कीबोर्ड क्या है और यह कितने प्रकार का होता है

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कंप्यूटर या लैपटॉप में शब्द लिखने या कमाँड देने के लिए इस्तेमाल होता है कीबोर्ड। वैसे तो कंप्यूटर केवल बाइनरी भाषा समझता है जो बनती है 0 और 1 के अलग-अलग कॉम्बिनेशन से, जिसे मशीनी भाषा भी कहते हैं परन्तु सीधे तौर पर बाइनरी भाषा में लिखना जटिल हो सकता है, इसलिए उसे सरल बनाने के लिए कीबोर्ड का अविष्कार किया गया।

कैसे काम करता है कीबोर्ड?

जब आप कीबोर्ड का कोई बटन दबाते हैं तो आपका कीबोर्ड आपके कंप्यूटर को मशीनी बाइनरी भाषा में सन्देश देता है कि वह अक्षर टाइप करना है। उदहारण के लिए, आपने बटन दबाया ‘a’ तो उस a अक्षर का जो भी बाइनरी भाषा कोड होगा, आपका कीबोर्ड कंप्यूटर को वो बता देगा जिसके कारण कंप्यूटर का प्रोसेसर निर्देश का पालन करते हुए स्क्रीन पर a अक्षर को दिखाएगा।

ऐसे ही दो बटनों को मिला कर जो निर्देश बनता है, वह कंप्यूटर तक पहुँचता है। यदि आप किसी फाइल पर क्लिक करके कण्ट्रोल C दबाते हैं यानि कण्ट्रोल बटन के साथ अक्षर C, तो फोल्डर के अंदर, पहले से सेलेक्ट हुई फाइलें कॉपी हो जाती है।

और जब आप दूसरे फोल्डर में पहुँच कर कण्ट्रोल V दबाते हैं तो आपका कंप्यूटर निर्देश मानते हुए टारगेट फोल्डर में वो फाइल पेस्ट कर देता है। अब आपकी वो फाइल दोनों फ़ोल्डरों में दिखाई देगी। तो देखा आपने, कीबोर्ड ने आपका काम कितना आसान कर दिया नहीं तो एक अक्षर टाइप करने या छोटी सी कमाँड देने के लिए भी हमें लम्बे लम्बे बाइनरी कोड टाइप करने पड़ते।

कीबोर्ड कितने प्रकार के होते हैं?

मूल रूप से कीबोर्ड 4 प्रकार के होते हैं जिनके बारे में हम नीचे यहाँ आपको बता रहे हैं।

क्वर्टी कीबोर्ड: इसको आप आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला स्टैंडर्ड कीबोर्ड भी कह सकते हैं। लगभग सभी घरों में कंप्यूटर या लैपटॉप में आप यही कीबोर्ड लगा हुआ देखेंगे। इसे क्वर्टी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस कीबोर्ड में बायें तरफ से शुरू होने वाले अक्षर इस क्रम में हैं – Q W E R T Y और अंग्रेजी के इन अक्षरों को मिला कर पढ़ने से बनता है क्वर्टी।

इस कीबोर्ड के अक्षरों का ऐसा अजीब संयोजन किस लिए किया गया, इसके पीछे भी एक कहानी है। हुआ यह कि सबसे पहले बने कीबोर्ड में अक्षर अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार ही रखे गए थे पर उनसे टाइपिंग में परेशानी होती थी। अमेरिका के एक अख़बार के एडिटर क्रिस्टोफर शोल्स ने 1990 में यह क्वर्टी कीबोर्ड का अविष्कार किया जो वैज्ञानिक आधार पर बनाया गया था। इसको टाइपिंग के लिए बहुत सुविधाजनक माना गया और अभी तक हर कंप्यूटर में यही इस्तेमाल होता रहा है।

गेमिंग कीबोर्ड: इस कीबोर्ड में स्टैंडर्ड क्वर्टी कीबोर्ड से कुछ ज़्यादा बटन दिए होते हैं जिन पर किसी फंक्शन को परफॉर्म करने के लिए मैक्रो असाइन किए गए होते हैं। इससे फायदा यह होता है कि 2-3 बटनों के कॉम्बिनेशन प्रैस करने नहीं पड़ते, एक ही बटन से काम हो जाता है।

इसके अलावा गेमिंग में जो सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले बटन हैं यानि W, A, S, D वो एक साथ दिए गए होते हैं, इसलिए इसको WASD कीबोर्ड भी कहते हैं। कुछ ऐक्स्ट्रा फंक्शन्स होने के कारण ये कीबोर्ड क्वर्टी से ज़्यादा पावरफुल माना जाता है।

