हिन्दू धर्म में शुभ मुहूर्त या विशेष शुभ घड़ी का बड़ा महत्त्व है और ऐसा ही एक विशेष मुहूर्त होता है दीपावली का पर्व। ध्यान रखें कि पूजन का तो महत्त्व है ही, परंतु दीपावली के मौके पर उतना ही महत्वपूर्ण है साफ-सफाई। दीपावली के मौके पर कुछ दिन पहले ही पूरे घर के हर कोने, एक-एक खिड़की दरवाज़े और सारे पंखों की विशेष सफाई कर लें, क्योंकि लक्ष्मी जी साफ-सुथरे घर में ही प्रवेश करती हैं।
ये तो हम सभी जानते हैं कि दीपावली का पर्व भगवान राम के द्वारा राक्षसराज रावण वध और उनकी लंका पर जीत के बाद अयोध्या लौटने की ख़ुशी में मनाया जाता है, परंतु बहुत कम लोगों को पता होता है कि इस पर्व पर की जाने वाली पूजा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है।
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है की कार्तिक अमावस्या को ही समुद्र मंथन से श्री महालक्ष्मी उत्पन्न हुईं थीं और इसी दिन श्री हरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। तभी से दीपावली का त्यौहार मनाते हुए माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
माता लक्ष्मी धन और सौभाग्य की देवी हैं। इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम की लंका विजय की ख़ुशी में हर घर में दीप जलाने के साथ-साथ माता माँ लक्ष्मी का विधिवत पूजन किया जाता है, ताकि घर में हमेशा सौभाग्य बना रहे।
दीपावली 5 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है और इसमें हर दिन का एक विशेष महत्व है, तो चलिए अब हम जानते हैं कि दीपावली के इन 5 दिनों में किस प्रकार की पूजा कर के आप अपने घर को धन-धान्य से भर सकते हैं।
दीपावली के 5 दिनों की विशेष पूजा
दीपावली के पहले दिन यानी धनतेरस (या धन त्रयोदशी) पर आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा अवश्य ही करें क्योंकि इसी दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे।
धनतेरस के दिन किए जाने वाले विशेष उपाय व पूजा (धनतेरस पूजा विधि)
- इस दिन आप बर्तन, चांदी, सोने के गहने आदि में से कुछ अवश्य ही खरीदें। इसके साथ ही गणेश लक्ष्मी जी की मिट्टी की बनी हुई मूर्ति ज़रूर खरीदें, विशेष रूप से जो रंगीन हो।
- अपने पूजा घर में एक लाल रंग का कपड़ा किसी लकड़ी की चौकी पर बिछाकर, उस पर गणेश लक्ष्मी जी की मिट्टी की बनी हुई मूर्ति रख दें। उनके सामने आटे से बना हुआ घी का दीपक जलाएं मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ती के सामने चांदी का सिक्का या फिर चांदी का कोई भी सामान रखें और ॐ महालक्ष्म्यै नमो नमः मंत्र का 108 बार जाप करें, ऐसा 3 दिन तक हर रोज़ करें।
- धनतेरस या धनत्रयोदशी पर आप ऐसे कई सारे उपाय कर सकते हैं, जिनसे आपको पूरे वर्ष भर धन लाभ होता रहे। इस दिन एक नया नमक का पैकेट जरूर खरीदें और इसे खाना बनाने में अवश्य ही प्रयोग करें। इससे धन आगमन के रास्ते खुलने लगते हैं। इस दिन साबुत धनिया भी खरीदना चाहिए और उसे पूरी रात लक्ष्मी जी के सामने रखा रहने दें। अगले दिन उसको गमले में बो दीजिए। जैसे-जैसे यह धनिया उगती जाएगी, आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होती जाएगी।
छोटी दीपावली की पूजा
धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है, जिस दिन नरकासुर नामक राक्षस का श्री कृष्ण जी ने अंत किया था। इस दिन को कहीं-कहीं छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस इस दिन आप आप लक्ष्मी गणेश जी के सामने आटे का घी का दिया जला कर ॐ महालक्ष्म्यै नमो नमः का जाप करें। माना जाता है इन दिनों में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, इसलिए भगवान विष्णु जी की पूजा नहीं की जाती।
