अक्सर लोग प्रतिदिन मंदिर नहीं जा पाते इसलिए वह अपने घर में ही पूजा घर स्थापित कर लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में मंदिर होने से और नियमित पूजा पाठ होने से घर पर सुख शांति और समृद्धि सदैव बनी रहती है, परंतु घर में मंदिर बनवाते समय अगर हमसे कुछ त्रुटियां हो जाए तो हमें पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता।
ज्योतिष शास्त्र की माने तो जब ग्रह अनुकूल हों तभी हमें घर में मंदिर की स्थापना करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त हमारा भाग्य तो नहीं बदल सकता परंतु हमें अपने कार्य के लिए सहायक माहौल ज़रूर तैयार मिल जाता है, जिससे हमारे कार्य की सफलता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
शुभ मुहूर्त में कई सारे ग्रह और नक्षत्र अच्छे फल देने वाले होते हैं। शुभ मुहूर्त निकालते समय ग्रहों की स्थिति, तिथि, वार, नक्षत्र, चौघड़िया और लग्न आदि का मुख्य रुप से ध्यान रखा जाता है। आइए जानते हैं कि शुभ घड़ी और दिशा के अनुसार, घर में मंदिर और उसमें देवी देवताओं की स्थापना किस दिन करें।
घर में मंदिर की स्थापना कब करें?
घर में मंदिर की स्थापना के लिए शुभ महीने हैं चैत्र, फाल्गुन, वैशाख, माघ और ज्येष्ठ। यह भी माना जाता है कि यह कार्य अगर शुक्ल पक्ष में किया जाए तो घर में मंदिर स्थापना की यह घड़ी अति शुभ होगी। मूर्ति स्थापना करने के लिए शुभ दिन हैं सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार परंतु ध्यान रखें, मंगलवार को मूर्ति स्थापना बिल्कुल ना करें।
वैसे हिन्दू परम्पराओं में किसी दिन विशेष और तारीख की बजाय तिथियों, लग्नों और नक्षत्रों का विशेष महत्त्व है, क्योंकि वैज्ञानिक रूप से भी देखें तो हर साल कोई तारीख अलग-अलग मौसम और विशेषताओं वाली हो सकती है, परंतु हर साल एक विशेष तिथि एक जैसा वातावरण लाती है। इसके कारण कोई तिथि किसी कार्य के लिए शुभ होती है तो ज़्यादा अच्छा होता है।
घर में मंदिर की स्थापना के लिए शुभ नक्षत्र कौन से हैं?
उसी प्रकार यदि हम घर में मंदिर की स्थापना के समय शुभ नक्षत्र का भी विचार कर ले तो अति उत्तम होगा जैसे पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तर आषाढ़, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, श्रवण और पुनर्वसु नक्षत्र इस शुभ कार्य के लिए सबसे अच्छे नक्षत्र हैं। यदि घर में मंदिर की स्थापना शुभ लग्न में की जाए तो वह सोने पे सुहागा की तरह और भी अच्छा होता है। मंदिर में मूर्ती स्थापना के लिए वृषभ, मिथुन, कन्या, धनु और मीन लग्न अत्यंत ही शुभ माने जाते हैं।
भगवान की मूर्तियों की बात करें तो भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापना का शुभ नक्षत्र है रोहिणी, उत्तराभाद्रपद, रेवती ,अनुराधा ,अश्विनी व पुष्य नक्षत्र। इन नक्षत्रों में अगर हम अपने पूजाघर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ती की स्थापना करें तो ये अत्यंत ही शुभ होता है। वहीँ अगर हम तिथियों की बात करें तो भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापना के लिए शुभ तिथि द्वादशी मानी जाती है।
भगवान विष्णु के अलावा अगर हम भगवान गणेश और मां सरस्वती की मूर्ति स्थापना के लिए रेवती नक्षत्र को चुने तो ये अति उत्तम माना गया है। इसके अलावा मां दुर्गा की मूर्ति स्थापना के लिए हस्त और मूल नक्षत्र अच्छे माने गए हैं। भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के लिए शुभ तिथि है चतुर्थी और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापना के लिए शुभ तिथि है नवमी।