पहले एटीएम की शुरुआत 1967 में हुई जब जॉन शेफर्ड-बैरन नाम के एक ब्रिटिश आविष्कारक ने इस मशीन की शुरुआत की थी।

इसकी डिज़ाइन एर्गोनॉमिक (डिज़ाइन के कारण टाइप करने में कम ऊर्जा लगने से आसानी) होती है और बटन भी मेम्ब्रेन की बजाय मैकेनिकल होते हैं जिनसे अक्षरों को प्रैस करने में आसानी होती है और साथ ही durability अधिक होने से इनकी लाइफ अधिक होती है। इसके बेहतर फीचर्स के कारण यह स्टैंडर्ड कीबोर्ड से काफी ज़्यादा मँहगा होता है।

मल्टीमीडिया कीबोर्ड: जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, इस तरह के कीबोर्ड में मल्टीमीडिया के फंक्शन्स के लिए ऐक्स्ट्रा बटन दिए गए हैं जैसे कि स्क्रीनशॉट लेने के लिए, एक ही बटन प्रैस करके ईमेल या डॉक्यूमेंट खोलने के लिए, साउंड कंट्रोल करने के लिए इत्यादि।

इससे आप अपनी म्यूजिक, फोटोज़ और वीडियो को सीधे कीबोर्ड से ही प्ले या एडिट कर सकते हैं, जिससे आपका समय और आपकी ऊर्जा, दोनों बचेगी। मल्टीमीडिया फंक्शन्स के ऐक्सट्रा फीचर्स के कारण यह भी स्टैंडर्ड कीबोर्ड से ज़्यादा मँहगा होता है।

वर्चुअल कीबोर्ड: जैसा कि इसके नाम से ही विदित है, यह वर्चुअल यानि आभासी कीबोर्ड है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहाँ अन्य कीबोर्ड हार्डवेयर एक्सेसरी का हिस्सा होते हैं, वहीँ यह कीबोर्ड एक सॉफ्टवेयर है। जहाँ आपको टाइप करना है, यदि वहाँ वर्चुअल कीबोर्ड का ऑप्शन उपलब्ध है तो उस पर क्लिक करने पर वहाँ एक बॉक्स खुल जायेगा जिसमें स्टैण्डर्ड कीबोर्ड के सारे बटन होंगे।

फर्क यहाँ सिर्फ इतना है कि जहाँ स्टैण्डर्ड कीबोर्ड में आप बटन को दबा कर टाइप कर रहे थे, यहाँ पर आपको अक्षर को स्क्रीन (या जो ऑप्शन उपलब्ध हो) पर क्लिक करके टाइप करना होता है। अक्सर आपको बैंकों की वेबसाइट पर पासवर्ड टाइप करने के लिए यह ऑप्शन दिखाई देगा क्योंकि इसमें पासवर्ड हैक होने की सम्भावना कम होती है।

वीजा (VISA) वह लाइसेंस है जो…

और इसलिए क्लिक करके पासवर्ड टाइप करना स्टैण्डर्ड कीबोर्ड के मुकाबले ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है। यह कीबोर्ड फिजिकल न होकर वर्चुअल होने के कारण आपको इसे खरीदने की ज़रूरत नहीं होती, ये कुछ वेबसाइटों पर ऑटोमेटिकली उपलब्ध होता है।

इन ऊपर बताए गए कीबोर्ड्स में से भी कनैक्टिविटी और डिज़ाइन के आधार पर कुछ अलग-अलग तरह के कीबोर्ड्स हो सकते हैं जैसे कि वायर्ड (यानि तार वाला) कीबोर्ड, वायरलैस (बिना तार वाला) कीबोर्ड, ब्लूटूथ या वाई-फाई स्टैण्डर्ड कीबोर्ड और USB कीबोर्ड।

वैसे तो आज की मॉडर्न दुनिया में कंप्यूटर और लैपटॉप की एक्सेसरीज में बहुत तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं, जैसे कि अब तो टचस्क्रीन भी आ गयी है जिसकी वजह से टाइप करने की बजाए स्क्रीन पर टच करके आप कई चीज़ें कर सकते हैं। फिर भी कीबोर्ड की जगह अभी भी बरक़रार है, क्योंकि जल्दी और ज़्यादा टाइप करने के लिए आज भी कीबोर्ड ही टाइपिंग का सबसे अच्छा साधन माना जाता है।

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