सभी हिन्दू धर्म मानने वाले घरों में हज़ारों सालों से शुभ कार्यों और पूजा-अर्चना के दौरान शंख बजाने की परंपरा रही है। शंखनाद की ध्वनि जहाँ तक भी पहुँचती है, वहाँ तक सकारात्मकता और दिव्यता पहुँचती है जो कि अब वैज्ञानिक अनुसंधानों (रिसर्च) में भी साबित हो चुका है।
इसलिए, आज के कलयुगी दौर में जहाँ पूरा विश्व कई तरह की नेगेटिविटी और अवसादों से ग्रस्त है, शंखनाद से पूरे विश्व का भला होता है। आइए समझें कि हमारे प्राचीन शास्त्रों में शंख को पूजा घर में रखने के बारे में क्या बताया गया है और किस तरह से शंखनाद को बहुत लाभकारी बताया गया है।
घर में कौन सी शंख रखनी चाहिए
वैसे तो दुनिया में बहुत सारे शंख हैं पर दक्षिणावर्ती शंख (जिसमें सर्पीले आकार में लाइनें दाहिनी ओर मुड़ती हैं) केवल इंडियन ओशियन (हिंद महासागर) में पाए जाने वाले बड़े समुद्री घोंघे के खोल से बनता है। यह एक बहुत ही अद्भुत और मुश्किल से मिलने वाला शंख है जो घर पर रखना बहुत शुभ माना जाता है।
यह मुश्किल से इसलिए मिलता है क्योंकि अधिकतर शंख वामवर्ती होते हैं यानी ऐसे शंख जिनमें सर्पीले आकार में लाइनें बायीं ओर मुड़ती हैं। दक्षिणावर्ती शंख को श्री लक्ष्मी शंख भी कहा जाता है और इसके शंखनाद की पॉजिटिव एनर्जी से घर में वैभव और धन-संपत्ति भी आती है। इसलिए, जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख होता है ऐसे घर में लक्ष्मी जी स्वयं विराजमान होती हैं।
शंख बजाने के फायदे
वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुका है कि शंख से निकलने वाले ॐ के नाद से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कई तरह के फायदे मिलते हैं। शंख बजाना फेफड़ों, पेट की पसलियों, ह्रदय के ब्लॉकेज, छाती और गर्दन की मांसपेशियों की समस्याओं को ठीक करने के लिए एक बहुत ही कमाल की ऐक्सरसाइज देता है।
वैसे ये सारे तो बड़े लाभ हैं ही, परंतु शंख को बजाने से शरीर के लगभग सभी दूसरे हिस्सों को भी फायदा मिलता ही है। शंख के अंदर रात भर रखे गए पानी को लगाने से कई तरह की त्वचा की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। शंख से आयुर्वेद में भी कई तरह की दवाइयाँ बनती हैं और लोग ठीक हो जाते हैं।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक जे.सी. बोस ने भी अपने प्रयोगों से सिद्ध किया था कि शंख से निकलने वाली ध्वनि से हानिकारक वायरस नष्ट हो जाते हैं, इसलिए इसकी दिव्य ध्वनि से कोरोना जैसी महामारियाँ में भी काफ़ी हद तक फायदा होता है। जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय द्वारा की गयी एक मेडिकल रिसर्च में भी बताया गया है कि लंबे समय तक शंख बजाने से शरीर के हर अंग और मष्तिष्क का अच्छा विकास होता है।
दक्षिणावर्ती शंख price
सही प्रकार के असली दक्षिणावर्ती शंख की कीमत आजकल लगभग ₹ 18000/- से ₹ 35000/- प्रति ग्राम होती है। आप सावधान रहें क्योंकि बहुत से मिलते-जुलते नकली शंखों को दक्षिणावर्ती शंख बोल कर बेच दिया जाता है जिनकी कीमत असली शंख से कम होती है, इसलिए लोग लालच में पड़ कर उनको ख़रीद लेते हैं।
कई बार तो ये नकली शंख इतने रंगीन और आकर्षक दिखते हैं कि उन पर से आँख हटाना भी मुश्किल हो जाता है। इन आकर्षक रंगों वाले नकली शंखों में अधिकतर लाल रंग के होते हैं और आप यह भी जान लें कि लाल रंग का असली दक्षिणावर्ती शंख कई लाखों शंखों में से एक ही होता है, इसलिए आपको कोई आकर्षक रंगों वाले शंख को दक्षिणावर्ती बता कर बेचने की कोशिश कर रहा है तो पूरी संभावना है कि वह नकली ही होगा।
दक्षिणावर्ती शंख की पहचान क्या है?
नकली और असली शंख में पहचान का एक तरीका यह है कि यदि आप शंख को नमक के पानी वाले घोल में रखें तो अगर नकली होगा तो वह लगभग एक हफ्ते में गल कर टूटना शुरू हो जायेगा जबकि असली शंख को कोई नुकसान नहीं होगा। इसकी एक पहचान और ये भी है कि आप जब शंख के खुले हिस्से को कान के पास रखेंगे तो ध्यान से सुनने पर आपको बहुत हल्की सी ॐ के जैसी ध्वनि सुनाई देगी।
इस तरह से देख-परख कर बहुत ही शुभ दक्षिणावर्ती शंख आप अपने घर पर लाएँ और हर एक दिन, विशेषकर कि शुभ अवसरों पर पूजा करने के बाद उसका शंखनाद कर के अपने आस-पास के लोगों को सात्विकता, सकारात्मकता और अच्छे स्वास्थ्य का लाभ पहुँचायें।