क्या आपने कभी सोचा है कि जिन लोगों की मृत्यु हो जाती है उनकी फोटो पर माला क्यों चढ़ाई जाती है? सीधा सा प्रश्न है परंतु मृत व्यक्ति की फोटो पर फूल चढ़ाये जाने का कारण बहुत से लोगों को नहीं पता होता है। यह तो आप समझ ही गए होंगे कि यह सदियों से चली आ रही मान्यताओं और मृत व्यक्ति के प्रति श्रद्धा के कारण किया जाता है, परंतु इसके कई अन्य शास्त्र-सम्मत कारण भी हैं।
मृत आत्मा परमात्मा के साथ मिल जाती है
वैसे तो परमात्मा का ही अंश जीवित-मृत हम सभी मनुष्यों में ही है परंतु सदियों से यह मान्यता रही है कि मरने के बाद आत्मा पूरी तरह से दूसरे लोक में जा कर परमात्मा में विलीन हो जाती है और नया जीवन प्राप्त करती है। मृत आत्मा को फूल अर्पित करना भगवान को फूल अर्पित करने जैसा ही है।
ऐसा माना जाता है कि मृतक की तस्वीर पर माला चढ़ाना उनकी आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने और परलोक में उस जीवात्मा की अनंत यात्रा के लिए प्रार्थना करने का एक तरीका है। मरने वाला व्यक्ति चाहे उम्र में बड़ा रहा हो या छोटा, मरने के बाद चूंकि वह परमात्मा में विलीन हो चुका तो सभी लोग उसको हांथ जोड़ कर नमन करते हुए अभिवादन करते हैं क्योंकि अब वह सगा-संबंधी ईश्वर समान ही हो गया।
मृत्यु मृतात्मा के लिए होती है दूसरे लोक में नयी शुरुआत
मृत व्यक्ति को फूलों का हार पहनाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि भारतीय दर्शन में मृत्यु को अंत के बजाय जीवात्मा के लिए दूसरे लोक में एक नयी शुरुआत के रूप में देखा जाता है। जब भी कोई व्यक्ति किसी बड़े मिशन पर जाता है या उसे पूरा कर के लौटता है तो भारतीय समाज में उसको फूलों की माला पहना कर उसका अभिवादन किया जाता रहा है।
भौतिक शरीर छोड़ने या मृत होने के बाद तो वह अपने सबसे बड़े मिशन पर निकल पड़ा है जो उसे दूसरे लोक में पूरा करना है तो ऐसे में उस व्यक्ति के परिवारजन और मित्र उसको परलोक की उस नयी शुरुआत के लिए माला पहना कर शुभकामना देते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, शरीर छोड़ने के बाद जीवात्मा अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंचने तक विभिन्न चरणों से गुजरती है। मृत शरीर पर फूलमाला चढ़ाने की परंपरा का उद्देश्य मृतात्मा के लिए इस परिवर्तन को आसान बनाना भी है। इस तरह से उस मृतात्मा के सगे-संबंधी फूल माला चढ़ा कर के यह सुनिश्चित करते हैं कि दिवंगत व्यक्ति को सम्मान का अनुभव हो जिससे वह संतुष्ट हो कर अपनी दूसरे लोक की यात्रा पर जाए।
श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका है फूल अर्पित करना
मृत शरीर को देख कर सभी जीवित लोगों में यह एहसास होता है कि एक ना एक दिन सभी का यही अंत होना है। यह एक ऐसा अनुभव है कि जब जीवित मनुष्य को समझ में आता है कि मृत लोग वापस नहीं आ सकते तो मरने वाले के द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को याद किया जाता है।
मरने वाले की बुराई से कुछ हासिल नहीं होगा क्योंकि वह तो चला गया और अच्छे कार्यों को याद करने से श्रद्धा स्वतः ही उत्पन्न होती है। पुरातन काल से जिसको भी श्रद्धांजलि दी जाती है वह फूलों से ही दी जाती है। इसलिए, फूल माला चढ़ाना भी मृत आत्मा को श्रद्धा देने का एक तरीका माना गया है।
फूलों की भीनी-भीनी अच्छी खुशबू भी एक तरह से मरने वाले के अच्छे गुणों और कार्यों का प्रतीक होती हैं। खुशबूदार फूल मरने वाले की यादों को अच्छा बनाए रखने में सहायक होते हैं। तो परंपरा के अलावा यह मृत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका भी है।
बुरी आत्माओं के प्रभाव को हटाना
ऐसा माना जाता है कि मरने वाले व्यक्ति की आत्मा का दूसरे लोक में बुरी आत्माओं से भी सामना हो सकता है। ऐसी मान्यता है कि फूलों की सात्विक खुशबू से नकारात्मक ऊर्जा वाली बुरी आत्माओं को दूर हटाने में सहायता मिलती है ।
इसलिए बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए भी मृतकों को माला पहनाया जाता है जिससे बुरी आत्मायें मृतात्मा से दूर रहें। ऐसा माना जाता है कि माला से जुड़ी सुखद ऊर्जा और फूलों की खुशबू जीवात्मा को बुरे प्रभावों से बचाती है।
मृतक की तस्वीर पर माला चढ़ाना प्राचीन काल से चली आ रहे रीति-रिवाजों और दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने की प्रथाओं का हिस्सा है। यह मृतक की जीवात्मा से जुड़ने और उनके प्रति प्यार, सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का एक साधन है।
यदि मनोवैज्ञानिक नज़रिये से देखें तो मरने वाले को फूलमाला चढ़ा कर यह अनुभव करते हैं कि हमने मृत व्यक्ति के लिए जो भी कर सकते थे वह किया, अब खुशबूदार फूलों से श्रद्धा अर्पित कर के जीवित लोग अपने आप को सांत्वना दे लेते हैं।
वैसे तो यह सदियों से चली आ रही प्रथा है परंतु मृतक को माला पहनाना अंततः व्यक्तिगत सोच की बात है। यदि आप फूलमाला ना भी चढ़ाना चाहें तो मृत आत्मा के लिए आत्मिक श्रद्धा से प्रार्थना भी कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मृतक को ऐसे तरीके से श्रद्धांजलि दी जाए जो सार्थक लगे।