काल भैरव का इतिहास

काल भैरव का रहस्य

क्या आप जानते हैं कि जब हम रात्रि के समय में गहरी नींद में सो रहे होते हैं तो एक देवता स्वयं जागकर हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा से हमारी रक्षा करते  हैं। जी हाँ ,यह शत प्रतिशत सत्य है़।आज हम जानेंगे कि वह देवता कौन हैं जो हमारे लिए रात्रिकालीन प्रहरी हैं।

जिन्हें रात्रि के देवता के नाम से भी जाना जाता है़। यह वह परम शक्ति है़ जो हमें अभय वरदान प्रदान करती हैं। यह वह भगवान हैं जो सदा अपने पास सकारात्मक ऊर्जा का प्रकाश लिए रहते हैं और हमारे आस पास की निगेटिविटी  को  पॉजिटिविटी में बदलते रहते हैं ।

भूत-प्रेत तो उनके  नाम से ही भय खाते हैं। इसीलिए इनको भूत- प्रेत से मुक्ति दिलाने वाले देवता भी कहा जाता है़। जब भी कोई व्यक्ति ऊपरी हवाओं से ग्रस्त होता है़ तो वह इन्हीं परम शक्ति के शरण में जाता है़। तब यह देवता उस व्यक्ति को अपनी शरण में ले लेते हैं ।

ऐसे में कोई भी बड़ी से बड़ी बुरी ताकत उस व्यक्ति का बाल भी बाँका नहीं कर सकती। अपने नाम के अनुरूप काल के भय से मुक्ति दिलाने वाले इन देवता को लोग काल भैरव  के नाम से जानते हैं। सृष्टि में इनकी उत्पत्ति का रहस्य अलौकिक और अदभुत है़। आइये जानते हैं कि यह काल भैरव कौन हैं और यह कब, कहाँ से और कैसे सृष्टि में अवतरित हुये।

कौन हैं ये भगवान काल भैरव

यदि हम शब्दकोश के पन्नों को पलटें तो पायेंगे कि काल भैरव का अर्थ भीषण और भयानक होता है। जो भगवान स्वयं भीषण और भयानक हों, उनके समक्ष कोई भयभीत करने वाली शक्ति भला कैसे फटक सकती है? भगवान काल भैरव की परम शक्ति के देवता के रूप में पूजा की जाती है।

काल भैरव के अस्त्र-शस्त्र

काल भैरव का इतिहास

अब मन में यह प्रश्न उठता है कि काल भैरव की उत्पत्ति कैसे हुई ? वास्तव में ये किस देवता के अवतार हैं? शैव मान्यता के अनुसार काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि भगवान काल भैरव, भगवान शिव के रुद्र रूप हैं।

जिनके भीषण प्रभाव के आगे कोई भी बुरी से बुरी शक्ति  पल भर भी ठहर नहीं सकती और वह घास के तिनके के समान उड़ जाती है। प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है़ कि काल भैरव, भगवान शिव का वे रूप हैं जिनकी पूजा के उपरांत जादू- टोने,भूत-प्रेत या अन्य कोई बाधा आदि का भय नहीं रहता। क्योंकि काल भैरव अपने भक्तों को वह शक्ति प्रदान करने वाले हैं जिनके समक्ष कोई  भी बाधा क्षण भर भी टिक नहीं सकती।

काल भैरव के अस्त्र-शस्त्र

काल भैरव अपने शत्रुओं को पराजित करने के लिए अपने पास डंडा, त्रिशूल और तलवार आदि रखते हैं। कहते हैं कि भगवान काल भैरव के वार से आज तक कोई नहीं बच सका। यहाँ यह अवश्य बताना होगा  कि काल भैरव में भगवान शिव की शक्ति के अतिरिक्त सृष्टि के समस्त देवी -देवताओं की शक्ति नीहित है।

