कल्पना कीजिए कि आप इंडियन एयरलाइन्स की एक फ्लाइट में यात्रा कर रहे हैं और अचानक विमान को कुछ आतंकवादी अपने कब्जे में ले कर किसी अज्ञात गंतव्य की ओर ले जाने लगते हैं, तो आप क्या करेंगे? दूर से बैठ कर सिर्फ खबर पढ़ने में लग सकता है कि चलो ठीक है, एक बड़ी ख़बर पढ़ी, अब वापस काम पर लग जाते हैं पर क्या कभी आपने सोचा है कि असल में ऐसी परिस्थिति में घिर जाने पर फ्लाइट में बैठे उन यात्रियों पर क्या गुज़रती होगी?
अतीत मे घटी इसी सच्ची घटना की विषम परिस्थिति को पूरी ईमानदारी और रोमांच के साथ प्रस्तुत किया है निर्देशक अनुभव सिन्हा ने, जिस को देख कर यक़ीनन ऐसा लगता है कि अरे, ऐसा कैसे हो गया और साथ ही ये जिज्ञासा भी कि अब आगे क्या होगा!
क्यों ख़ास है वेब सीरीज़ IC814?
जिन लोगों ने भी निर्देशक अनुभव सिन्हा के काम को जाना है, उन्हें यह पता ही होगा कि यह निर्देशक हमेशा ही लीक से कुछ अलग हट कर करने की कोशिश करता है। उनकी फिल्में हमेशा एक चर्चित सामाजिक मुद्दे को बहुत गहरायी और उनके अपने तरीके से उठाती हैं।
फिर वो चाहे प्रियानशू चटर्जी और संदली सिंह की रोमांटिक हिट फिल्म ‘तुम बिन’ (2001) हो, नार्थ-ईस्ट की आवाज ‘आर्टिकल 15’ (2019) हो, ‘थप्पड़’ (2020) में महिला का आत्म-सम्मान हो या ‘भीड़’ (2023) में कोरोना काल का माइग्रेशन रहा हो।
अक्सर ऐसा होता है कि जब भी कभी किसी भी फिल्म या वेब सीरीज़ में कोई बड़ा सामाजिक मुद्दा उठाया जाता है तो वह बोझिल हो कर डाक्यूमेंट्री जैसी बन जाती है और बहुत कम लोग ऐसी फिल्म या वेब सीरीज को देखने में दिलचस्पी लेते हैं।
अनुभव सिन्हा की कुछ फिल्मों में कोई ना कोई बड़ा मुद्दा तो होता ही है बल्कि उनमें कहानी भी इतनी दिलचस्प होती है कि कभी-कभी लोग फिल्म से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। वेब सीरीज़ IC814 में भी आप हर एक पल यात्रियों और फ्लाइट के केबिन क्रू का टेंशन महसूस कर सकते हैं, कि उन्होंने कैसे उन मुश्किल परिस्थितियों में आतंकवादियों के साथ समय गुज़ारा, यह सब बहुत ही दिलचस्प है।
इस वेब सीरीज़ की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी कमाल की स्टारकास्ट, ख़ास तौर पर साहसिक पायलट की भूमिका में विजय वर्मा, डिफेंस मिनिस्टर की भूमिका में पंकज कपूर, आतंकवादियों से डील करने के लिए बात करने वाले मनोज पाहवा और अफ़ग़ानी विदेश मंत्री को अपने विश्वास में लेने वाले अरविंद स्वामी जिन्होंने एक बार फिर हिंदी सिनेमा में ज़ोरदार वापसी की है।
इन सब के अलावा अन्य प्रमुख भूमिकाओं में आपको दिखेंगे नसीरुद्दीन शाह, दिया मिर्ज़ा, कंवलजीत सिंह, कुमुद मिश्रा, आदित्य श्रीवास्तव, पत्रलेखा और अदिति गुप्ता। इन सब नामचीन और सीनियर कलाकारों के होते हुए भी सबसे अधिक तारीफ़ मिली आतंकवादी की भूमिका में ज़ोरदार अभिनय करने वाले स्टैंड-अप आर्टिस्ट कॉमेडियन राजीव ठाकुर को, जिन्होंने अपनी कॉमेडी वाली छवि की ज़रा भी छाप इस रोल पर नहीं पड़ने दी।
उनको इस वेब सीरीज़ के किसी भी सीन में देख कर आपको यही लगेगा कि आप एक आतंकवादी को ही देख रहे हैं। इतने बड़े कलाकारों के बीच अपनी छाप छोड़ जाना ऐक्टिंग की शुरुआत करने वाले नए कलाकार के लिए बहुत बड़ी बात है, इसके लिए राजीव ठाकुर को बहुत बधाई।
किस तरह की कहानी है वेब सीरीज़ IC814?
