोत्रों को पढ़ सकते हैं।
सारी दुनिया शिव से है, शिव में है और शिवमय है। भोले बाबा की भक्ति शुद्ध तन और मन से करिए, आपको उनका आशीर्वाद मिलेगा तो आप भी दुनिया के करोड़ों भक्तों की तरह अपनी ज़िंदगी सुख और शाँति से परिपूर्ण पायेंगे।