कभी -कभी लोगों के मन में यह सवाल उठता हैं कि क्या एक आदमी के दो आधार कार्ड हो सकते हैं? व्यक्ति एक, उसकी पहचान एक ,उसका एड्रेस भी एक, ऐसी दशा में उसके दो आधार कार्ड किस प्रकार बन सकते हैं?
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से किसी भी व्यक्ति को एक ही बार आधार संख्या आवंटित की जाती है बार-बार नहीं | कभी-कभी आधार कार्ड खो जाने पर या नष्ट हो जाने की दशा में हम आधार कार्ड का दूसरा प्रिंट अवश्य निकलवा सकते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में हमें अपने पहले वाले आधार कार्ड की आधार संख्या की जानकारी होनी चाहिये नहीं तो आपको पहले वाले आधार कार्ड का दूसरा प्रिंट निकलना भी आसान नहीं होगा |
क्योंकि पहले से प्राप्त आधार कार्ड संख्या के आधार पर ही आवेदन करने पर व्यक्ति को आधार कार्ड का दूसरा प्रिंट प्राप्त हो पाता है | अपने आधार कार्ड के दूसरे प्रिंट को पाने के लिये आपको ऑन लाइन या ऑफ लाइन फॉर्म भरना होता हैं और अपने पूर्व प्राप्त आधार की पूरी डिटेल्स भरनी होती है |आधार की दूसरी प्रिंट पाने के लिये कुछ शुल्क भी जमा करना होता है |
इसके बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओ. टी.पी.आता है | उसको भरने के बाद ही आपका आवेदन, आधार कार्ड के दूसरे प्रिंट के लिये स्वीकृत होता है |
लेकिन किसी भी दशा में, उसी व्यक्ति का, दूसरी पहचान के साथ, दूसरा आधार कार्ड नहीं बन सकता | फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर कितनी बार भी आधार कार्ड के लिए इनरोलमेंट करा लें, लेकिन किसी भी व्यक्ति को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा एक से अधिक आधार कार्ड नहीं आवंटित हो सकते |
अगर दो आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की तो क्या होगा
एक बार दो आधार कार्ड के लिए आवेदन करने की दशा में कानपुर के रहने वाले एक व्यक्ति को 3 साल की सजा हो गई, क्योंकि यूनिक आइडेंटिफिकेशन ऑफ इंडिया (UIDAI)में उसके विरुद्ध आपराधिक कार्य करने की दशा में थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी |
पूरी घटना इस प्रकार है कि कानपुर के रहने वाले एक व्यक्ति, जिनका असली नाम दिनेश विश्वकर्मा था, लेकिन मतदाता पहचान पत्र में गलती से उसका नाम सुभाष विश्वकर्मा प्रिंट हो गया था, जबकि ड्राइविंग लाइसेंस में उसका सही नाम दिनेश विश्वकर्मा ही था|
ऐसे में उनके मन में एक खुराफात सूझी। उसके मन में विचार आया कि मेरे तो अब दो नाम हो गये हैं क्यों न इसका फायदा उठाया जाये। दो नामों के आधार पर अपने दो आधार कार्ड बनवा लिये जायें।
उस व्यक्ति ने आधार केंद्र में जाकर दो बार अपना एनरोलमेंट करा लिया। एक बार दिनेश विश्वकर्मा के नाम से और दूसरी बार सुभाष विश्वकर्मा के नाम से | कुछ दिनों बाद उसका आधार कार्ड बन कर आया तो मामला चौंकाने वाला था | उसका आधार कार्ड उस नाम से बनकर आया था जो उसके मतदान पत्र में गलत छपा था |
उसका आधार कार्ड सुभाष विश्वकर्मा के नाम से आया था| सही नाम वाला आधार कार्ड आया ही नहीं, बल्कि उसके खिलाफ कार्यवाही हो गई और फर्जी दस्तावेज एकत्र करने और जमा करने के जुर्म में सजा भी हो गई | यह घटना इस बात का जीता-जागता सबूत है कि दो आधार कार्ड बनवाना पूरी तरह से अपराध है और पकड़े जाने पर जेल की हवा खानी पड़ सकती है|