लक्ष्मी और गणेश की पूजा एक साथ क्यों होती है
दीपावली का तीसरा दिन है इस पर्व की मुख्य रात्रि यानी लक्ष्मी पूजा का दिन, परंतु इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की आराधना भी की जाती है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, महालक्ष्मी जी के कोई संतान नहीं थी जबकि मां पार्वती के 2 पुत्र थे।
लक्ष्मी जी ने माता पार्वती से गणेश जी को गोद लेने की इच्छा प्रकट करी। पार्वती जी को यह चिंता थी कि लक्ष्मी जी कहीं भी एक जगह नहीं रुकती हैं और ऐसे में गणेश जी की देखभाल कौन करेगा। तब माँ पार्वती ने माँ लक्ष्मी से आग्रह किया कि वह जहां भी जाएं, अपने साथ गणेश जी को भी ले जाएं। लक्ष्मी जी ने सहर्ष उनके आग्रह को स्वीकार किया। अतः इस दिन दोनों महाशक्तियों यानी गणेश जी और लक्ष्मी माँ की पूजा की जाती है।
दीपावली के मुख्य दिन की विशेष पूजा (दीपावली की पूजा कैसे करें)
दीपावली के विशेष शुभ मुहूर्त पर आप यहाँ नीचे बताये हुए इन तरीकों से उपाय करें, ये उपाय आपके घर में अकूत धन-सम्पदा, सुख-समृद्धि और सौभाग्य लायेंगे।
- दीपावली के दिन आप पीपल के 5 पत्ते तोड़ कर घर लायें और ध्यान रखें कि आप ये पत्ते सूरज निकलने से पहले भोर में ही ले कर आयें। उन पत्तों को लक्ष्मी माँ के सामने रखें। शाम को उन पत्तों पर घी और दूध से बनी मिठाई रख कर उसे ले जाकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। इन पत्तों को रखते समय आप पांच अगरबत्तियां या धूपबत्ती भी जलाएं और पीपल वृक्ष के सामने अपनी मनोकामना बोल दें। पीपल में निवास करने वाले 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, वो आपकी उचित मनोकामना इस विशेष मुहूर्त में ज़रूर पूरी करेंगे।
- दीपावली के दिन आप अपने पितरों का अवश्य ध्यान करें। उस दिन उन का तर्पण कर किसी गरीब व्यक्ति को भोजन अवश्य ही खिलायें। आपके सभी प्रकार के अटके हुए कार्य उसी दिन से धीरे-धीरे पूरे होने लग जाएंगे।
- दीपावली की रात को सरसों के तेल का दीपक अवश्य ही जलायें। सरसों के तेल से दरिद्रता दूर होती है तथा भूत-प्रेत आदि बाधाएं भी घर से भागती हैं। कम से कम दो तेल के दीपक अवश्य ही जलाएं और उन्हें अपने घर के अलग-अलग कोनों में रखें।
- जिनके घर में बहुत ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा रहती है या कोई वास्तु दोष है, वो दीपावली से 1 दिन पहले फूल झाड़ू लेकर आयें। दीपावली वाले दिन इस झाड़ू को ले जाकर किसी मंदिर में रख दें। एक दूसरी झाड़ू खरीद लायें और उससे अपने घर पर झाड़ू अवश्य ही लगाएं। अपनी छत को साफ करें, ऐसा करने से आपका राहु बिल्कुल सही हो जाएगा। अपने घर से खराब पड़े हुए इलेक्ट्रॉनिक सामान जरूर हटा दें। फ्लैट में रहने वाले लोग अपने घर के ऊपर वाले हिस्से को जरूर साफ करें।
- दीपावली की रात को मिट्टी के 8 दीपक लायें जिनमें से एक दीपक बड़ा होना चाहिए। बड़े दीपक को मध्य में और 7 दीपक उसके चारों तरफ रख कर एक गोलाकार घेरा बनाएं। इसमें घी के दीपक जलायें और मां लक्ष्मी जी का देवराज इंद्र द्वारा रचित महालक्ष्मी अष्टकम का 7 बार पाठ करें। लक्ष्मी माँ के श्री सूक्त का भी 7 बार पाठ करें और उसके उपरांत मां लक्ष्मी को अपनी मनोकामना बतायें। उसके बाद हर शुक्रवार इसे करते रहें। ऐसा करने से आपके घर पर सौभाग्य और धन की वर्षा होती रहेगी।
