भगवान की फोटो किस दिशा में लगाएं, इसके लिए समय की कसौटी पर खरे उतरे हिन्दू धर्म के प्राचीन शास्त्रों के सिद्धांतों का पालन करना उचित रहेगा। वैसे तो ईश्वर का स्मरण कभी भी और कहीं भी बैठकर कर सकते हैं, ईश्वर कभी भी बुरा नहीं मानते परंतु उचित या अनुचित दिशा में मुंह कर के पूजा करना हमारे मन को कम या ज्यादा शाँत एवं प्रफुल्लित कर सकता है।
आइये समझते हैं कि इसके बारे में हमारे प्राचीन शास्त्र क्या कहते हैं।
भगवान की फोटो के लिए दिशा का औचित्य
हिंदू धर्म में भगवान को पाने के तीन प्रमुख मार्ग माने गए हैं, जो हैं भक्ति मार्ग, ज्ञान मार्ग एवं अपना कर्म। भक्ति मार्ग यानी कहीं भी बैठ कर किसी भी दिशा में दुनिया की सुध-बुध छोड़ कर सिर्फ भगवान में ही लीन हो गए। वहीँ दूसरी ओर ज्ञान मार्ग है ज्ञान प्राप्त करने और अधिक से अधिक लोगों में बाँटने का मार्ग जिससे हमारी चेतना स्वयं इतनी परिष्कृत (शुद्ध) हो जायें कि हम ईश्वर के सामिप्य को प्राप्त कर लें।
अच्छे और सच्चे कर्म कर के भगवत प्राप्ति से तो आप अवगत हैं ही। इन तीनों मार्गों में से पूजा करने के मुख्यतया दो तरीके या मार्ग कह सकते हैं। ये हैं भक्ति मार्ग एवं ज्ञान मार्ग। इन दोनों ही मार्गों में से किसी में भी यदि आप को इतनी लगन लग जाए और तल्लीन हो जायें जैसे कि इतिहास में कई संतों ने भक्ति और ज्ञान की पराकाष्ठा पर पहुँच कर ईश्वर प्राप्ति की है, तो आप निश्चित रूप से ईश्वर को प्राप्त कर लेंगे।
परंतु यहाँ पर जिस संदर्भ में हम और आप बात कर रहे हैं, वह हमारे और आपके जैसे साधारण मनुष्यों के बारे में है। हमें किसी एक मार्ग को अपनाने की बजाय दोनों मार्गों के सही अनुपात को रखना होगा। यहाँ पर इस बात का औचित्य भगवान का चित्र किस दिशा में रखें, इससे इस तरह जुड़ा है कि हम लोग संत या महान ज्ञानी-ध्यानी होते तो कहीं भी बैठ जायें वहीँ धूनी रम जाती, कोई फर्क नहीं पड़ता पर हम लोग वैसे नहीं हैं।
इसीलिए ध्यान पूजन करते समय उचित दशा और दिशा का ध्यान रखना ज़रूरी है। इससे हमारा मन अच्छा रहेगा और हमें उचित फल प्राप्त होगा। हम और आप जैसे साधारण लोग साधुओं की तरह निष्काम भक्ति ना कर के सकाम भक्ति करें और पूजा करते समय दशा और दिशा जैसी छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखें तो बेहतर रहेगा।
भगवान की फोटो किस दिशा में लगाना सर्वोत्तम होगा?
भगवान की फोटो लगाते समय हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कभी भी भगवान का चित्र ड्राइंग रूम या किसी अन्य कमरे में शोपीस के तौर पर ना लगायें क्योंकि भगवान दिखावे की वस्तु नहीं हैं और इससे नकारात्मकता फैलती है।
पूजा का कमरा एक तरह से हम मनुष्यों की ऊर्जाओं का एक तरह से चार्जिंग रूम होता है और घर में सकारात्मकता सुनिश्चित करने और अपने घर में सात्विकता से भरे सुंदर वातावरण को बढ़ाने के लिए, सभी देवताओं के चित्रों को सही जगह पर रखना महत्वपूर्ण है।
शास्त्रों के अनुसार, पूजा-अर्चना से हमारी ऊर्जाओं को सही दिशा मिलती है और ऊर्जा के सही उपयोग के लिए हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि पूजा करते समय सूरज भगवान की ओर यानी पूरब दिशा की ओर अपना मुख रखें। इसीलिए पूजा कमरे में भगवान की फोटो ज़मीन से थोड़ी ऊँचाई पर पश्चिम की ओर होनी चाहिए जिससे आप पूरब की ओर मुख कर के बिना किसी विघ्न के पूजा कर पाएं।
इन बातों का ध्यान रख कर आप अपनी पूजा करें जिससे प्रभु की मनोरम छवि का आप पर अधिक से अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़े और गलत दिशाओं वाली पृथ्वी की चुम्बकीय धारायें आपकी पूजा आराधना में कोई विघ्न ना डाल पाएं।