हिंदू धर्म में हर चीज़ वास्तु के अनुसार की जानी उचित मानी जाती है और उसके अनुसार ही हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसमें घर किस दिशा में होना चाहिए उसमे कौन सी चीज़ या कमरा कैसा होना चाहिए, उसका आकार, जल स्रोत, स्नान घर, शौचालय इत्यादि हर किसी के नियम तय किये गए हैं।
यदि हम इन नियमों के अनुसार ही चलेंगे तो इससे हमारा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक इत्यादि सभी तरह का विकास देखने को मिलता है। तो इसी में यह प्रश्न भी महत्वपूर्ण होता है कि हमें किस दिशा की और मुहं करके नहाना चाहिए या किस दिशा में मुहं करके नहाना सबसे उचित रहता है।
तो आज हम आपको वही बताने वाले हैं जिससे आपकी यह दुविधा समाप्त हो जाए कि कहीं आप गलत दिशा में मुहं करके तो नहीं नहा रहे हैं।
किस दिशा में मुहं करके नहाना चाहिए?
इसका सही उत्तर होता है पूर्व दिशा या फिर उत्तर दिशा। तो यदि आप अपने घर में स्नान घर में नहाने जा रहे हैं और यदि आप अपना मुहं पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर करके नहा रहे हैं तो यह सबसे उचित माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि स्नान घर में नहाने की क्रिया भगवान चंद्रमा से संबंधित होती है और उनकी मुख्य दिशा पूर्व ही होती है या फिर उतर दिशा में उनका प्रभाव रहता है।
ऐसे में यदि आप भी चंद्रमा की और मुहं करके नहाते हैं तो इसका सकारात्मक प्रभाव आप पर पड़ता है और जल की शरीर के साथ क्रिया अच्छे से होती है। वहीं यदि आप पश्चिम या दक्षिण दिशा में मुहं करके नहाते हैं तो यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और आपको जल संबंधित कई तरह के रोग हो सकते हैं। यही कारण है कि वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में मुहं करके नहाना सबसे प्रभावी माना गया है।
स्नान घर का मुहं किस दिशा में होना चाहिये?
इसी के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आपके घर में स्थित स्नान घर का मुहं किस दिशा की ओर किया हुआ होना चाहिए। तो इसके लिए घर की पूर्व की दिशा को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है और उसी दिशा की ओर मुहं करके स्नान घर का बनाया जाना वास्तु के अनुसार सबसे उचित माना गया है। तो यदि आपके घर का स्नान घर पूर्व दिशा की ओर मुख किये हुए है तो यह सबसे सही रहेगा या फिर आप नया घर बनवाने जा रहे हैं तो उसमे स्नान घर इसी दिशा में ही स्थित हो।
स्नान घर को लेकर वास्तु के नियम
बहुत से लोग आज कल एक बहुत बड़ी गलती करते हैं और वह होती है स्नान घर व शौचालय को एक साथ बनाया जाना जबकि वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करना बिल्कुल भी उचित नहीं माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि स्नान घर में चंद्रमा का प्रभाव होता है जबकि शौचालय में राहु का वास होता है। ऐसे में यदि दोनों को एक साथ बानाया जा रहा है तो इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। इसलिए दोनों को अलग अलग बनाया जाना ही उचित रहता है।
वहीं यदि आपके स्नान घर में हाथ धोने का वाशबेसिन भी पूर्व या उत्तर दिशा में ही स्थित होगा तो यह शुभ रहता है। दरअसल स्नान से जुड़ी हर चीज़ का पूर्व या उत्तर दिशा में रहना ही शुभ रहता है। इसमें स्नान घर में लगाया जाने वाला शीशा भी पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए लेकिन यह दरवाजे के एकदम सामने भी ना हो। इन सभी नियमों का पालन करते हुए यदि आप नहाते हैं तो यह सबसे अधिक शुभ फल देने वाला सिद्ध होता है।