- दीपावली की रात को लक्ष्मी जी के सामने जो मुख्य दिया आप जलाएंगे, उसके नीचे आप अपनी छोटी उंगली की नाप का चांदी का बिना जोड़ का छल्ला रखा रहने दें। अगले दिन सुबह, लक्ष्मी जी के सामने वाले दिये के नीचे से रिंग को आप बिना धोए अपनी दाएं हाँथ की उंगली में पहन लें।
- एक दालचीनी का टुकड़ा लें और कोई भी एक नया नोट उस टुकड़े के चारों तरफ लपेट कर मां लक्ष्मी के चरणों में रख दें। अगले दिन सुबह उस दालचीनी का टुकड़े को अपनी तिजोरी में रख दें जो आपके लिए बहुत शुभ होगा।
- जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है, वह दीपावली की एक रात पहले 8 छुहारे पानी में उबाल कर अपने सिरहाने रख लें। दीपावली वाले दिन आप इन्हें बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
- दीपावली से 1 दिन पहले एक काले रंग की चप्पल ले आयें और दीपावली की पूजा के बाद रात में किसी चौराहे पर इसे छोड़ कर आ जायें। ध्यान रहे कि आप उसे पीछे मुड़कर ना देखें और अपने घर वापस आ जायें। ऐसा करने से आप का दुर्भाग्य बिल्कुल दूर हो जाएगा।
- दीपावली की रात को अच्छी तरह से तैयार होकर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। उसके बाद मां लक्ष्मी के 108 नामों का उच्चारण करें और मां लक्ष्मी को दूध और जलेबी का भोग अवश्य ही लगाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और आपके घर पर धन की वर्षा करती हैं।
गोवर्धन पूजा की कहानी
दीपावली का चौथा दिन है गोवर्धन पूजा का। रामायण के अनुसार जब भगवान राम लंका में आक्रमण करने के लिए पुल का निर्माण कर रहे थे, तब सभी वानर अपनी शक्ति अनुसार पत्थर लेकर आ रहे थे, परंतु हनुमान जी गोवर्धन पर्वत लेकर आए पर तब तक पुल का निर्माण पूरा हो चुका था।
पुल में अपना उपयोग ना होता देख गोवर्धन ने श्री राम जी से अपना दुख प्रकट किया, तब श्री राम जी ने उनको वचन दिया कि अगले जन्म में वह उनका उपयोग जरूर करेंगे और हनुमान जी को आज्ञा दी कि गोवर्धन को ब्रज में रखकर आयें।
जब कृष्ण जी का बृज में जन्म हुआ तो उन्होंने लोगों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी, जिससे भगवान इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने बृज पर बहुत घनघोर वर्षा कर दी| तब भगवान श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत उठा कर के पूरे बृज को इसके नीचे शरण देकर इस वर्षा से बचाया और इंद्र देव का घमंड तोड़ा। तब से लेकर आज तक इस दिन गोवर्धन जी की पूजा की जाती है| ये है गोवर्धन पूजा की कहानी
भाई दूज की कहानी
दीपावली का पांचवा दिन है भाई दूज का। कथाओं के अनुसार, इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उसके घर गए। वो अपनी बहन के आदर सत्कार से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन को वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाएगा, उसे कालचक्र से मुक्ति मिलेगी एवं मोक्ष की प्राप्ति होगी।
तब से लेकर आज तक यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है और इस दिन बहनें अपने भाइयों का टीका कर के उनकी सुरक्षा की कामना करती हैं।
इस तरह आप इन बताए हुए उपायों को अपनायें जिससे आप के घर में सौभाग्य बना रहे और हर तरफ सुख-समृद्धि हो। ये सभी पूजा और उपाय आप बहुत श्रद्धा और विश्वास से करेंगे तो अवश्य ही सफल होंगे।