शिव मंत्र
मंत्र एक स्वर विज्ञान है जिसके माध्यम से हम अपने इष्ट देवता या देवी की स्तुति से जुड़ जाते हैं। कहा जाता है कि मंत्र दरअसल आस्था एवं विश्वास की पराकाष्ठा है। मंत्र वह सिद्ध भाषा है जिसका उपयोग अधिकांशतः, कोई देवी या देवता जिस शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, उस शक्ति पर एक स्तर का अधिकार रखने के लिए किया जाता है। ऐसा, उन देवी या देवता को प्रसन्न करके किया जाता है।
देवों के देव महादेव जिन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है। ये वास्तव में बहुत सरल हृदय वाले हैं। वह अपने भक्तों से बिना पकी हुई वस्तुएं जैसे जल, कच्चा दूध, शहद, घी, भांग, केसर, चंदन, इत्र आदि और बेल पत्र, धतूरा और बेर इत्यादि ग्रहण करते हैं।
अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हम उनको भिन्न-भिन्न वस्तुएं अर्पित ही नहीं करते बल्कि शिव जी की स्तुति भी करते हैं और ऐसा करने के लिए हम शिव मंत्र आदि का जाप भी करते हैं। आज हम इस लेख मे भगवान शिव के उन चमत्कारी मंत्रों की चर्चा करेंगे जिनके प्रभाव से हम भगवान शिव का आवाहन कर सकते हैं और उनकी कृपा पा सकते हैं।
हम यह जानते हैं कि जहाँ भगवान शिव संहारक हैं वहीं वह हम भक्तों के पालन कर्ता भी हैं। इसलिए तो भगवान शिव को परम शक्ति का प्रतीक माना जाता है। ‘महा’ का अर्थ होता है़ सबसे बड़ा और जिस देव के आगे ‘महा’ शब्द जुड़ा हुआ हो वह निश्चय ही शिखर पर होगा।
निश्चित रूप से हमारे इष्ट महादेव का स्थान सर्वोच्च है। महादेव हमारी स्तुति से प्रसन्न होकर बड़ी से बड़ी सफलता प्रदान करते हैं। उनकी आराधना हमें अपार प्रसन्नता देती हैं। पौराणिक ग्रंथों में देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए अनेक मंत्रों का वर्णन किया गया है़। लेकिन आज हम उन मंत्रों की बात करेंगे जो शीघ्र फलदायी हैं। जिनके जाप मात्र से शीघ्र इच्छित फल की प्राप्ति होती है़।
पंचाक्षर मंत्र
भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र है:-
नमः शिवाय
यह अदभुत मंत्र यजुर्वेद से लिया गया है़। जिसका अर्थ होता है़ ‘भगवान शिव को प्रणाम’। इस पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से प्रमुख रूप से पाँच लाभ प्राप्त होते हैं:-
पंचाक्षर मंत्र के लाभ
असीम शांति मिलती है़।
यदि आपके जीवन में तनाव हो और यदि आप चिंता अथवा भय से ग्रस्त रहते हों तो ऐसे में नमः शिवाय का जाप आपको एक अदभुत मानसिक शक्ति प्रदान करता है़। यह मंत्र आपके सोंचने समझने की स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाता है़। जिसके कारण जातक अपने जीवन में आने वाली समस्या के बचाव में अपने आपको चट्टान की तरह शक्तिशाली पाता हैं।
रोग-शोक का नाश होता है़
यदि आप किसी भी रोग से ग्रस्त हों अथवा बार-बार अस्वस्थ हो जाते हों तो ऐसे में इस पंचाक्षर मंत्र ‘नमः शिवाय’ का जाप औषधि के रूप में कर सकते हैं। जिसका चमत्कारी लाभ आपको शीघ्र दिखाई देने लगता है़। इस पंचाक्षर मंत्र के जाप के प्रभाव से आप भगवान शिव की शरण में आ जाते हैं।
जिसके फलस्वरूप इस मंत्र का जाप करने वाला निरोगी हो जाता है़। पंडित श्याम बिहारी मिश्र के अनुसार यदि कोई नियमित रूप से प्रातःकाल स्नान कर के नमः शिवाय का 108 बार जाप रुद्राक्ष की माला से करता है़ तो वह कभी बीमार नहीं पड़ता। यह मंत्र आपके शोकों का भी नाश करता है़।
शत्रुओं को पराजित करता है़
