रंग ख़ुशी और मायूसी, उत्साह और निराशा, सकारात्मकता या नकारात्मकता, सभी तरह की वृत्तियों को दर्शाते हैं जिससे हमारे मन और विचारों पर गहरा असर पड़ता है। इसीलिए, रंगों ने हम सभी के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है और हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में इनका विशेष महत्त्व रहा है।
ऐसे में यह प्रश्न भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि अपने घर के पूजा स्थल के लिए आप कौन सा कलर चुनें जिससे ध्यान, पूजा इत्यादि करते समय आपका मन आसानी से आध्यात्मिकता की ओर जाए और ध्यान में आपका पूरा मन लगे। मंदिर के कलर का आपके मन पर गहरा असर होता है, अतः इसका चुनाव सावधानी से करना चाहिए।
आइए शास्त्रों के अनुसार जान लें कि मंदिर के अलग-अलग रंगों के क्या अर्थ हो सकते हैं और इस आधार पर आपके मंदिर के लिए सबसे अच्छा कलर कौन सा हो सकता है। यहाँ पर ये बात ध्यान रखने योग्य है कि अलग-अलग रंगों का लोगों पर अलग-अलग प्रभाव हो सकता है किन्तु हम यहाँ पर प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार तथ्यों को बता रहे हैं।
शाँत और सात्त्विक सफ़ेद कलर
आपको इसी कलर के सबसे अधिक मंदिर दिखेंगे क्योंकि अधिकतर लोग पूजा स्थल पर शाँति प्राप्त करने के लिए जाते हैं और सफ़ेद रंग को शाँति का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में भी वर्णित है कि सत्व गुणों को अपनायेंगे और ध्यान में दिव्य शाँति का अनुभव करेंगे तो आपको अपने मन में सफ़ेद रंग का प्रभाव महसूस होगा।
विशेष तौर पर ऋग्वेद में सफ़ेद रंग को ज्ञान और विवेक से जुड़ा हुआ रंग बताया गया है। बहुत से देवी-देवता, विशेषकर भगवान विष्णु और सरस्वती माता आपको इसी रंग के वस्त्रों में दिखेंगे, जिससे दिव्य आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान की आभा झलकती है। इसलिए यदि आप अपने भगवान के ध्यान और पूजा के समय शाँति का माहौल चाहते हैं तो आपके लिए पूजा घर में सफ़ेद रंग का मंदिर सबसे सुन्दर विकल्प हो सकता है।
केसरिया रंग का मंदिर
केसरिया यानी भगवा रंग हिन्दू धर्म और भारतीय सभ्यता में एक विशेष स्थान रखता है। यदि आप कभी भारत के मंदिरों वाले प्रमुख शहरों जैसे वाराणसी या ऋषिकेश में दर्शन करने जायें तो भगवा एक ऐसा रंग है जो आपको वहाँ के बहुत से मंदिरों में दिखेगा।
भगवान श्री राम के वस्त्र भी आपको अधिकतर चित्रों में भगवा रंग के दिखेंगे जो वनवास के समय उनकी त्याग की भावना और दिव्य पौरुषत्व के प्रतीक हैं। श्री राम के भक्त बजरंग बली के वस्त्रों का रंग भी आपको ऐसे ही केसरिया रंग में रंगा दिखाई देगा।
साधुओं के वस्त्रों से लेकर मंदिरों के ऊपर लहराते झंडों तक भगवा रंग त्याग, बलिदान और आध्यात्मिक ज्ञान की खोज का प्रतीक माना जाता रहा है। अथर्ववेद में भगवा रंग को उगते सूरज का प्रतीक बताया गया है। भगवा रंग वाला मंदिर आपके लिए ऐसा माहौल बना सकता है जहाँ आंतरिक ज्ञान और सात्त्विकता का प्रकाश हो, साथ ही वह देखने में भी सुंदर लगे।
सुनहरे रंग से बढ़ेगी आपके मंदिर की शान
भगवान का मंदिर निश्चित रूप से बहुत शानदार दिखना चाहिए और सुनहरा रंग आपके मंदिर को एक भव्य रूप देगा। भारत और दुनिया भर में कई ऐसे विश्व-प्रसिद्ध मंदिर हैं जो सुनहरे रंग से बने हैं। कुछ मंदिरों में तो असली सोने का बना होने के कारण सुनहरा रंग दिखता है।
विशेष तौर पर लक्ष्मी माता के मंदिरों में आपको सुनहरा रंग दिख सकता है क्योंकि वह तो ऐश्वर्य और वैभव की ही देवी हैं। अगर सुनहरा रंग आपको ज्यादा चमकदार और तड़क-भड़क वाला रंग लगे तो आप पीला रंग भी चुन सकते हैं जो देखने में वैसा ही लेकिन कम चमकदार रंग लगेगा।
अथर्ववेद में सोने को एक दिव्य पदार्थ माना गया है और इसे अक्सर सूर्य भगवान से जोड़ा जाता है, जिनसे हम सबको जीवन और शक्ति मिलती है। सोना एक ऐसी धातु है जो आंतरिक समृद्धि, दैवीय कृपा, सुरक्षा भावना और धन-वैभव का प्रतीक है। आपके मंदिर का सुनहरा रंग यह दर्शाता है कि आपके घर में प्रभु की असीम कृपा होने से सुख समृद्धि है और आप पर भगवान अपना आशीर्वाद बरसा रहे हैं।
सुर्ख लाल रंग का देवी माँ का मंदिर
आपने सुना ही होगा कि देवी माता को लाल रंग का जोड़ा चढ़ाया जाता है, लाल रंग देवी माता की शक्ति का रंग है, माता की इसी शक्ति से सारे संसार में जीवन का प्रवाह चलता रहता है। हमारे देश में देवी माँ के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर, जैसे दुर्गा मइया और काली माता के मंदिर आपको इसी रंग के दिख जायेंगे। असम का कामाख्या मंदिर इसका सबसे प्रसिद्ध उदहारण है।
मंदिर के इन सकारात्मक रंगों में से जो भी उस देवी-देवता के अनुकूल हो, जिसकी आप मुख्य रूप से पूजा करते हों और जो उस देवता का रंग माना जाता हो, वैसा रंग आप अपने मंदिर का रखें तो सबसे शुभ रहेगा।
धार्मिक विचार से अलग यदि मंदिर को तेजस्विता और दिव्य ऊर्जा प्रदान करने वाला केंद्र माना जाए तो उसका वातावरण भी उसी के अनुसार सात्विक होना चाहिए। इस तरीके से शास्त्रों के अनुसार चुना गया मंदिर का रंग आपको दिव्य ऊर्जा से भर देगा जिससे पूजा करने में आपका और भी अधिक मन लगेगा।