भोले बाबा भगवान शिव की पूजा की विधि भी उन्हीं की तरह सरल और निश्छल होनी चाहिए। पूजा के लिए आप शुद्ध और स्वच्छ मन से तैयार हो जाएं। उसके बाद पूजा कमरे में साफ-सुथरे आसन पर बैठकर अपने आत्म-शुद्धिकरण का मंत्र पढ़ें और गणेश भगवान का नमन करें, क्योंकि शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि भगवान शिव ने स्वयं बताया था कि किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणपति भगवान को नमन कर के ही पूजा शुरू करनी चाहिए।
शिवजी की पूजा में क्या क्या सामग्री लगती है
आम तौर पर हर एक दिन की साधारण पूजा के लिए फूल, दिया-बाती, अभिषेक कराने के लिए आसानी से उपलब्ध हो तो गंगा जल और ना उपलब्ध हो तो शुद्ध जल भी सही है, प्रसाद के लिए इलायची दाना या बताशे, धूपबत्ती और चन्दन का चकला हो तो चन्दन घिस लें और ना हो तो चन्दन पाउडर रख लें।
ये चीज़ें आपको आसानी से किसी भी पूजा सामग्री की दुकान से मिल जायेंगी। भोले शंकर के त्यौहार वाले विशेष दिन जैसे महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार पर ज़्यादा अच्छी तैयारी करें, जिसके लिए आप सफ़ेद फूल, बेल पत्र (साबुत तीन पत्तियों वाला), धतूरे का फल (आप किसी भी रंग के धतूरे के फल फूल चढ़ा सकते हैं शिवजी को), सफ़ेद मिठाई (दूध की हो तो बेहतर), पंचामृत बना लें, गुलाब जल, कच्चा दूध, दही, घी, शहद, इत्यादि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में एकत्रित कर लें।
ये वस्तुएं भी आपको पूजा की दूकान से मिल जाएँगी। इसके अलावा फूल, धतूरे एवं बेल पत्र के लिए आपको कई फूल वाले बहुत सवेरे लगभग हर गली में बैठे दिख जायेंगे। इनके पास से आप उन वस्तुओं को आसानी से खरीद सकते हैं।
अब आप मन से, वाणी से और कर्म से भगवान शिव की आराधना करने को तैयार हैं तो विधि-विधान से भोले बाबा का पूजन शुरू करते हैं।
यदिआपके पास समय और संसाधनों की कमी हो तो प्रत्येक दिन साधारण सा जलाभिषेक भी कर सकते हैं। कम साधनों से परंतु भक्ति भावना से की गयी पूजा भी भगवान शिव को विशेष प्रिय होती है। विशेष त्यौहार वाले दिन आप थोड़ा ज़्यादा समय निकाल कर और विशेष सामग्रियों के साथ शिवलिंग का अभिषेक संपन्न कर सकते हैं।
घर में शिवलिंग की पूजा कैसे करें
आप प्रत्येक दिन आचमन (जल हथेली में लेकर) रख कर शुद्धिकरण करें। सुगन्धित जड़ी बूटी वाली धूप बत्ती जला कर गणपति बप्पा को नमन करने के बाद घर के शिवलिंग (घर का शिवलिंग अंगूठे के आकर से बड़ा ना हो तो बेहतर) पर जल (गंगा जल हो तो बेहतर) से अभिषेक करायें। पिछले दिन का लगा चन्दन जल से धो कर छुड़ा दें और शिवलिंग पर लपेटी गयी रुद्राक्ष की माला भी जल से धो कर रखें।
अब शिवलिंग पर अभिषेक करा कर साफ पात्र में एकत्र कर लें जो प्रत्येक दिन आप चरणामृत प्रसाद के रूप में अपने परिवारजनों को बाद में दे सकते हैं और चन्दन के तैयार लेप से शिवलिंग पर तीन धारियाँ या ॐ का आकार बना कर वापस रुद्राक्ष की माला लपेट कर उनको करघे में विराजमान कर दें।