नमः शिवाय मंत्र शत्रुओं को पराजित करता है़। यदि 40 दिन तक निरंतर शिवलिंग पर जल चढ़ाकर इस पंचाक्षर मंत्र का जाप किया जाये तो कहते हैं कि शत्रुओं का स्वतः नाश हो जाता है़। कुछ ज्योतिषाचार्य स्व हित के लिए केवल नमः शिवाय के जाप का भी परामर्श देते हैं। लेकिन कुल मिलाकर यह कहना है़ कि यह मंत्र कल्पवृक्ष के समान है़, जो हमारी इच्छित मनोकामना सिद्ध कराता है।
विद्यार्थी में एकाग्रता जागृत करता है
ज्योतिष के जानकार कहते हैं कि यदि किसी विद्यार्थी का मन अध्ययन में न लगता हो तो ऐसे में उसे अपने अध्ययन कक्ष में बैठने के पूर्व भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष बैठकर एक माला नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। जिसका चमत्कारिक प्रभाव कुछ ही दिनों में दिखाई देने लगेगा और वह विद्यार्थी अपनी कक्षा का मेधावी छात्र बन जायेगा।
नकारात्मकता ऊर्जा का नाश करता हैं
यदि नमः शिवाय का जाप घर अथवा दुकान किसी भी स्थान पर किया जाता है़ तो उस स्थान के आस पास दैवीय प्रभाव उत्पन्न हो जाता है़, जिसके फलस्वरूप उस जगह की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है़ और उस स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है़। जिसके कारण घर में सुख और समृध्दि आती है़। दुकान में धन लाभ में बढ़ोत्तरी होती है़। यदि इस नमः शिवाय मंत्र का स्वयं जाप न कर सकें तो उसका रिकार्ड चलाया जा सकता है़।
महामृत्युंजय मंत्र
भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र है:-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
यह महा मृत्युंजय मंत्र किसी के लिए भी भगवान शिव का वरदान स्वरूप है़। इस मंत्र के भाव हैं कि ‘हे त्रिनेत्रधारी भगवान शिव, हमारे पालन कर्ता आपको बारम्बार प्रणाम है़। जिस प्रकार पकी हुई ककड़ी बिना प्रयत्न के अपने तने से पृथक हो जाती है़ उसी प्रकार हे प्रभु हमें इस दुनिया के मोह -माया के बंधनो से मुक्त कर दीजिए।
महा मृत्युंजय मंत्र के लाभ
महा मृत्युंजय मंत्र हमारी अकालमृत्यु से रक्षा करता है़। नित्य इसका 108 बार जाप करने से यह हमें दुर्घटना और रोगों आदि से बचाता है़। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। यह प्रभाव शाली मंत्र जन्मकुंडली के ग्रहों की बुरी स्थितियों के प्रभाव को समाप्त करता है़। जीवन में आने वाले संकटों को काटने के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का जाप इस धरती पर सुदर्शन चक्र के समान है़।
शिव गायत्री मंत्र
भगवान शिव का गायत्री मंत्र है :-
‘ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्’
इस शक्तिशाली मंत्र को शिव गायत्री मंत्र कहा जाता है़। इस मंत्र के जपने मात्र से जन्मकुंडली के अनेक अनिष्टकारी ग्रह शांत होते हैं। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से काल सर्प दोष ,राहू-केतू दोष, पितृ दोष आदि का प्रभाव समाप्त होता है।
इसके अतिरिक्त इस मंत्र के जाप से शनि ग्रह की टेढ़ी दृष्टि से मुक्ति मिलती है़। कहा जाता है़ कि जो लोग मानसिक पीड़ा से ग्रस्त रहते हैं वे यदि नित्य शिव गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें तो समस्त समस्याओं का अंत होता है़। यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करने वाला है़।
भगवान शिव की आराधना सप्ताह में सोमवार के दिन करते हैं। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में शिव की विशेष रूप से आराधना की जाती है़। जिसे अधिक फलदायी माना जाता है़।