इसीलिए तो काल भैरव की पूजा के उपरांत भक्तों में परम शक्ति का संचार होने लगता है। जिसके कारण  वे अपने ऊँचे से ऊँचे लक्ष्य को पाने में सफल होते हैं। पुराणों में उल्लेख है कि काल भैरव के पास हर प्रकार के बड़े से बड़े राक्षस, दुष्ट आत्मा,भूत-प्रेत आदि को काल के गाल में पहुंचाने की शक्ति है। इसीलिए काल भैरव को दुष्ट आत्माओं से मुक्ति प्रदान करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है।

काल भैरव ने कुत्ते को क्यों बनाया अपना वाहन

काल भैरव ने अपने वाहन के रूप में उस जीव को चुना जो स्वयं क्रोधित होने पर भयानक हो उठता है़। जी हाँ, काल भैरव का वाहन काले रंग का कुत्ता है़, जो खूंखार रक्षक का प्रतीक है़। जिस प्रकार कुत्ते को किसी घर का रक्षक माना जाता है़। उसी प्रकार काल भैरव विकट से विकट परिस्थतियों में अपने भक्तों को संकटों से बचाते हैं।

कहते हैं कि एक बार अपने आपको वाहन बनाने की विनती को लेकर स्वयं कुत्ता काल भैरव के पास पहुंच गया। जिसकी विनती को उदार काल भैरव ने सहर्ष स्वीकार कर लिया ।

काल भैरव के जन्म की अदभुत कथा

पुराणों में उल्लेख है़ कि काल भैरव का जन्म एक चमत्कार था जो भगवान शिव ने स्वयं किया। कहते हैं कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि हे नाथ, भक्तगण आपको भोले बाबा कहते हैं। ऐसे में भक्तों को रक्षा के लिए आपके रुद्र अवतार की भी आवश्यकता है। जिससे संकटों में भक्तों का कल्याण हो सके।

कहते हैं कि माता पार्वती की यह बात भगवान शिव को बहुत अच्छी लगी। इसके बाद उन्होंने अपने रक्त से काल भैरव को  उत्पन्न किया। कहते हैं कि जब काल भैरव का जन्म हुआ तो चारों तरफ एक भयंकर डरावना अंधकार छा गया।

सृष्टि की सारी बुरी शक्तियां कांपने लगीं। दरअसल उन बुरी शक्तियों को इस बात का आभास हो गया था कि उन पर राज करने वाली कोई परम शक्ति अस्तित्व में आ चुकी है और अब उनके आदेशों को मानना होगा। तभी उनकी जान बची रहेगी ।

काल भैरव सिद्धि मंत्र

तंत्र-मंत्र की शक्तियों को जागृत करने के लिए काल भैरव अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं । कहते हैं कि काल भैरव को प्रसन्न करने के उपरांत उनकी कृपा पाकर उनका भक्त विश्व में शीर्ष स्थान को प्राप्त कर सकता है। काल भैरव की कृपा पाने का मार्ग बहुत सरल है़।

‘ॐ काल भैरवाय नमः’ वह छोटा सा मंत्र है़ जिसमें विशाल शक्तियाँ नीहित हैं। ग्रंथों में उल्लेख है़ कि यदि कोई व्यक्ति इस भैरव मंत्र का 108 बार जाप करे तो वह अपने जीवन में समस्त भय से मुक्ति प्राप्त करता है़ और वह आंतरिक शक्ति पाता है़ जिसके कारण उसके मन-मष्तिष्क से संपूर्ण भय का नाश होता है़। (Note : मंत्र के विषय मे किसी योग्य गुरु से परामर्श लेने के बाद ही जप करना उचित रहता है, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि होने की संभावना अधिक होती है)

काल भैरव के पूजन कार्य में काले रंग के तिल, काली उड़द की दाल, धतूरे के पौधे का फूल और फल, काले रंग के वस्त्र, सुगंधित चंदन और अक्षत आदि का उपयोग किया जाता है़। ऐसा  भी कहा जाता है़ कि काल भैरव की मूर्ति पर मदिरा चढ़ाने पर वह  प्रसन्न हो जाते हैं।

ऐसी भी मान्यता है़ कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना पूर्ण करना चाहता है़ तो उसे काल भैरव के जाप के पश्चात अपने हाथों से बनाया हुआ स्वादिष्ट भोजन उनके वाहन अर्थात काले कुत्ते को खिलाना चाहिए। कहा जाता है़ कि ऐसा करने से काल भैरव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है़।

काल (मृत्यु ) स्वयं काल भैरव से भय खाता है़

काल भैरव भगवान शिव के वह अवतार हैं जिनसे काल भी भय खाता है़। इसलिए जो भक्त काल भैरव की शरण में आते हैं वह मृत्यु भय से मुक्ति पा लेते हैं। उनकी  कभी अकाल मृत्यु नहीं होती और वे दीर्घायु जीवन जीते हैं। पुराणों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है़ कि यदि इस धरती पर अभय वरदान प्राप्त करना है़ तो इसके लिए काल भैरव को प्रसन्न करना होगा।

ऐसा कहा जाता है़ कि शिव के उग्र रूप के अवतार काल भैरव अत्यंत सरल हैं जो अपने भक्तों से क्षण भर में प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए तो वे कभी भक्तों द्वारा अर्पित की जाने वाली मदिरा को ग्रहण करने लगते हैं तो कभी धूम्रपान करने लगते हैं। यह बात हकीकत है़ या फ़साना । जो काल भैरव के निकट सच्चे मन से गया उसने ही यह जाना।

काल भैरव से जुड़ी अदभुत घटनाओं का रहस्य

यह अदभुत रहस्य है़ कि जो कोई भी काल भैरव के जप-तप से जुड़ जाता है़ तो फिर उसका मन अन्यत्र कहीं नहीं भटकता। काल भैरव के परम भक्त अधिकांशतः एक ईश्वरवाद का अनुकरण करते हुये पूरी तरह काल भैरव के शरण में चले जाते हैं। कहा भी जाता है़ कि जहाँ सच्ची भक्ति है़ वहीं सच्ची ईश कृपा प्रकट होती है़।

ऐसे में भक्त भगवान को जो कुछ चढ़ाते हैं तो उसे भगवान सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद की सत्य घटना है़ कि एक स्थान पर यह खबर चर्चा का विषय बनी और एक चमत्कारिक घटना सामने आयी कि भैरव नाथ सिगरेट पीने लगे ।

फिर क्या था यह चमत्कार देखने वालों की भीड़ लग गयी। लोगों ने देखा कि मंदिर का पुजारी जब भी काल भैरव की मूर्ति के मुख पर जलती हुई सिगरेट लगाता था तो ऐसा लगता था कि काल भैरव की मूर्ति धूम्र पान कर रही हो। लोग- बाग यह दृश्य देखकर आश्चर्य चकित रह गये।

उन्हें अपनी आँखो पर विश्वास ही नहीं हुआ। साइंटिस्ट भी इस अदभुत घटना को देखने पहुँचे । लेकिन उन्हें ऐसा कोई साक्ष्य हाथ नहीं लगा कि जिससे वे इस चमत्कारिक घटना को निराधार साबित कर पाते। इसी तरह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बार काल भैरव द्वारा मदिरापान की न्यूज मिली।

अब ऐसी अदभुत घटनाएं काल भैरव का चमत्कार  हैं अथवा आँखो का भ्रम,यह कहना मुश्किल है़। लेकिन इतिहास साक्षी है़ कि सच्चे मन से पूजा करने पर पत्थर में भी प्रभु की शक्ति उत्पन्न हो जाती है़। फिर ये तो काल भैरव हैं जो अपने भक्तों पर सदा से ही कृपालु हैं।

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