अब यदि कर सकें तो हर दिन 108 बार (यानी 1 माला) पञ्चाक्षर मन्त्र ‘नमः शिवाय’ का जाप करें और यदि आप व्यस्त हों तो 12 बार (चूँकि 108 गुणज होता है 12 का) भी, इस मन्त्र का, शुद्ध मन से जाप कर सकते हैं। श्रद्धा के साथ, तथा सही उच्चारण और सात्विक मन से किया गया मानसिक जाप कम बार भी हो तो दूषित या बेमन से किए गए 108 बार के जाप से बेहतर होता है। इसके उपरांत भगवान शिव की आरती कर पूजा संपन्न करें और इस पूरी पूजा प्रक्रिया में आपको लगभग 15 – 20 मिनट ही लगेंगे।
महाशिवरात्रि में पूजा कैसे करें
महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार भगवान शिव की विशेष पूजा के दिन होते हैं। विशेषकर महाशिवरात्रि वाला दिन शिव भक्तों के लिए सबसे विशेष है। इस दिन आप भोर में स्नान आदि कर के मंदिर में शिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक कर के आयें।
यदि संभव हो तो किसी प्राचीन बड़े मंदिर में जायें क्योंकि इन मंदिरों में सिद्ध महात्माओं ने विधि विधान से शिव मूर्ति और शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करी होती है। उसके बाद घर लौट कर शिवलिंग का पहले जल या गंगा जल से अभिषेक करें। उसके उपरांत कच्चे दूध से अभिषेक करें फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें उसके बाद फिर दही से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें।
उसके उपरांत शुद्ध घी से अभिषेक करें फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें फिर शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर शिवलिंग को जल से धो कर साफ़ करें। इन सबके बाद इस शिवलिंग को पंचामृत स्नान कराएं और इस स्नान कराये हुए पंचामृत को आप चरणामृत प्रसाद के रूप में बांटने के लिए अलग पात्र में एकत्रित भी कर सकते हैं।
इसके बाद सुगंध-स्नान कराएं यानी धूप बत्ती शिवलिंग पर अर्पित कर फिर से शुद्ध स्नान कराएं। शिवलिंग पर श्रद्धा से चंदन का लेप करें और सारे फल, फूल और धतूरे के फल पत्तियाँ अर्पित करें। इन सारी अलग-अलग सामग्रियों से अभिषेक कराते समय आप पञ्चाक्षर मन्त्र नमः शिवाय का मानसिक जाप करते रहें, जो पूरी पूजा होते होते 108 बार यानी 1 माला के बराबर हो जायेगा।
इसके उपरांत भगवान शिव की आरती कर त्यौहार के दिन की इस विशेष पूजा को संपन्न करें। इस विशेष पूजा को अधिकतर भक्त व्यस्तता के कारण किसी शिव त्यौहार वाले ही दिन करते हैं परंतु यदि आपके पास समय और साधन की कोई कमी ना हो तो यह आप अन्य दिनों में भी कर सकते हैं।
शिव पूजा में क्या नहीं करना चाहिए
ध्यान रखें, जैसे हर पूजा के नियम और कायदे होते हैं, वैसे ही शिव पूजा के लिए भी शास्त्रों में नियम और कायदे बताए गए हैं। भगवान शिव को केवड़ा और चंपा के फूल कभी ना चढायें, उनको सिन्दूर और केसर ना अर्पित करें क्योंकि वो सन्यासी हैं और उनको कुमकुम, सिन्दूर इत्यादि की बजाय भस्म प्रिय है।
क्या शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाई जाती है?
शिवलिंग पर तुलसी दल चढ़ाना भी वर्जित है और ध्यान रहे कि उनको चढ़ाये जाने वाले बेलपत्र और अन्य पत्तियां बिना कटी फ़टी तीन पत्तियों वाली हों। विश्वास रखें, सभी फूलों में भोले भंडारी को सबसे प्रिय होंगे आपकी श्रद्धा के फूल और अर्पण करने के लिए आपकी भक्ति भावना क्योंकि भगवान तो भाव के ही भूखे होते हैं।