आम तौर पर हम सभी को पता होता है कि अपने घर के मंदिर में क्या-क्या रखना चाहिए पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये जानना भी उतना ही ज़रूरी है कि आपको अपने घर के मंदिर में क्या-क्या नहीं रखना चाहिए? तो आइये, जानते हैं इसी के बारे में, प्राचीन प्रामाणिक स्रोतों से ली गयी जानकारी के जरिए।
घर के मंदिर में क्या रखना अशुभ होगा?
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप घर के पूजा घर में कभी भी खंडित मूर्ति ना रखें, यह बहुत बड़ा अपशकुन और भगवान का अपमान होता है। इसके अलावा ना ही मांस, अंडे, मछली इत्यादि का सेवन करें और यदि परिवार के अन्य लोग अगर इनका सेवन करते भी हों तो भी, पूरा प्रयास करें कि परिवार का कोई भी सदस्य इन तामसिक पदार्थों को पूजा कमरे के आस-पास भी ना लाए।
मंदिर के पवित्र वातावरण में कभी भी कोई अश्लील चित्र या पदार्थ नहीं रखा जाना चाहिए। इसी प्रकार, आप अपने मन के मंदिर में भी हमेशा प्रयास करें कि सात्विक विचार रहें, विशेषकर कि जब आप अपने पूजा घर के आस-पास हों क्योंकि दूषित और अश्लील विचारों से उस स्थान के सकारात्मक वातावरण पर गलत प्रभाव पड़ेगा और वो परमपिता परमेश्वर का अपमान भी होगा।
पवित्र पदार्थों और मूर्तियों को रखने में क्या सावधानियाँ बरतें?
हर देवता या उनसे जुड़े पवित्र पदार्थ को अपने पास रखने के कुछ विशेष नियम ऋषि-मुनियों ने शास्त्रों में बताए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर पदार्थ की एक निश्चित ऊर्जा होती है और उसको एक विशेष तरीके से रखे जाने के पीछे उस पदार्थ या मूर्ति को उसकी ऊर्जा के अनुसार उचित तरीके से रखा जाना है।
पूजा घर में शंख को किस प्रकार रखें?
वैसे तो पूजा घर में शंख रखना और बजाना बहुत शुभ माना जाता है। शंख को भगवान विष्णु का एक प्रतीक माना गया है और उसको उचित श्रद्धा के साथ रखा जाना चाहिए। जिस घर में हर रोज़ शंखनाद होता है, वह जगह सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती है और घर में सम्पन्नता आती है। परंतु ध्यान रहे कि शंख को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाना चाहिए।
पूजाघर में पूर्वजों की तस्वीर न लगाएं
प्राचीन शास्त्रों में वर्णित नियमों के अनुसार पूजा कमरे में कभी भी किसी पूर्वज की तस्वीर आप ना लगायें। यज्ञ कराने के बाद बची हुई समिधा और यज्ञ में चढ़ायी जाने वाली पूजा की सामग्री कभी-कभी कुछ लोग पूजा कमरे में ही छोड़ देते हैं जिससे यज्ञ का अनादर होता है।
ऐसा कभी ना करें और बची हुई सामग्री को किसी पेड़ के नीचे (हो सके तो पीपल के पेड़ के नीचे) डाल दें या नदी/नहर के बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें। पूजा या यज्ञ में प्रयोग किए गए कलश को हमेशा पूरी श्रद्धा से थाली में रखें। पूजा-पाठ की उन पुस्तकों को जिनको परिवार का कोई सदस्य पहले पढ़ रहा था पर अब नहीं पढ़ता तो उन पुस्तकों को आदर सहित किसी मंदिर को दान कर दें या पीपल के पेड़ के नीचे श्रद्धापूर्वक रख दें।
इस तरह से अपने घर के पूजा घर में पवित्र पदार्थों, पुस्तकों और पूजा सामग्रियों को उचित श्रद्धा से रखने से आपके पूजा घर और मन मंदिर में हमेशा सकारात्मकता का वास रहेगा।