बहुत स्वाभाविकता के साथ ये बात किसी के भी मन में आ सकती है कि क्या हम अपने घर में एक से अधिक मंदिर रख सकते हैं? प्राचीन वास्तु शास्त्रों के अनुसार, इस प्रश्न का उत्तर है नहीं। कारण कोई भी हो, आप अपने घर में दो मंदिर रखने की कभी ना सोचें क्योंकि ऐसा करने से घर में नेगेटिविटी आती है और घर के लोगों को कई प्रकार से दुखों का सामना करना पड़ सकता है।
पूजा-पाठ के जो भी नियम शास्त्रों में वर्णित हैं और जो प्राचीन काल से चले आ रहे हैं, उनके कुछ ना कुछ वैज्ञानिक आधार हैं, हम सबको उन्हें ज़रूर मानना चाहिए। घर में मंदिर कैसा हो, इस बारे में सही जानकारी बहुत ज़रूरी है, इसलिए इससे संबंधित तथ्यों और मान्यताओं पर आधारित कुछ बातें हम आपके लाभ के लिए यहाँ बता रहे हैं।
घर का मंदिर कैसा हो?
घर में जहाँ पर मंदिर हो वह जगह बहुत सौम्य होनी चाहिए, जहाँ आपको दिव्य ऊर्जा महसूस हो और आपको शांति मिले। जब आप इस तरह की सकारात्मकता महसूस करते हैं तो भगवान की आराधना में ज़्यादा अच्छा ध्यान लगता है। लम्बे समय तक तपस्या से प्राप्त ज्ञान के आधार पर प्राचीन ऋषि-मुनियों ने सबके लाभ के लिए प्राचीन भारतीय ग्रंथों के द्वारा वास्तु शास्त्र के ज्ञान के बारे में बताया जिसे बाद में बहुत सारे विद्वानों ने भी अध्ययन करने के बाद सही पाया।
उसी महान वास्तु शास्त्र के ज्ञान के अनुसार घर में पूजा घर ऐसी दिशा में होना चाहिए जिससे पूजा करते समय आपका मुँह पूरब दिशा की ओर हो, इस कारण घर में मंदिर बनाने के लिए ईशान कोण (यह देवताओं के गुरु बृहस्पति जी की दिशा मानी जाती है, इसलिए यह ईशान या ईश्वर की दिशा कही जाती है) यानी उत्तर पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है।
घर में मंदिर बनाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
आपने यदि घर में मंदिर स्थापित किया है या करने वाले हैं, तो घर में एक ही मंदिर रखें और नीचे दी गयी इन बातों का विशेष ध्यान रखें तो अच्छा रहेगा।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, आप मंदिर को घर के दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में कभी ना बनायें।
- अपने मंदिर को किसी बीम, खम्भे या आलमारी के नीचे न रखें अन्यथा आप हमेशा तनाव में रहेंगे।
- घर छोटा हो और जगह की कमी हो तो भी मंदिर वाले कमरे को कभी भी स्टोर रूम ना बनायें क्योंकि ऐसा देखा गया है कि ऐसी जगह पर नेगेटिव एनर्जी भर जाती है, ऐसा होने पर आपका पूजा में मन ही नहीं लगेगा। इसलिए मंदिर में बहुत ज़्यादा सजावट के सामान और शोपीस ना भरें, वो आपका मंदिर है ड्राइंग रूम नहीं।
- दिन में लगभग लंच के समय और रात के समय जब पूजा ना हो रही हो तब मंदिर के दरवाज़े बंद कर दें या दरवाज़े ना हों तो परदे से ढक दें।
- मंदिर संगमरमर या लकड़ी से बना होना चाहिए। काँच या एक्रेलिक से बने मंदिर घर में नहीं रखे जाने चाहिए।
- मंदिर अगर किचन में रख रहे हैं तो उस के सामने चूल्हा बिल्कुल ना रखें। मंदिर को कभी भी गैस चूल्हे या रसोई के सिंक के ऊपर न रखें क्योंकि आग के पास या गंदे बर्तनों के पास मंदिर रहना अच्छा नहीं माना जाता, यह दुर्भाग्य लाता है।
अपने घर में मंदिर के लिए आप ऊपर बताई गयी इन बातों का ध्यान रखिए क्योंकि ये वास्तु शास्त्र के आधार पर ज्ञानी ऋषि-मुनियों द्वारा आगे आने वाली पीढ़ियों के भले के लिए शास्त्रों में बतायी गयी थीं और ये सिद्धांत आज भी लोगों का भला कर रहे हैं।