250 साल पहले लगाया गया एक पेड़ जो आज भी इस धरती पर अपनी आभा बिखर रहा है। क्या इस पेड़ को लगाने वाले ने कभी सोचा था कि उसका यह पेड़ एक दिन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाएगा? क्या उसको यह पता था कि उसके लगाये गये पेड़ का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के पन्नों में दर्ज हो जायेगा।
आखिर क्या है रहस्य इस पेड़ के इतने लंबे जीवन का? किसने दिया है इस पेड़ को लंबा जीवन जीने का वरदान ? वह कौन से प्राकृतिक तत्व हैं जो इस वृक्ष को वातावरण और भूमि से उसे प्राप्त हो रहे हैं, जिसके कारण यह सैकड़ों साल पुराना यह पेड़ आज तक जीवित है।
आइए जानते हैं कि वह किस चीज का पेड़ है जो विश्व में सबसे लंबे समय से जीवित है। यह भी जानेंगे कि यह संसार का सबसे बूढ़ा पेड़ कहां स्थित है ? इस पेड़ की वे खास बातें जिन्हें जानकर हर कोई व्यक्ति जिसके आगे नतमस्तक हो जाता है। आज हम जानेंगे वह तमाम बातें जो इस 250 साल के बूढ़े पेड़ से संबंधित है।
कहाँ पर स्थित है यह विश्व का सबसे पुराना पेड़
आइए इस संसार के सबसे बूढ़े पेड़ के बारे में जानने के लिए आज हम आपको, अपनी साँस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध शहर कोलकाता लिए चलते हैं। कोलकाता शहर में पहुंचते ही जैसे आप किसी वाहन चालक से जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन जाने के लिए अपनी इच्छा जाहिर करेंगे तो वैसे ही वह व्यक्ति जान जाएगा कि आपको उस पेड़ के दर्शन करने हैं जिसे देखने के लिए दूरदराज से देश-विदेश से लोग यहाँ वर्ष भर आते रहते हैं।
किस चीज का है ये पेड़
यदि कोई पर्यटक कोलकाता आता है तो इस अदभुत पेड़ को देखने अवश्य जाता हैं क्यों कि उन्हें ऐसा लगता है जैसे की वह अपने पूर्वजों की गोद में बैठे हुए हैं। आइये सर्वप्रथम जानते हैं कि यह पेड़ किस चीज का है? जी हाँ, यह पेड़ बरगद का है। यह वही बरगद का पेड़ है जो हिंदू धर्म मैं पूज्यनीय माना जाता है।
यह बात सर्वविदित है कि बरगद का पेड़ लंबे समय तक जीवित रहता है। लेकिन कोई बरगद का पेड़ इतने लंबे समय तक जीवित रहेगा, यह विषय सचमुच आश्चर्यजनक है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस बरगद के पेड़ को वर्ष 1787 में लगाया गया था। उस समय इस वृक्ष की उम्र 20 वर्ष की थी। इस गणित के हिसाब से आज इस बरगद के पेड़ उम्र लगभग 234 वर्ष के ऊपर हो चुकी है।
कितना बड़ा है ये पेड़
किसी महात्मा की जटाओं की तरह इस बरगद के पेड़ की लंबी-लंबी जटायें यह बता रही है कि यह पेड़ सैकड़ों वर्ष पुराना है। यह वट वृक्ष लगभग 44500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई 24 मीटर से अधिक है। इस बरगद के पेड़ को देखने से ऐसा लगता है कि यह कोई एक पेड़ नहीं बल्कि यहाँ हजारों की संख्या में पेड़ लगे हुए हैं। जबकि ऐसा नहीं है।
बरगद के इस सैकड़ो साल पुराने पेड़ की जटायें नीचे धरती तक लटकी हुई हैं और वे जटायें वहीं भूमि से जुड़ गई हैं। जिसके कारण वह एक अलग पेड़ का आभास कराती हैं। संसार भर में इतनी विशालतम छाया देने वाला यही एकमात्र बरगद का वृक्ष है, जिसकी पैंतीस सौ से भीअधिक जटाएं हैं।
इस पेड़ की अद्भुत विशेषता यह भी है कि यह वह वट वृक्ष है जहां विश्व भर की 100 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां रहती है। जब आप इस बरगद के वृक्ष के नीचे आते हैं तो ऐसा लगता है कि आप एक नए संसार में प्रवेश कर चुके हैं ,जो कोलाहल और प्रदूषण से मुक्त शीतल छाया और पंछियों की मधुर ध्वनि से भरपूर है।
उस समय ऐसा ही लगता है कि इस वट वृक्ष की अद्भुत सुखदायक छाया पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस स्थान का अनुपम सौंदर्य स्वर्ग से बढ़कर है। क्योंकि यह वह जगह है जहां प्रकृति अपना भरपूर प्यार जीवो पर बरसा रही है, जिसके अकथनीय सुख को भोग कर लोग अपने आपको धन्य मानते हैं। यह वट वृक्ष इंसानो को ही नहीं, पंछियों को भी अपनी ओर सम्मोहित करता है, जिसके कारण आज इस वट वृक्ष में देश -विदेश के लाखों की संख्या में पक्षी निवास करते हैं।
भारत सरकार ने दिया इस बूढ़े पेड़ को सम्मान
अपनी अदभुत विशेषताओं के लिए इस पेड़ का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। भारत सरकार ने इस बरगद के पेड़ का डाकटिकट वर्ष 1987 में जारी कर इसे सम्मान प्रदान किया गया है, जिसके कारण पर्यावरण संरक्षण का संदेश चारों ओर फैला है। गवर्नमेंट ने इस 250 वर्ष पुराने बरगद पेड़ की देखभाल के लिए एक टीम गठित की है जो इस बरगद के पेड़ की देखभाल करती है।
द ग्रेट बनयान ट्री के लंबे समय तक जीवन जीने का रहस्य
अब तक कोई भी इस बरगद के लंबे जीवन जीने का रहस्य नहीं जान पाया है। कुछ वैज्ञानिक इस स्थान की मिट्टी को इसका श्रेय देते हैं तो कुछ यहां के वातावरण को, लेकिन कुछ भी हो यह बरगद का पेड़ किसी दैवीय शक्ति से परिपूर्ण नजर आता है। ऐसा लगता है जैसे की यहाँ किसी देवता का वास है।
तभी तो सैकड़ों वर्षों से आने वाली तेज धूप वर्षा, आंधी तूफान इस पेड़ का कुछ भी बिगाड़ पाए। इसीलिए आंधी तूफान में भी यह बरगद का पेड़ लगभग ढाई सौ वर्षो से अपनी विशाल भुजाओं और हरे- भरे पत्तों के साथ कोलकाता में एक विशाल पर्वत की भांति खड़ा है।