आपने सुना होगा कि शंख को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है और इसको अपने घर में रखना बहुत शुभ होता है। शंख से जुड़ी ये विशेष जानकारी आपके लिए है, जिससे आप भी शंख के उपयोग से लाभान्वित हो सकें।
शंख कितने प्रकार का होता है
पुरातन शास्त्रों के अनुसार सही प्रकार का शंख घर में रखने, उसकी ध्वनि को सुनने और उसकी पूजा करने से आपके सौभाग्य की वृद्धि होगी। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम ये समझें कि शंख कितने प्रकार के होते हैं और इनको घर में रखने से क्या असर पड़ता है।
शंखों को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है और इनकी बनावट के आधार पर इनको मुख्यतया तीन प्रकार का माना जाता है – दक्षिणावर्ती, वामावर्ती और मध्यावर्ती शंख (सबसे कम प्रचलित)। शास्त्रों के अनुसार, शंख की उत्पत्ति आठवें रत्न के रूप में समुद्र मंथन से हुई थी।
दक्षिणावर्ती शंख की असली पहचान क्या है
दक्षिणावर्ती शंख (श्री लक्ष्मी शंख) को धन-धान्य और सौभाग्य वृद्धि के लिए सबसे शुभ शंख माना जाता है, जो टर्बिनेला पाइरम प्रजाति के बड़े घोंघे के ऊपरी खोल से बनता है। इसका मुंह दक्षिण की ओर होता है और यह भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
आमतौर पर पाए जाने वाले शंखों के विपरीत, दक्षिणावर्ती शंख में 3 से 7 की संख्या में सर्पिल आकर के खांचे बने होते हैं, जबकि अन्य प्रकार के अधिकतर सामान्य शंखों में आपको कोई भी खांचे बने हुए नहीं दिखेंगे। इस शंख का मुख आपको दायीं ओर को दिखेगा और इसको दायें हाँथ से पकड़ा जाता है। यह शंख इतने दुर्लभ और असली शंख इतने मंहगे होते हैं।
वामवर्ती शंख कैसा होता है
जैसा कि इसके नाम से ही आप समझ गए होंगे, वामावर्ती शंख को दक्षिणावर्ती शंख के विपरीत माना जाता है यानी इसका मुख बायीं ओर (उत्तर की ओर) होता है। इस प्रकार के शंख को बायें हाँथ से पकड़ा जाता है। यह भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इस शंख को ज्ञान, शांति और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। इसे ध्यान और साधना के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस प्रकार के शंख आपको दक्षिणावर्ती शंख की तुलना में आसानी से प्राप्त हो सकते हैं। वामावर्ती शंख को घर में रखने और बजाने के भी अनेक लाभ हैं, इसलिए आप इस को भी घर में रख सकते हैं। इस शंख को बजाए जाने पर इसके कंपन से मन बहुत शांत हो जाता है और विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अपने आस-पास नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करने में मदद मिलती है।
शंख को घर में कैसे रखें
शंख को घर में रखने के लिए निम्नलिखित स्थान शुभ माने जाते हैं:
- पूजाघर या मंदिर
- घर के मुख्य द्वार के पास
- घर के पूर्व या उत्तर दिशा में
- घर के बीच में
शंख को पूजा घर में कैसे रखें
शंख दिव्यता, पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक है। यह हिन्दू समाज में एक अत्यधिक पूज्यनीय वस्तु है, और इसका उपयोग दैनिक पूजन और यज्ञ, देवी-देवताओं से प्रार्थना करने, महत्वपूर्ण अवसरों पर शुभ शुरुआत करने और धार्मिक त्योहारों को मनाने के लिए किया जाता है।
शंख को आप शुभ दिन विशेषकर शुक्रवार को अपने पूजा घर में पूजित कर के रखें। शंख को अपने पूजा घर की उत्तर या पूर्व दिशा में इस तरह रखें कि उसका नुकीला हिस्सा भगवान की मूर्ति की ओर हो। यदि आपके पास दक्षिणावर्ती शंख है तो उसे लाल कपड़े में श्रद्धापूर्वक लपेट कर पूजा कमरे में रखें।
घर में कौन सा शंख रखना चाहिए
सबसे पहले आप सही शंख चुन कर उसे अपने घर के मंदिर में लायें। ऐसा शंख चुनें जो आपके हाथों में आराम से समा जाए और बिना किसी कठिनाई के उसे आप बजा सकें। कुछ बड़े शंख बहुत भारी भी हो सकते हैं, चेक करें वह कहीं से भी टूटा हुआ ना हो और आप उसको आसानी से उठा पायें।
शंख खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
आकार: शंख का आकार आपकी आवश्यकताओं के अनुसार हो सकता है।
बनावट: शंख की बनावट चिकनी और अच्छी होनी चाहिए।
शंख की आवाज: अपने कान पर लगा कर ध्यान से सुनें, शंख की आवाज सुरीली और स्पष्ट होनी चाहिए।
शंख कैसे रखना चाहिए
शंख को साफ और सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए इसको साफ करने के लिए हल्के साबुन और पानी का इस्तेमाल करें। शंख को धूप से दूर रखें और इसे सीधे तौर पर गर्मी के संपर्क में न आने दें। आप अपना शंख परिवार के अलावा ना ही किसी को दें और ना ही किसी अन्य व्यक्ति का शंख मांग कर अपने घर में लायें। यह भी ध्यान रखें कि शंख एक ही रखें क्योंकि एक से अधिक शंख रखना भी अपशकुन माना जाता है।
शंख कैसे बजायें
शंख बजाना सीखने में कुछ अभ्यास की आवश्यकता हो सकती है। शंख बजाने के लिए आप नीचे बताए गए तरीके से अभ्यास कर सकते हैं:
- शंख को अपने मुंह से लगाएं और अपने होंठों को शंख के मुख पर मजबूती से बंद करें।
- शंख पर बहुत ज़ोर से हवा भरें, यह एक मधुर ध्वनि उत्पन्न करेगा।
- ध्वनि की पिच और तीव्रता को नियंत्रित करने के लिए अपने होंठों के दबाव और हवा के प्रवाह को समायोजित करें।
- जब आप शंख बजाना समाप्त कर लें, तो अपने होंठों को खोलें और धीरे-धीरे हवा को बाहर निकालें।
- अभ्यास के साथ, आप शंख से विभिन्न प्रकार की ध्वनियाँ निकालने में सक्षम होंगे।
आप शंख बजाने का अभ्यास किसी शांत स्थान पर करें जहाँ आपको कोई परेशानी न हो। शंख बजाने से पहले आप कुछ गहरी साँसें भी ले सकते हैं। यह आपको शांत होने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा।
देखा आपने, शंख हमारे सनातन धर्म में विशेष सात्विक महत्व रखता है, विशेषकर कि असली दक्षिणावर्ती शंख मिल जाए फिर तो बात ही क्या, वह आपके लिए बहुत ही शुभ होगा! इन शंखों को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद मिलती है।