घर के दूसरे कमरों को सजाने की तरह घर के मंदिर वाले रूम को सजाने के लिए भी आप वास्तु शास्त्र की मदद ले सकते हैं, जिसका ज्ञान हमारे भारत देश में आसानी से सुलभ है। वैसे, आपका पूजा कमरा आपकी ईश्वर के प्रति श्रद्धा और आत्मिक स्वरुप के अनुरूप होना चाहिए।
इसलिए उस कमरे या मंदिर को कैसे सजाना है, यह तय करने के लिए बाहरी ज्ञान के अलावा ध्यान लगा कर अपनी आँखें बंद कर के अपने अंदर देखिए और सोचिए कि आपके पूजा कमरे का सही स्वरुप क्या होना चाहिए, आपको इस बारे में बहुत अच्छे विचार सूझेंगे।
आप वास्तु शास्त्र पर आधारित कुछ जानकारियाँ यहाँ देख सकते हैं, जिससे आपको अपने घर के मंदिर को सजाने में मदद मिल सकती है।
घर के मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए?
भारतीय वास्तु शास्त्र के अलावा बहुत सारे वैज्ञानिक अध्ययनों से भी यह पता चलता है कि दिशाएँ इंसानों के मन को प्रभावित करती हैं, इसीलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आपका मंदिर सही दिशा में हो जिससे कि आप शाँतिपूर्वक ध्यान लगा कर अपनी पूजा-पाठ और मंत्र जाप कर पायें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, आप अपने घर के मंदिर को ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित कीजिए जिससे कि आप जब पूजा करें तो घर के मंदिर का मुँह पश्चिम दिशा की ओर रहे जो कि शुभ माना जाता है।
पूजा घर का दरवाजा किधर होना चाहिए?
वास्तु के अनुसार, चाहे पूजा का कमरा हो या लकड़ी का मंदिर बनवाया गया हो, उसके दरवाज़े दो पल्ले वाले होने चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि आपके मंदिर के अंदर रखी गयी मूर्तियाँ सीधे दरवाजे की ओर मुख किए हुए ना हों।
पूजा कमरे में आने और जाने का द्वार एक ही होना चाहिए। दोपहर के समय और रात को सोने के लिए जाते वक़्त आप अपने मंदिर या पूजा कमरे पर लगा हुआ पर्दा बंद कर दें क्योंकि यह मान्यता है कि भगवान के लिए भी वह विश्राम का समय होता है।
पूजा घर का आकार
मंदिर का आकार ऐसा सबसे अच्छा माना जाता है जिसकी छत त्रिकोणात्मक पिरामिड यानी गुम्बदाकार गोपुर जैसी हो (जैसी आप आम तौर पर मंदिरों में देखते हैं) जो पॉज़िटिव एनर्जी को सही ढंग से बैलेंस करने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि अगर आप लकड़ी, संगमरमर, आदि का मंदिर रख रहे हैं तो उस पर मूर्तियाँ रखने की सतह ज़मीन से थोड़ा सा ऊपर हो ताकि रखी गई मूर्तियाँ पूजा करने वाले के सीने की ऊँचाई तक हों। मंदिर की फर्श चौकोर या गोल हो तो सबसे अधिक शुभ होता है।
अगर आपका दुमंजिला घर है तो भी अपने मंदिर या पूजाघर को ग्राउंड फ्लोर पर न रखें बल्कि ऊपर वाले फ्लोर पर रखें क्योंकि मुख्य तौर पर घर की एनर्जी वहीं से संचालित होती है। अगर आपके घर में बेसमेंट में भी कमरे हैं तो ध्यान रखें कि वहाँ मंदिर ना बनायें जो कि वास्तु के अनुसार अच्छा नहीं माना जाता है।
नंदी जी का मुख किस तरफ होना चाहिए?
मंदिरों में आप देखेंगे कि नंदी जी का मुख हमेशा शिवलिंग की ओर ही होता है। नंदी जी भगवान शिव की सेवा करने की भावना से परिपूर्ण रहते हैं और शिव जी के सबसे प्रिय गण माने गए हैं। वास्तु शास्त्र में भी नंदी जी की मूर्ति को शिवलिंग के साथ पूजा घर में स्थापित करने को बहुत शुभ माना जाता है। नंदी जी के मुख पर आपको बहुत प्रेम और शाँति दिखेगी जिससे प्रभाव से आपके परिवार में भी आपस में बहुत प्रेम बढ़ेगा और खुशहाली आएगी।
अपने मंदिर में साफ़-सफाई का भी विशेष ध्यान रखें क्योंकि सुंदर और साफ-सुथरे मंदिर में आपका मन भगवान की पूजा में ज़्यादा अच्छे से लगेगा। जितना वास्तु के अनुसार अच्छे से बना और सजा हुआ हुआ आपका मंदिर होगा, उसकी सकारात्मकता से अच्छी सुख-शाँति आपके घर-परिवार में आएगी।