हिंदू शास्त्रों के अनुसार जब भी किसी घर में जन्म या मृत्यु होती है तो उसके कारण लगने वाले अशुद्धि या दोष को सूतक कहा जाता है। कहीं-कहीं जन्म के समय होने वाली इस अशुद्धि को सूतक और मृत्यु के पश्चात होने वाली अशुद्धि को पातक कहते हैं।
अब चूँकि सूतक के समय पूजा-पाठ या कोई भी धार्मिक कार्य करना वर्जित होता है तो ऐसे में समस्या ये उत्पन्न होती है कि लड्डू गोपाल की सेवा कैसे करें क्योंकि लड्डू गोपाल की नियमित पूजा सबसे ज़रूरी होती है, तो आइये आज इसी पर चर्चा करते हैं।
सूतक कितने दिन का होता है?
किसी की मृत्यु होने पर जब तक मृत व्यक्तियों की अस्थियाँ गंगा जी में विसर्जित नहीं कर दी जातीं तब तक सूतक माना जाता है। फिर वहां से गंगाजल भरकर लाया जाता है और घर में उसका पूजन होता है, हवन होता है और उसके बाद घर शुद्ध होता है।
ज्यादातर लोग 10 दिन का सूतक मानते हैं और ग्यारहवें दिन तक शुद्धिकरण होता है। यदि किसी घर में बच्चे का जन्म हुआ है तो 3 या 5 दिन का सूतक लगा माना जाता है और उसके बाद ही माँ और बच्चे की शुद्धि होती है। यदि बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो फिर यह सूतक थोड़े लंबे समय तक चलता है। सूतक में यदि कोई व्यक्ति पूजा पाठ, दान-दक्षिणा इत्यादि करता है तो उसे अच्छा नहीं माना जाता है।
सूतक में लड्डू गोपाल की सेवा
सूतक में घर के मंदिर में पूजा पाठ करना और भगवान की मूर्ति को छूना या घर के मंदिर में दीप जलाना सब कुछ निषेध है, परंतु लड्डू गोपाल घर पर है तो उन की सेवा तो नियमित होनी ही चाहिए। ऐसे में कहा जाता है कि यदि आपकी कोई विवाहित बहन या पुत्री है तो वह अपने घर ले जाकर कान्हा जी की सेवा और पूजा-अर्चना कर सकती हैं।
अगर यह भी संभव ना हो तो आप अपने किसी करीबी मित्र या अपने अच्छे पड़ोसियों से भी मदद ले सकते हैं। जब तक सूतक चल रहा है तब तक वह लड्डू गोपाल जी को अपने घर में रखकर उनकी सेवा कर सकते हैं। इसमें यह विशेष ध्यान देने वाली बात है कि जो भी व्यक्ति लड्डू गोपाल जी को अपने घर ले जा रहा है, उसके मन में उनके प्रति वाकई में प्रेम और श्रद्धा अवश्य होनी चाहिए।
किसी को भी जबरदस्ती कान्हा जी की सेवा करने को ना कहें। यदि इनमें से कुछ भी संभव ना हो तो आप मानसिक रूप से प्रतिदिन लड्डू गोपाल जी का नियमित पूजन करें और उनको भोग अर्पित करें। ध्यान रहे कि यह सब आप के द्वारा सिर्फ मानसिक रूप से किया जाना चाहिए क्योंकि भगवान तो भाव के ही भूखे हैं और यदि आप अपने भाव उनके प्रति समर्पित करते हैं तो प्रभु किसी भी चीज का बुरा नहीं मानते।
आजकल नयी पीढ़ी के कई लोग सूतक नहीं मानते, उनको ऐसा लगता है कि एक तो घर पर बालक जन्म के रूप में खुशियां आई हैं तो ऐसे में हम सूतक जैसे नियमों का पालन क्यों करें परंतु हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारे शास्त्रों में हर चीज का वैज्ञानिक तर्क दिया गया है। अतः हम सबको अपने शास्त्रों और पुराणों में दिए गए संस्कारों का पालन करते रहना चाहिए।