जहाँ तक शुभ महीनों की बात है तो पूजा घर के मंदिर में भगवान शंकर के शिवलिंग की स्थापना के लिए श्रावण मास शुभ माना गया है। इसके अलावा भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापना के लिए शुभ महीना है मार्गशीर्ष मास और देवी की स्थापना के लिए शारदीय नवरात्री का समय अत्यंत शुभ है।
घर में मंदिर की दिशा क्या होनी चाहिए
आपके घर का मंदिर एक शक्ति केंद्र होता है, इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर को घर के ब्रम्हस्थान (घर के केंद्र में, जो कि घर के मध्य में होता है) में बनवाना सर्वोत्तम है परंतु आजकल के घरों में ऐसा संभव नहीं हो पाता, इसलिए घर के उत्तर-पूर्व कोने (यानी ईशान कोण पर) पर पूजाघर का निर्माण या मंदिर की स्थापना करें और साथ ही सुनिश्चित करें कि आप पूर्व दिशा की ओर मुंह कर के ही भगवान की पूजा कर सकेंगे।
पूजा घर की जगह निश्चित रखें, उसे बार-बार बदलें नहीं और इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि वहां यानी आपके पूजा घर में भरपूर रोशनी और हवा का संचार होता रहे। मंदिर और देव स्थापना जैसे शुभ कार्यों को शुभ समय अर्थात शुभ मुहूर्त पर ही करें। देव शयन, मलमास, गुरु शुक्र अस्त होने और निर्बल चंद्र होने पर कभी भी मूर्ति स्थापना नहीं करनी चाहिए, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
घर के मंदिर की पूजा कैसे करें
घर के मंदिर की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। यहाँ हम उन्ही बातों की चर्चा करेंगे। सबसे पहले तो ध्यान देने वाली बात यह है कि घर में पूजा का स्थान एक ही बनायें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें जैसे रोज़ पिछले दिन के चढ़ाए गए बासी फूल हटा दें और नए फूल अर्पित करें। पूजा घर में माचिस या जली हुई माचिस की तीली इत्यादि बिलकुल भी फेंकी हुई ना रहे, इसकी साफ़ सफाई समय से होती रहनी चाहिये।
यदि संभव हो सके तो किसी एक देवता या भगवान, जिनकी आप विशेष पूजा करते हों और आपकी उनमे विशेष श्रद्धा और भक्ति हो तो उनकी प्राण प्रतिष्ठा भी अपने पूजा घर के मंदिर में करें। यदि आप किसी भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराते हैं तो विशेष ध्यान रखें की आपकी जीवन शैली तामसिक ना हो यानी आप कोई व्यसन (गलत आदतें जैसे सिगरेट पीना, नशा करना इत्यादि) बिल्कुल भी ना करें और साथ ही आप और आपके घर में कोई भी मांसाहारी भोजन ना करे, सभी लोग सात्विक और राजसिक आहार ही खायें।
यदि ऐसा नहीं होता है यानी अगर आपने घर के मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा करवायी है और आपके घर में मांसाहार हो रहा है तो वहाँ अनर्थ होने की सम्भावना बनी रहती है। प्राण प्रतिष्ठित देव प्रतिमा बिल्कुल वैसे ही है जैसे किसी देवता को साक्षात् अपने घर में रखना। पूजा तो वैसे भी हर दिन करनी ही चाहिए परंतु यदि प्राण-प्रतिष्ठा करी गयी है तो वहाँ, मंदिर में हर दिन पूजा अवश्य करें।
शुभ लग्न और तिथि के अनुसार बताए गए इन दिनों में यदि आप अपने घर में मंदिर स्थापित करेंगे तो यह निश्चय ही अत्यंत शुभ होगा और यह मंगल करेगा। घर के ब्रम्हस्थान के साथ ही आप अपने ह्रदय के ब्रम्हस्थान में भी अपने ईश्वर की प्रतिमा को स्थापित करें और उन की आराधना करें, जिससे आप उस सर्व-शक्तिमान ईश्वर की कृपा को स्वयं ही अनुभव कर सकेंगे।