प्रथम पूज्य गणपति जी को विघ्नहर्ता कहा गया है। यदि श्रद्धा पूर्वक पूरे मनोयोग से आप गणपति जी की पूजा-अर्चना करेंगे तो वह शीघ्र ही प्रसन्न हो कर आप की मनोकामना अवश्य ही पूरी करेंगे। कोई भी पूजा अर्चना, गणपति जी की पूजा के बिना पूर्ण नहीं होती, इसीलिए प्रत्येक पूजा अनुष्ठान से पहले आप श्री गणपति जी की विशेष आराधना ज़रूर करें।
यदि कोई भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा भक्ति से श्री गणपति जी की आराधना करता है तो उसके घर में सुख समृद्धि आती है और उसके जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं, इसलिए आप भी पूरे विश्वास के साथ उनका पूजन करें। श्री गणपति जी की आराधना अत्यंत ही सरल परंतु बहुत ही महत्वपूर्ण है।
गणेश जी का कौन सा मंत्र है?
प्रत्येक बुधवार को पूजा-अर्चना कर के और गणपति जी को दूर्वा चढ़ाने के बाद, यदि मनुष्य 108 बार श्री गणेश गायत्री मंत्र का जाप करता है तो शीघ्र ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिससे उसके पूर्व के बुरे कर्मों का पाप भी समाप्त हो जाता है।
श्री गणेश गायत्री मंत्र इस प्रकार है:
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
अर्थात् हम उन एक दन्त भगवान गणेश की प्रार्थना करते हैं, जो सर्वव्यापी हैं। हम उन हाथी के आकार वाले भगवान से सद्बुद्धि प्राप्त के लिए ध्यान और प्रार्थना करते हैं। हम, ज्ञान के साथ अपने मस्तिष्क को प्रकाशित करने के लिए एकल दन्त भगवान गणेश के सामने झुकते हैं।
पूर्ण रूप से एकाग्रचित्त होकर यदि आप भी श्री गणेश गायत्री के मंत्र का 108 बार प्रतिदिन 11 दिनों तक जाप करेंगे तो इस मंत्र से आप के जीवन के सारे दुख-दारिद्य दूर हो जायेंगे।
श्री गणेश जी का कुबेर मंत्र
यदि आप के जीवन में अत्यधिक आर्थिक संकट है तो श्री गणेश जी का कुबेर मंत्र विशेष लाभ प्रदान करेगा। इसलिए संकट की इन घड़ियों में आप धैर्य ना खोयें और लगातार 11 दिनों तक यदि इस नीचे लिखे गए मंत्र का 108 बार जाप करें तो निश्चित ही आप को आय के नए-नए स्त्रोत मिलने लगेंगे, जिससे आप की दरिद्रता दूर हो जाएगी।
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
यदि आप ऊपर दिए गए मंत्रों का जप नहीं कर पाते हैं तो भी आप गणेश जी के सरल बीज मंत्र से उनकी आराधना करें। गणेश भगवान इतने दयालु हैं कि यदि पूरी श्रद्धा और भक्ति से प्रतिदिन आप उनके सरल बीज मन्त्र ओम गं गणपतये नमः का जाप करते हैं, तो भी आपके जीवन से सारी विघ्न बाधाएं दूर हो जाएंगी और आपको अपने जीवन में हर प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त ज़रूर होगी।
गणेश जी की साधना कैसे करें?
