आजकल हर रोज़ बिज़नेस करने के नए तरीके आ रहे हैं, जिसमें से कुछ में तो आपको पैसे रूपए खर्च करने की भी ज़रूरत नहीं है। ज़रूरत है तो बस सावधान रह कर सही तरीका चुनने की। ऐसे ही दो तरीके हम आज आपके लिए लाए हैं, जिनसे आप शुरुआत में बिना पैसे लगाए बिज़नेस कर सकते हैं और सही तरीके से करें तो अच्छा प्रॉफिट भी कमा सकते हैं।
B2C ड्रॉप शिपिंग (B2C drop shipping)
इस बिज़नेस में आपकी एक तरह से बिना कोई पूँजी लगाए ही कमाई हो सकती है। B2C का मतलब होता है बिज़नेस से ग्राहक तक (Business 2 Customer) और जब किसी सप्लायर की फैक्टरी या वेयरहाउस से सीधे ग्राहक तक माल पहुँचाया जाए तो वो ड्रॉप शिपिंग डिलीवरी कहलाती है।
जैसा कि नाम से ही आपको पता लग गया होगा कि इस बिज़नेस में ऐसा सुनिश्चित करना है कि माल वेयरहाउस से आपके पास आए बिना ही सीधा ग्राहक के पास पहुँच जाए। इसके लिए आपको एक या अधिक इ-कॉम वेबसाइटों जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, वगैरह पर सैलर एकाउंट बनाना है।
सैलर एकाउंट बनाने के लिए GST, बैंक एकाउंट की डिटेल, इत्यादि उस इ-कॉम वेबसाइट पर डालनी होगी और आपके पास एक लैपटॉप हो तो ज़्यादा अच्छा रहेगा। इस बिज़नेस के लिए आप इंडियामार्ट (indiamart.com), अलीबाबा (alibaba.com) जैसे बड़े थोक विक्रेता यानी होलसेलर (wholesaler) से संपर्क करके उन्हें कस्टमर ऑर्डर दिलाने के लिए ऑफर दे सकते हैं।
आपको यूट्यूब से कई और भी थोक विक्रेता मिल सकते हैं। उनके बेस्टसेलिंग प्रोडक्ट्स को आप उस इ-कॉम वेबसाइट पर लिस्ट करेंगे जिस पर आपका सैलर एकाउंट है। जब कोई कस्टमर ऑर्डर आपको मिलता है तो आप उस थोक विक्रेता को वही ऑर्डर फॉरवर्ड कर देंगे।
अधिकतर ग्राहक इ-कॉम वेबसाइटों पर एडवांस पेमेंट कर देते हैं, उसमें से थोक विक्रेता को पेमेंट करने के बाद आपके पास आपका शुद्ध प्रॉफिट बचता है यानी आपने बिना कुछ खर्च किये प्रॉफिट कमाया और उधर ग्राहक को ड्रॉप शिप डिलीवरी भी सीधे वेयरहाउस से पहुँच गयी।
ध्यान रखें कि इस काम में आप थोक विक्रेता को पेमेंट हर बार तय समय के अनुसार कर दें जिससे वो आपके ग्राहकों को सही समय पर डिलीवरी और अच्छी सर्विस दें। ग्राहक को वेयरहाउस से डिलीवरी सही समय पर मिले, ऐसा सुनिश्चित करने के लिए आप थोक विक्रेता से लगातार संपर्क में रहें क्योंकि ग्राहक के द्वारा दी जाने वाली रेटिंग ही सुनिश्चित करेगी कि आपको दूसरे ग्राहकों से भी ऑर्डर मिलते रहें।
यह भी ध्यान रखें कि एक समय सीमा के बाद आपको इ-कॉम वेबसाइट पर सैलर फीस, शिपिंग फीस, इत्यादि भी देनी होगी जो आप अपने कमाए हुए प्रॉफिट में से दे सकते हैं, इसलिए प्रॉफिट मार्जिन ऐसा रखें कि सब उसमें कवर हो जाए। सही सैलिंग प्राइस तय करने के लिए आप उसी तरह के अन्य प्रोडक्ट्स की पहले से मौजूद लिस्टिंग्स से आईडिया ले सकते हैं।
इ–कॉम एजेंसी (e–Com agency)
इसमें भी आप किसी इ-कॉम वेबसाइट के साथ सैलिंग एकाउंट मैनेज करेंगे पर बाकी सब कुछ ड्रॉप शिप से अलग होगा। मुख्य फ़र्क ये है कि यहाँ आप अपना नहीं बल्कि अपने एरिया की किसी लोकल शॉप को ऑनलाइन सैलिंग करने में मदद करेंगे और उसका कमीशन चार्ज करेंगे।
आप अपने आस-पास के बड़े दुकानदारों से बात कर सकते हैं जिनको अक्सर ही अपना सामान ऑनलाइन बेचने के बारे में कुछ पता नहीं होता। आप उनकी तरफ से किसी इ-कॉम वेबसाइट या ऐप जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, मीशो, इत्यादि पर उनका सैलर एकाउंट बनायेंगे। अगर वो बहुत बड़े लेवल पर ऑनलाइन सैलिंग करना चाहते हैं और आपको ज्ञान है तो आप उनके लिए एक वेबसाइट भी बना कर उसको मैनेज कर सकते हैं।
इस काम में आप को अपने क्लाइंट की दूकान का ऑनलाइन कैटलॉग बनाना भी आना चाहिए और नहीं आता हो तो आप इसकी ट्रेनिंग आसानी से इंटरनेट पर ले सकते हैं। वैसे आप ऑनलाइन कैटलॉग बनाने के लिए अमेज़न की वेबसाइट पर जाकर सर्विस प्रोवाइडर नेटवर्क (SPN) प्रोग्राम के तहत अमेज़न के पैनल वाले थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद भी ले सकते हैं, जो आपको एक फीस के बदले में कैटलॉगिंग कर के देंगे।
शॉप के प्रॉडक्ट को लिस्ट करने के लिए आप आकर्षक तरीके से उसकी इमेज डिज़ाइन करें जो आप कैन्वा ऐप (canva app) से कर सकते हैं। जिस शॉप को आप उनका इ-कॉम मैनेज करने की सर्विस दे रहे हैं, उनके साथ आप को लगातार ऐसे संपर्क में रहना होगा जिससे कि आपको हमेशा पता रहे कि उनकी इन्वेंटरी में किस प्रॉडक्ट का कितना स्टॉक है।
इसमें शिपमेंट करने के लिए जितनी भी फीस जैसे शिपिंग फीस, क्लोजिंग फीस, इत्यादि जो वेबसाइट चार्ज करती है, उसके बारे में आप दुकानदार को समझा दें। सारा मार्जिन लगाने के बाद भी इसमें आम तौर पर सभी पक्षों को अच्छा-ख़ासा प्रॉफिट हो जाता है।