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फिल्म : मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू (2023)
कलाकार: अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, रवि किशन, कुमुद मिश्रा, पवन मल्होत्रा
निर्देशक: टीनू सुरेश देसाई
समय: 2 घंटे 15 मिनट
रेटिंग: 4
अक्षय कुमार पिछले कई सालों से ऐसी फिल्मों में काम कर (Mission Raniganj Review in Hindi) रहे हैं जो असली कहानियों पर बनी हैं जैसे कि रुस्तम, केसरी, एयरलिफ्ट, सम्राट पृथ्वीराज इत्यादि। अब इसी कड़ी में उनकी अगली फिल्म आयी है मिशन रानीगंज जो सरदार जसवंत सिंह जी की कहानी से प्रेरित है।
साल 1989 में जब पश्चिम बंगाल की कोयला खदान में 65 मजदूर फंस गए थे, तब उन्हें निकालने के लिए जसवंत सिंह जी ने अपनी जान हथेली पर रख दी थी और इसी कारण वर्ष 1991 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति से सर्वोच्च जीवन रक्षा पुरस्कार से नवाजा गया था। उनकी इसी कहानी से प्रेरणा लेकर टीनू सुरेश देसाई जी ने मिशन रानीगंज मूवी बनायी और उसमें जसवंत सिंह के रोल के लिए अक्षय कुमार का नाम फाइनल किया।
जब हमने फिल्म देखी तो उसमें कहानी तो बहुत दमदार थी जो थ्रिलर के साथ साथ भावनाओं से भी ओतप्रोत थी। इसके लिए पहले फिल्म की कहानी पर एक नज़र डाल लेते हैं।
मिशन रानीगंज फिल्म की कहानी
साल 1989 में कोयले की खदान में काम करने के लिए 250 मजदूर अंदर गए थे। जाने से पहले किसी को कुछ नहीं पता था कि उस दिन क्या होने वाला था। एकदम से कोयले की खदान में विस्फोट हो गया और पानी का ज्वार बह निकला। आनन फानन में 179 मजदूर तो बाहर निकल आये लेकिन 71 मजदूर वहीं फंस गए।
अब इसमें से 6 मजदूर तो पानी में बहकर मर चुके थे लेकिन बाकि 65 को बचाने के लिए जद्दोजहद चालू थी। जहाँ एक ओर वहां की रेस्क्यू टीम ने उन्हें मरा हुआ मान लिया था लेकिन मजदूरों के परिवार में रोष बढ़ता ही जा रहा था। इसके लिए इंजीनियर जसवंत सिंह (अक्षय कुमार) को वहां मजदूरों का रेस्क्यू करने के लिए बुलाया गया।
जसवंत सिंह ने उन्हें बचाने के लिए एकदम नया प्लान बनाया जो आज तक पहले कभी नहीं हुआ था। इसके लिए जमीन में उस जगह कुआ खोदा जाना था जहाँ मजदूर फंसे हो सकते थे और वहां एक कैप्सूल की सहायता से एक एक करके मजदूरों को बाहर निकालना था।
यह काम इतना भी आसान नहीं था क्योंकि जसवंत सिंह वहां की लोकल पॉलिटिक्स का भी शिकार थे। उनके काम में बाधा डालने और खुद क्रेडिट लेने का काम जोरशोर से चल रहा था लेकिन जसवंत सिंह अपने काम पर डटे रहे। साथ ही खदान के अंदर पानी का स्तर बढ़ता जा रहा था और उसके साथ ही जहरीली गैस का रिसाव भी हो रहा था।
जहाँ मजदूर फंसे हुए थे, वहां से बचाने के लिए बस 8 घंटे ही बचे थे कि कुआ खोदने का काम पूरा हो गया। इसके बाद कैप्सूल को अंदर भेजा गया और उसमें जसवंत सिंह अंदर गए। इसके बाद एक एक करके सभी मजदूरों को कैप्सूल से बाहर निकाल लिया गया। यह भारत देश के इतिहास में एक यादगार रेस्क्यू ऑपरेशन में से एक था जहाँ 65 के 65 मजदूरों की जान बचा ली गयी और अक्षय कुमार भी सकुशल बाहर आ गए।
मिशन रानीगंज मूवी की स्क्रिप्ट कैसी थी?
अब यदि हम इस कहानी को पर्दे पर कैसे उतारा (Mission Raniganj Review in Hindi) गया उसकी बात करें तो इसमें टीनू देसाई जी ने बहुत ही बढ़िया काम किया है। शुरू के भाग में जब कोयले की खदान में विस्फोट होता है और मजदूर वहां फंस जाते हैं तो यह ऑडियंस के लिए एक थ्रिल्लिंग एक्सपीरियंस से कम नहीं था। एक समय तो लग रहा था कि जैसे बहुत बड़ी आपदा आ गयी है और सब कुछ बह जाएगा।
उसके बाद शुरू होता है लोगों के रेस्क्यू का काम। अक्षय कुमार जो भी प्लान बना रहे थे, उसमें वहां के लोकल लीडर दखल डाल रहे थे। साथ ही मजदूर कहाँ हो सकते हैं और उसके लिए जो जो संसाधन चाहिए, उसमें भी कई तरह की दिक्कतें आ रही थी। खदान के अंदर भी लगातार पानी बढ़ता चला जा रहा था और ऊपर से जहरीली गैस का रिसाव भी होने लगा था।
एक मौके पर तो लगा कि बचाने का यह मिशन फैल हो जाएगा और सभी मजदूरों की वहीं कब्र बन जाएगी। यह सस्पेंस आखिर तक चलता रहा जो ऑडियंस को बांधे रखने के लिए काफी था। जब आखिर में कैप्सूल को मजदूरों तक पहुंचा दिया गया तब भी एक एक करके उन्हें निकाला जा रहा था। सबसे आखिर में अक्षय कुमार निकलते हैं जिसने मूवी की स्क्रिप्ट को बहुत ही दमदार बना दिया।
कलाकारों की एक्टिंग कैसी थी?
अब अगर हम इस मूवी में कलाकारों की एक्टिंग की बात करें तो जसवंत सिंह के रोल में तो अक्षय कुमार ने अपने अभिनय का वैसा ही परिचय दिया जैसा आज तक वे करते आये हैं। वे अपने रोल में एकदम जम जाते हैं और कुछ वैसा ही उन्होंने इस मूवी में भी किया। वहीं अक्षय कुमार की पत्नी का रोल परिणिती चौपड़ा ने निभाया जिनके शुरुआत में कुछ सीन थे लेकिन फिर मूवी से वे कहीं गायब हो गयी। उसके बाद आखिर में उनके कुछ सीन थे।
वहीं अन्य सह कलाकार जिन्होंने लोकल लीडर और खदान में फंसे मजदूरों की भूमिका निभाई उसमें रवि किशन का रोल बहुत शानदार था। उन्होंने खदान में फंसे हुए बेबस लेकिन गुस्से में लाल मजदूर की भूमिका निभाई जो दर्शकों को मूवी से बांधे रखने में बहुत कामगार रही।
फिल्म को क्यों देखें?
अब यदि आप यह सोच रहे हैं कि क्यों आपको यह फिल्म देखनी चाहिए तो यहाँ हम आपको बता दें कि यह फिल्म बहुत ही उम्दा कहानी पर बनी है जो आपको अपने देश के जाबाज हीरो के बारे में बताती है। इसी के साथ ही मूवी को बहुत अच्छे से डायरेक्ट किया गया है और सभी कलाकारों का अभिनय भी बहुत शानदार है।