आइये आज आपको योगिनी एकादशी के बारे में बताते हैं। पूरे साल में 24 एकादशियाँ होती हैं और हर एकादशी के व्रत का अपना एक विशिष्ट महत्त्व है। आषाढ़ मास में जो कृष्ण पक्ष की एकादशी पड़ती है, उसको योगिनी एकादशी कहते हैं। हिन्दू धर्म के सभी रीति-रिवाज़ विज्ञान से जुड़े हुए हैं और तर्क-संगत हैं जिन पर हम सब को गर्व होना चाहिए, तो आपको हिन्दू धर्म के इस महत्वपूर्ण व्रत योगिनी एकादशी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
योगिनी एकादशी का महत्व
इस व्रत में भगवान कृष्ण पांडवों में सबसे बड़े भाई राजा युधिष्ठिर से इस व्रत की महिमा बताते हुए कहते हैं कि हे राजन! यह योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। इसके व्रत से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग (वह स्थान जहां पुण्य आत्माएं रहती हैं) प्राप्त होता है।
इस व्रत को करने वाले भक्तों की सभी उचित प्रार्थनायें भगवान कृष्ण ज़रूर सुनते हैं और कामनायें पूरी करते हैं, साथ ही अनजाने में हुए पापों से भी मनुष्य को छुटकारा मिलता है। इस बात से तो आप भी सहमत होंगे कि किसी से अनजाने में अगर कोई भूल हो जाए तो उस को भूल सुधार का मौका अवश्य मिलना चाहिए और यह व्रत ऐसे व्यक्ति को यही मौका देता है कि वो तामसिक अन्न का त्याग करके थोड़ा भूखे रहने का कष्ट सह कर उस भूल का प्रायश्चित कर सकता है।
योगिनी एकादशी के दिन पूजा करने का तरीका
आप योगिनी एकादशी व्रत वाले दिन दैनिक क्रिया और स्नान वगैरह अच्छी तरह से करने के बाद संसार के पालनहार भगवान विष्णु या उनके किसी भी अवतार रूप भगवान श्रीकृष्ण या भगवान राम का ध्यान करें और उनके सामने घी के दीपक जलायें। विद्वानों के अनुसार, इस दिन आप मिटटी से स्नान करें जिसको आप एक तरह का मड फेशियल भी कह सकते हैं।
आप मिटटी की जगह काला या सफ़ेद तिल भी लगा सकते हैं। इसके बाद आप पूजा के लिए मिटटी का कलश ज़रूर स्थापित करें। उस कलश को स्वास्तिक के पवित्र चिन्ह से सजायें और साथ में उसमें पानी, अक्षत और उसके ऊपर दिया रख दें।
पूजा की सारी सामग्री, भोग इत्यादि भगवान के आगे रख कर आप योगिनी एकादशी व्रत कथा (कथा की यह किताब आपको आसानी से अपने घर के पास पूजा की किसी भी दूकान पर मिल जायेगी) अपने परिवार के किसी भी सदस्य को पढ़ कर सुनायें। अंत में, पूजा समाप्त करने से पहले भगवान विष्णु की आरती करें
कैसे करें यह योगिनी एकादशी व्रत?
उस दिन आप अन्न से बने खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें। आप आम तौर पर व्रत में खाए जा सकने वाले आहार जैसे कुट्टू के आटे की पूड़ी, दही, लस्सी, फलाहार दिन में 2 या 3 बार ले सकते हैं। इससे आप एक दिन पूरा सात्विक आहार खायेंगे तो आपका आत्म-संयम भी मज़बूत होगा। उस दिन जितना आपकी सामर्थ्य हो किसी ग़रीब, असहाय या आवश्यक पात्र को दान करके भी सहायता करें। इस दिन रात के समय जागरण करके आप प्रभु के ध्यान और भजन में लीन हो जायें।
देखा आपने, श्री हरी भगवान विष्णु के इस पावन व्रत को करने से आप के दुःख-दर्द, विपत्तियाँ और पाप दूर हो जाते हैं। यह व्रत क्रिया और इसका पूजन तर्क-संगत और विज्ञान-सम्मत भी है, इसलिए आप इस योगिनी एकादशी व्रत को करें और इस व्रत की कथा सुनें।