श्री गणपति जी की पूजा-आराधना बहुत ही सरल परंतु महत्वपूर्ण है। यह आपके मन की सभी उचित इच्छाओं को पूरा करने वाली है| किसी भी महीने की चतुर्थी तिथि को आप गणपति जी का पूजन प्रारंभ कर सकते हैं, क्योंकि इसी तिथि को श्री गणपति जी की उत्पत्ति हुई थी। श्री गणपति जी के साथ श्री शिव जी, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और नंदी जी की भी पूजा करनी चाहिए।
गणपति जी की पूजा करने से पहले स्नान कर के घर को पवित्र कर लें, ऐसा आप घर में गंगाजल छिड़क कर कर सकते हैं। गणपति जी की मूर्ति को चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर विराजित करें और उन पर भी गंगाजल छिड़कें। गणपति जी को सिंदूर, रोली और अक्षत अर्पित करें, साथ में उन्हें हल्दी का तिलक भी लगाएं।
इसके बाद उन को जनेऊ तथा सुपारी अर्पित करें। गणपति जी को जल, फूल और पंचामृत चढ़ाएं और उनके मस्तक पर दूर्वा अर्पित करें। अब गणपति जी को आप इत्र लगाएं तथा फूल के द्वारा अबीर गुलाल अर्पित करें। घी का दीपक जला कर श्री गणपति जी को पांच प्रकार के फल अर्पित करें।
फिर, गणपति जी को मोदक, घी, गुड़, इत्यादि का भोग लगाएं। इसके बाद, गणपति जी के बीज मंत्र ॐ गं गणपतए नमः का अपनी श्रद्धा अनुसार जाप करें। आप गणपति जी के 108 नामों का भी जाप कर सकते हैं। फिर अंत में, गणपति जी की आरती करें।
गणेश जी की मूर्ति कहां लगानी चाहिए?
हिंदू देवी देवताओं को मानने वाले भक्त जनों के घर में अक्सर उनके इष्ट देवी देवताओं के चित्र या मूर्तियां अवश्य ही देखने को मिलती है और इन सब में सबसे ज्यादा प्रचलित है श्री गणेश जी की मूर्ति। प्राचीन काल से अब तक ऐसा माना गया है और ये बात अनेकों बार सिद्ध भी हुई है कि देवी देवताओं के चित्रों या मूर्तियों के प्रभाव से घर की नकारात्मकता दूर होती है एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इससे घर में किसी भी प्रकार की बुरी शक्तियों के आगमन को भी रोका जा सकता है। अक्सर लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर श्री गणपति जी का चित्र या मूर्ति स्थापित करते हैं । गणपति जी को मंगल मुखी कहा गया है, अतः उनके मुख की ओर संपन्नता, खुशियां और समृद्धि पाई जाती है परंतु ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी की पीठ की तरफ दरिद्रता होती है। तो यदि आप भी अपने घर के मुख्य द्वार पर श्री गणपति जी का चित्र लगा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य ही रखें।
- घर के मुख्य द्वार पर गणपति जी की खड़ा हुआ चित्र ना हो।
- गणेश भगवान का जैसा चित्र बाहर की ओर मुख करें हुए मुख्य द्वार पर लगा हो, लगभग वैसा ही दूसरा चित्र दरवाजे में पीछे की तरफ से भी लगा हो ताकि गणपति जी का मुख घर के अंदर की तरफ हो।
- गणपति जी की मूर्ति या चित्र घर के उत्तर, उत्तर-पूर्वी या पूर्वी हिस्से में ही लगाएं। भूलकर भी गणपति जी की प्रतिमा दक्षिण-पश्चिम या दक्षिणी दीवार पर ना लगाएं।
- अपने घर या ऑफिस, कहीं पर भी गणपति जी की दो मूर्तियां या फोटो एक साथ ना रखें।
- घर पर गणपति जी की बैठी हुई प्रतिमा तथा ऑफिस में उनकी खड़ी हुई प्रतिमा लगानी चाहिए, जिसमें उनके दोनों पैर जमीन को स्पर्श कर रहे हों।
इस तरह से इन मन्त्रों के साथ विधि विधान से पूजा-अर्चना करने पर भक्तों पर कृपा करने वाले श्री गणेश जी आपको भी धन-धान्य से परिपूर्ण करेंगे और अवश्य ही आपके दुखों को दूर कर के आपके घर में खुशियां लायेंगे।