पार्थिव शिवलिंग किसे कहते हैं?
मिट्टी, अनाज या फ़ूलों इत्यादि से बनाए गए शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है। भगवान शिव सरलता से प्रसन्न होने वाले और प्रकृति से सबसे ज़्यादा जुड़े देवता माने जाते हैं, जो भस्म लगा कर घूमते हैं और शिवलिंग तो उन्हीं का ही रूप है। लंका में रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले प्रभु श्री राम ने भी रामेश्वरम में पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजा की थी जो आज भी वहाँ मौज़ूद है और वहाँ मुख्य पूजा उसी पार्थिव शिवलिंग की होती है।
आश्चर्य की बात है कि बहुत से लोगों को पार्थिव शिवलिंग के बारे में नहीं पता होता, तो इसीलिए यह जानकारी हम यहाँ बता रहे हैं कि भगवान शिव के इस सरल रूप की हम किस तरह से पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
पार्थिव शिवलिंग की महिमा
शिव पुराण में इसके महत्त्व के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है, यहाँ तक कि कई ऋषियों मुनियों ने तो इसको सबसे अधिक फल देने वाली पूजा बताया है। शिव पुराण के ही आधार पर ऐसी मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु की संभावना ख़त्म हो जाती है।
पार्थिव शिवलिंग पूजा
पार्थिव शिवलिंग की पूजा से सभी दुःख दूर होते हैं, संतान की प्राप्ति होती है और जीवन सही तरीके से पूरा होने पर मोक्ष भी मिलता है। इस की महान महिमा इसी से समझी जा सकती है कि भगवान श्री राम ने भी रावण से बड़े युद्ध के पहले पार्थिव शिवलिंग बना कर पूजा की थी।
पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि
वैसे तो यह मुख्य तौर पर मिट्टी से बनाया जाता है परंतु इसमें कई दूसरे पदार्थ भी मज़बूती और शुद्धता के लिए मिलाए जाते हैं, जो भोले बाबा को अति प्रिय हैं। आप इसको बनाने के लिए पवित्र नदी या झरने से लायी गयी मुट्ठी भर मिट्टी ले लीजिए और उसमें थोड़ा सा दूध और गंगाजल मिला कर उसको शुद्ध कर लीजिए।
उसके बाद उसमें बहुत ज़रा सा गाय के गोबर (कंडा) का सूखा हुआ चूरा, आधी मुट्ठी गुड़ का चूरा, ज़रा सा मक्खन (घर का ताज़ा), चौथाई मुट्ठी भर भस्म, छोटी कटोरी के चौथाई हिस्से के बराबर घिसा हुआ चन्दन और 3-4 बूँद शहद को गंगाजल में मिला कर शिव जी का बीज मंत्र ॐ नमः शिवाय जपते हुए उस को शिवलिंग के आकार का बना लें।
पार्थिव शिवलिंग पूजन सामग्री
इन पदार्थों से शिवलिंग बनाने के अलावा आप 7 प्रकार के अनाजों से या फूलों से भी पार्थिव शिवलिंग बना सकते हैं पर ऐसा करते वक़्त ध्यान रखें कि इनमें केवड़ा, चम्पा, केतकी के फूल और तुलसी जी के पत्ते ना हों क्योंकि ये शिवजी पर नहीं चढ़ाये जाते।
ध्यान रखें कि इनमें से किसी भी तरह के पार्थिव शिवलिंग को बनाते समय आपको पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही अपना मुँह करना है और उस बनाए गए शिवलिंग की ऊँचाई 12 अंगुल से अधिक ना हो। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि शिवलिंग आप जिस भी प्रकार का बना रहे हैं, एक ही प्रकार का बनायें और उस को पूजा-अर्चना के बाद विसर्जित कर दें क्योंकि शास्त्रों के अनुसार एक घर में एक से अधिक शिवलिंग नहीं रखे जाते हैं।
पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक
भगवान शिव की इस पूजा के लिए किसी पर भी कोई प्रतिबन्ध नहीं है यानी यह पूजा पुरुष और महिला दोनों ही कर सकते हैं। पार्थिव शिवलिंग को बना लेने के बाद आप सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा कर के इस शुभ कार्य की शुरुआत करें।
पार्थिव शिवलिंग पूजन विधि
उसके बाद भगवान शिव का आह्वान करते हुए, हो सके तो 1008 बार नमः शिवाय का जाप करें और यदि समय की कमी से 1008 बार करना संभव ना हो तो 108 बार तो ज़रूर कर लें। इसके बाद उस पार्थिव शिवलिंग को पूजा घर में रख कर बेलपत्र, धतूरा, बेल, इत्यादि से पूजा-अर्चना करें।
पूजन के बाद पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन कर दें, जिसके लिए आप किसी साफ़-सुथरी जगह पर, पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर ज़मीन में दबा सकते हैं। ऐसी साफ़-सुथरी जगह आस-पास उपलब्ध ना हो तो किसी नदी या नहर के बहते जल में उन को विसर्जित कर सकते हैं।