आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसी भी एक देवी हैं जिनकी कभी पूजा नहीं की जाती, कभी आह्वाहन नहीं किया जाता और कोशिश की जाती है कि अपने घर में उनका कभी वास ना हो। ये देवी हैं अलक्ष्मी जो लक्ष्मी माता की बड़ी बहन हैं और दरिद्रता की देवी मानी जाती हैं। जहाँ सभी लोग चाहते हैं कि उनके घरों में देवी लक्ष्मी का वास हो, वहीं ये कोई भी नहीं चाहता कि उसके घर में दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी का वास हो क्योंकि वो अपने साथ दरिद्रता लाती हैं।
आइये अब आपको देवी अलक्ष्मी के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियों से अवगत कराते हैं।
कौन हैं देवी अलक्ष्मी?
जैसा कि इन देवी के नाम में ही लक्ष्मी माता का नाम भी जुड़ा हुआ है तो आप समझ ही गए होंगे कि इनका नाता भी सौभाग्य की देवी लक्ष्मी जी से है। ठीक समझा आपने, बहुत ही गहरा नाता है इनकी देवी लक्ष्मी जी से। बहुत कम लोगों को पता होता है कि लक्ष्मी माता की कोई बड़ी बहन भी थीं।
जी हाँ, देवी अलक्ष्मी भी लक्ष्मी जी की ही तरह समुद्र मंथन में निकली थीं और चूँकि वो लक्ष्मी जी से पहले अवतरित हुईं थीं तो इन्हीं मान्यताओं के आधार पर उनको लक्ष्मी माता की बड़ी बहन माना जाता है।
दरिद्रता की देवी कौन है?
शास्त्रों में देवी अलक्ष्मी के बारे में वर्णित है कि वो लक्ष्मी जी से ठीक उलट थीं यानी वो बेहद कुरूप हैं। उनकी आंखें फैली हुईं, बाल उलझे हुए और उनके बड़े-बड़े दांत हैं। उनकी कहानी कुछ इस तरह से है कि वो लक्ष्मी जी से बहुत ईर्ष्या रखती थीं और इतनी कुरूप होने के बावजूद भी जब भी लक्ष्मी जी अपने पति विष्णु भगवान के साथ होती थीं तो अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के बीच विष्णु भगवान को रिझाने के लिए पहुंच जाती थीं।
उनकी इन्हीं अप्रिय हरकतों के कारण लक्ष्मी जी ने उन्हें श्राप दिया कि तुम्हारी कभी भी पूजा नहीं होगी और जहां भी गंदा वातावरण, ईर्ष्या की भावना, लोभ, आलस्य, क्रोध इत्यादि होगा, वहीं पर तुम्हारा वास रहेगा।
कैसे रखें अलक्ष्मी को अपने घर से दूर?
मान्यताओं के अनुसार, अगर घर या दूकान के बाहर देवी अलक्ष्मी को अपनी प्रिय खट्टी या तीखी चीज़ें दिख जाती हैं तो उन्हें खा कर वो संतुष्ट हो जाती हैं और उस जगह से वो चली जाती हैं, इसी कारण लोग अपने-अपने घर या दूकान के बाहर नींबू और मिर्ची टांगते हैं।
देवी अलक्ष्मी को ऐसे घरों में रहना पसंद है जहाँ परिवार के लोगों में आपस में कलह होती रहती हो, जहाँ हर तरफ गंदगी हो और लोग गलत काम करते हों। जो घर साफ-सुथरे रहते हैं और परिवार के लोग नियमित पूजा-पाठ करते हों, ऐसी जगहों पर देवी अलक्ष्मी प्रवेश नहीं कर पाती हैं।
कुछ ग्रंथों में ऐसा भी वर्णित है कि रविवार के दिन कभी भी पीपल के वृक्ष की पूजा नहीं करनी और ना ही उस पर जल चढ़ाना चाहिए क्योंकि उस दिन पीपल के वृक्ष पर देवी अलक्ष्मी का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि रविवार के दिन पीपल पर जल अर्पित किए जाने से धन की हानि होती है।
हम सब को सही रास्तों पर चलाने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने जो मान्यतायें निर्धारित की थीं, वो तो हम सबकी मदद करती ही हैं परंतु यदि आप इस बात को तार्किक और प्रतीकात्मक रूप में देखें तो उस कसौटी पर भी आप इन मान्यताओं को सही पायेंगे।
प्रतीकात्मक रूप में देवी अलक्ष्मी ने आसुरी शक्तियों को अपनाया और सारी गंदी बातें, दुर्गुण, ईर्ष्या इत्यादि उन्हें पसंद हैं जो कि असल में इंसान के अंदर की बुरी वृत्तियां हैं। उसी प्रकार, इसके ठीक उलट, लक्ष्मी जी सौभाग्य, साफ़-सफाई, प्रेम इत्यादि वाली जगह पर रहती हैं तो ये भी इंसान की अच्छी वृत्तियां हैं।
कहने का मतलब है कि ज़रूरी नहीं कि किसी में अगर आसुरी शक्तियाँ अधिक होंगी तो ऐसी कुरूप देवी अलक्ष्मी दिखेंगी नहीं और ना ही अच्छे गुण वाले इंसान के सर पर लक्ष्मी जी बैठी दिखेंगी परंतु ये बात तो पक्की है कि जहाँ सौहार्द्र होगा, वहाँ विवेक होगा और जहां विवेक होगा, वहाँ सही काम करने की समझ होगी और जहाँ सही समझ होगी तो स्वाभाविक है कि वह इंसान तो अपनी योग्यता का सही इस्तेमाल कर के अच्छी संपत्ति अर्जित कर ही लेगा।
इसीलिए ध्यान रखें कि आपके घर में हमेशा साफ़-सफाई, आपस में प्यार और अच्छे कर्म करने वाले लोग रहें तो गंदी वृत्तियां पसंद करने वाली और दरिद्रता लाने वाली देवी अलक्ष्मी आपके घर में कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगी।