वास्तुशास्त्र के अनुसार, नए पूजा स्थल के लिए सही दिशा और जगह का चुनाव बहुत आवश्यक होता है। इसलिए मंदिर निर्माण और उसकी स्थापना के लिए भी शुभ समय (मुहूर्त) चुनना अति आवश्यक है। इस साल 2024 में सही स्थान पर मंदिर निर्माण और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इस साल विद्वानों और वैज्ञानिकों द्वारा कई महत्वपूर्ण खगोलीय घटनायें होने और प्रमुख ग्रहों की स्थितियाँ बदलने की गड़ना की गयी है।
यदि आप अपने घर में मंदिर स्थापना के लिए सही जानकारी ढूंढ रहे हैं तो वह आपको यहाँ मिल जाएगी, आइये जान लें कि साल 2024 में सही स्थान एवं सही समय पर मंदिर निर्माण किस तरह से होना चाहिए। यहाँ दी हुई जानकारी आपके काफी काम आ सकती है।
मंदिर तो स्वयं परम-शक्ति वाले भगवान का है तो मुहूर्त की आवश्यकता क्यों?
मंदिर स्थापना के सही मुहूर्त के बारे में ऋषि-मुनियों द्वारा रचित कई प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे ब्रम्हांड पुराण, ऋग्वेद, वैदिक ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में विस्तार से वर्णन किया गया है। ब्रम्हांड पुराण में बताया गया है कि हर मंदिर ब्रम्हांड का ही एक रूप होता है जिसके अंदर स्थित देवता उच्चतम स्तर की आत्मायें हैं।
इसके साथ ही शुभ मुहूर्त के साथ बनाया गया मंदिर उन परम आत्माओं की शक्तियों को सही तरीके से अपने अंदर संजोता है। मंदिर की उस महान उच्च स्तर की ऊर्जा का एहसास वहाँ पर दर्शन करने वाले हर एक श्रद्धालु को होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर के लिए पूजा घर का निर्माण मुख्य दिशाओं को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। ध्यान रखें कि प्रवेश द्वार का मुख सामान्यतः पूर्व की ओर रहे ताकि हर सुबह सूर्य की पहली किरणें भगवान की मूर्ति पर पड़ें।
पूजा का स्थान किसी खतरनाक या अशांत जगह पर नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसे स्थान पर होना चाहिए जो शांति और आध्यात्मिक पवित्रता को बढ़ावा देता हो। गर्भगृह का मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर आप रखें, जहां माना जाता है कि समस्त ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जाएं एकत्र होती हैं।
मंदिर निर्माण में सही मुहूर्त के लिए शनि की सही दिशा भी बहुत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि शनि के अनुकूल गोचर के दौरान मंदिर की स्थापना करने से एक ऐसी संरचना का निर्माण होता है जो आने वाली पीढ़ियों तक भी कायम रहती है। ज्योतिषी यह सुनिश्चित करते हैं कि नवग्रहों का सामंजस्यपूर्ण सही प्रभाव पूरे मुहूर्त में मौजूद रहे क्योंकि ये सभी नवग्रहों का शुभ प्रभाव किसी भी कार्य की सफलता के लिए बहुत आवश्यक होता है।
क्या है 2024 में मंदिर स्थापना का सही मुहूर्त?
शास्त्रों के अनुसार, चैत्र (मार्च-अप्रैल), आषाढ़ (जून-जुलाई), कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) और पौष-माघ (दिसंबर-जनवरी) के महीनों को मंदिर निर्माण के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि इनमें देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त नक्षत्र होते हैं।
नक्षत्रों की बात करें तो आप इन महीनों में पड़ने वाले पुष्य, अनुराधा और रोहिणी नक्षत्रों में से किसी में भी मंदिर का निर्माण प्रारम्भ कर सकते हैं, जो बहुत शुभ माने जाते हैं। इसके अलावा, विद्वानों का यह भी मत है कि यदि उस दिन अनुकूल राशियों जैसे वृषभ या कर्क में बढ़ता हुआ चंद्रमा दिख जाए तो और भी शुभ रहेगा, तो आप इसका भी ध्यान रखें तो यह हर तरह से एक विशेष मुहूर्त बन जाएगा।
वैदिक विद्वानों के अनुसार, 2024 में यहाँ पर बताई गयी निम्नलिखित तिथियां मंदिरों के निर्माण के लिए सबसे अच्छी हैं:
22-25 मार्च: इस मुहूर्त में चंद्रमा शुभ नक्षत्रों में भ्रमण करेगा, और बृहस्पति अपनी ही राशि मीन में होगा, जो पूजा स्थल के निर्माण जैसे धार्मिक कार्यों के लिए बहुत अनुकूल माहौल प्रदान करेगा।
10-14 जुलाई: इन दिनों में बढ़ता हुआ चंद्रमा और पुष्य नक्षत्र होता है, जिसे वैदिक ज्योतिष में ‘नक्षत्रों के राजा’ के रूप में जाना जाता है। आप इस समय अंतराल में अपने पूजा स्थल कर निर्माण कर सकते हैं, यह पवित्र स्थानों के लिए नींव रखने के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
15-19 सितंबर: यह समय अंतराल मंदिरों को बनवाने के लिए बहुत अच्छे हैं क्योंकि इस मुहूर्त में सूर्य भगवान कन्या राशि में रहेंगे और बृहस्पति के साथ उनका सबसे अच्छा सामंजस्य होगा।
पूजा स्थल के निर्माण में कुछ महत्वपूर्ण बातों का रखें ध्यान
यदि आप अपने घर में ही पूजा स्थल बना रहे हैं तो ध्यान रखें कि शनि भगवान एवं भैरव बाबा की मूर्तियों को घर में ना रखें। ऐसा इसलिए है कि उन देवों की पूजा एक विशेष प्रकार से होती है जिसको सही ढंग से करना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता।
भैरव बाबा की योद्धा जैसी ऊर्जा घर के लिए काफी अधिक हो सकती है जिसका नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है और शनि भगवान की आँखों में देखना शुभ नहीं माना जाता। यदि आप रात-दिन उनके सामने से गुजरेंगे तो उनके चेहरे पर आपकी दृष्टि पड़ ही जाएगी, जो कि सही नहीं है।
वहीं दूसरी ओर किसी घर से अलग स्थान पर जो मंदिर बनते हैं, उनमें ये दोनों देव अवश्य होते हैं क्योंकि मंदिर के पुजारी को पता होता है कि उनकी पूजा किस विशेष विधि से करनी है। ऊपर बताये गए समय और शास्त्रानुसार विधियों से अच्छे मुहूर्त में बनाए गए पूजा स्थलों को देवताओं का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होगा, जिससे निश्चय ही हर तरफ अच्छी आध्यात्मिक तरंगें निकलेंगी और सुख-समृद्धि एवं शांति की प्राप्ति होगी।
मंदिर का निर्माण बहुत ही पवित्रता के साथ किया जाने वाला जिम्मेदारी भरा कार्य है जिसे अच्छी तरह से विचार कर के सही तरीके से करने की आवश्यकता होती है। इस पवित्र कार्य के लिए आप किसी ऐसे विद्वान से भी संपर्क करें जिन्हें वास्तु शास्त्र, वेदों और पुराणों के अनुसार मंदिर निर्माण की सम्पूर्ण जानकारी हो। सही तरीके से बनाए गए मंदिर में दर्शन करने से आपको ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के भक्तों को लाभ पहुंचाने की क्षमता होगी और यह महान पुण्य का कार्य होगा, इसको अवश्य करें।