यह वेब सीरीज़ 1999 में हुए इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट IC814 के नेपाल से भारत आने के दौरान पाँच अपहरणकर्ताओं द्वारा हाईजैक कर लिए जाने की घटना से प्रेरित है। उस फ्लाइट पर सवार अधिकतर यात्रियों के अनुसार इस वेब सीरीज़ में प्लेन अपहरण के उन सात ख़ौफ़नाक दिनों का बहुत सही चित्रण किया गया है।
आज भी उन सात दिनों को याद कर के उस फ्लाइट में सफ़र करने वाले यात्री काँप उठते हैं। निर्देशक अनुभव सिन्हा ने इस कहानी का आधार उस फ्लाइट के पायलट रहे कैप्टेन देवी शरन की किताब ‘फ्लाइट इंटू फियर’ को बनाया है, जिसमें कैप्टेन देवी शरन ने इस घटना को सिलसिलेवार ढंग से बताया है।
किसी काल्पनिक कहानी की बजाय सही तरीके से फिल्माई गयी कहानी को दर्शक अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि ऐसी सच्ची घटनााओं से कुछ सीखा जा सकता है कि ऐसी विषम परिस्थितियों में क्या करना चाहिए। सभी जानते हैं कि उस फ्लाइट के यात्रियों को छुड़ाने के लिए भारत सरकार को तीन सबसे ख़तरनाक आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था।
और इसका खामियाज़ा कुछ सालों बाद पाकिस्तान से भेजे गए आतंकवादियों द्वारा 2001 के संसद भवन पर हमला, 2008 में हुए होटल ताज एवं मुंबई के कई इलाकों में हमले और 2019 के पुलवामा में सैनिकों पर भीषण हमले के रूप में भुगतना पड़ा था।
इस वेब सीरीज से जुड़े विवाद, क्या है सच?
आजकल हर चर्चित काम विवादों के दायरे में फँस जाता है, तो यक़ीनन इस वेब सीरीज़ को भी कई विवादों का सामना करना पड़ा था। इस वेब सीरीज़ पर एक गंभीर आरोप यह लगा था कि इसमें मुस्लिम आतंकवादियों के असली नाम छुपाए गए हैं।
इस को ले कर वामपंथी तर्क देते हैं कि एक फिल्ममेकर किसी क़िताब की कहानी को जस का तस उतार देता है तो इसके लिए उसको ज़िम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए। लेफ्ट विचारधारा से प्रेरित मीडिया सोचती है कि इतना तो सब लोग समझते ही हैं कि हाईजैक करने वाले आतंकवादी अपना असली नाम तो बोलेंगे नहीं,
तो वो लोग जो जिस नाम से, यात्रियों और केबिन क्रू के सामने एक-दूसरे को पुकारते थे, कहानी को प्रामाणिक तौर पर सही दिखाने के लिए केवल वही नाम वेब सीरीज़ में बोले गए। हालांकि, अनुभव सिन्हा का वामपंथी विचारधारा कि तरफ झुकाव और प्रेम किसी से छुपा नहीं है। और बाद में तो इस पर विवाद उठने पर भारत सरकार के निर्देश पर एक खंडन (डिस्क्लेमर) जोड़ा गया जिसमें हाईजैक करने वाले उन आतंकवादियों के असली नाम भी अलग से एक कैप्शन में दिखाए गए।
जैसा कि वामपंथी मीडिया द हिन्दू अख़बार के विश्लेषक अनुज कुमार लिखते हैं, “अनुभव सिन्हा ने भारतीय हवाई क्षेत्र के सबसे लंबे अपहरण की ख़ौफ़नाक जटिल कहानी को बेहद सटीकता, निष्पक्षता और मानवीय पहलुओं के साथ दिखाया है जो प्रशंसनीय है” (साभार: विकिपीडिया)। यदि सच्ची घटनाओं को परदे पर देखने में आपकी दिलचस्पी हो और आप भी कमाल की स्टारकास्ट द्वारा निभायी गई इस फ्लाइट हाईजैक के सात दिनों की कहानी को देखना चाहें तो नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं, यह आपको टॉप टेन टीवी शोज की लिस्ट में दिख जाएगी।