प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में पूरी मानव जाति के हित के लिए देवताओं की मूर्तियों को विशेष प्रकार से रखने के कुछ निर्देश दिए गए हैं। जिनको केवल एक-दो बार नहीं बल्कि कई युगों यानी हज़ारों सालों से आजमाया गया है और सही पाया गया है, इसलिए आप कह सकते हैं कि ये नियम समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं।
इससे यह भी पता चलता है कि हिन्दू धर्म के ये प्राचीन शास्त्र कितने प्रामाणिक और वैज्ञानिक हैं। इन को गलत तरह से रखने पर स्वतः ही नुकसान भी होता है क्योंकि भगवान तो किसी से बदला नहीं लेते परंतु संसार का नियम ही कुछ ऐसा है कि गलत करेंगे तो नुकसान तो अवश्य होगा।
आइये जान लें कि प्राचीन काल से चले आ रहे इन प्रचलित नियमों के अनुसार कौन से देवता की मूर्ति किस तरह से रखी जानी चाहिए और कौन से देवता की मूर्ति अपने घर के मंदिर या किसी भी कमरे में नहीं रखनी चाहिए, जिससे आपका घर धन-धान्य से भरपूर रहे और साथ में सात्विकता, सकारात्मकता और खुशहाली भी बनी रहे। सबसे पहले ये समझें कि भगवान की मूर्ति को घर के पूजा घर में रखने का औचित्य क्या है।
क्यों रखी जाती है भगवान की मूर्ति पूजा घर में?
वैसे तो आदि ग्रंथ वेदों में और प्राचीन शास्त्रों में बताया गया है कि ईश्वर इतने महान हैं कि उनका ना कोई आदि है और ना ही कोई अंत है यानी कि वो निराकार ब्रह्म हैं जिनको किसी भी एक स्वरुप में आप नहीं बाँध सकते। दूसरी तरफ, यह भी स्वयं-सिद्ध बात है कि हम सबको पूजा करने के लिए एक संबल की आवश्यकता होती है जो हमारे लिए एक आदर्श व्यक्ति हो।
हज़ारों साल पहले ही हमारे ऋषि-मुनियों ने सबके भले के लिए अपने तपोबल से भगवान के मानव से मिलते-जुलते स्वरुप को पहले स्वयं अनुभव किया और फिर सबके लाभ के लिए पूरी दुनिया को बताया। यह एक बहुत गूढ़ बात है कि यहाँ यह बात नहीं कही जा रही है कि भगवान सिर्फ ऐसे ही हैं पर हाँ हम यह अवश्य कह सकते हैं कि भगवान ऐसे भी हैं, भगवान की छवि को देखें, समझें और उन्हें नमन करें।
देवी-देवताओं को इसलिए भी ऋषि-मुनियों ने मानव स्वरुप में वर्णित किया क्योंकि हम मनुष्यों का स्वाभाव ऐसा होता है कि हम जिस छवि को देखते हैं, उसका प्रभाव हमारे ऊपर पड़ता ही है। यदि देवी-देवताओं के महान स्वरुप का एक छोटा हिस्सा भी हम लोग अपने अंदर आत्मसात कर पायें तो हम सभी निश्चित रूप से एक महान जीवन जी पायेंगे।
कौन से भगवान की मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए?
जी हाँ, कौन सी मूर्ति ये समझने से ज़्यादा ये आवश्यक है कि हमें पता रहे कि किस-किस तरह की और कौन से देवताओं की मूर्तियाँ घर में कभी नहीं रखी जानी चाहिए। एक मुख्य बात जो आपको ध्यान रखनी है वो ये है कि गणेश जी की पीठ की तरफ दरिद्रता का निवास होता है, इसलिए गणेश जी की मूर्ति ऐसी रखें कि केवल उनके सामने का हिस्सा ही हर किसी को दिखे।
ऐसा सुनिश्चित करने के लिए आप या तो अपने पूजा कमरे में ही गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा रखें (जहाँ कम जगह में गणेश भगवान का सिर्फ अग्र भाग ही दिखे)। बहुत से लोग तो अपने घर में गणेश भगवान की कई अलग-अलग तरह की आकर्षक बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ लगाते हैं जिनमें वो चारपाई पर लेटे हैं, पढ़ रहे हैं या बाजा बजा रहे हैं, इत्यादि पर आप भूल कर भी ऐसा ना करें क्योंकि यह तो भगवान की छवि को शो-पीस की तरह इस्तेमाल करने वाली बात हो गयी।
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि लक्ष्मी जी की मूर्ति आप कभी भी खड़ी अवस्था में ना लायें। इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि लक्ष्मी चंचला होती हैं और उनके पैर आपके घर में तभी टिकेंगे यदि वो बैठी हुई अवस्था में होंगी।
भगवान की कौन सी मूर्ति रखें और कितनी संख्या में रखें, इसके कुछ नियम और भी हैं जिनको आप समझ लें और इनका ध्यान रखें। आप घर में एक से अधिक शिवलिंग ना रखें और भगवान विष्णु स्वरुप शालिग्राम पत्थर का छोटे से छोटा टुकड़ा ही घर में रखें। कुछ और देवी-देवताओं की मूर्तियां रखना बहुत अशुभ माना जाता है। इनमें से मुख्य रूप से शनि देव, भैरव बाबा और नटराज की मूर्तियां ऐसी हैं जिनको घर में नहीं रखना चाहिए।
इनके अलावा कुछ छोटी-छोटी बातों का भी ख़्याल रखें जैसे कोशिश करें कि देवताओं की मूर्तियाँ अधिक बड़ी ना हो, इसके लिए लगभग अधिकतम 6 इंच से बड़ी मूर्ति ना रखें। इस के पीछे विज्ञान यह है कि बड़ी मूर्ति को जल चढ़ाना या स्नान कराना, साफ-सफाई इत्यादि बहुत मुश्किल होता है और अक्सर बड़ी मूर्तियाँ गंदी भी रह जाती हैं।
आप भगवान की मूर्ति रख रहे हैं तो उनकी मूर्ति का रख-रखाव भी ध्यान से करें अन्यथा उनका अपमान होगा और भगवान की मूर्ति महज एक शो-पीस के जैसी रह जाएगी जो कि नहीं होना चाहिए। यह भी विशेष ध्यान रखें कि देवी-देवताओं की क्रोधित अवस्था वाली मूर्तियाँ आप घर के किसी भी हिस्से में ना रखें चाहे वो पूजा कमरा ही क्यों न हो।
भगवान की वह क्रोधित लीला किसी विशेष प्रयोजन जैसे दुष्टों कर संहार करके पाप का सर्वनाश के लिए थी, परंतु जैसे कि आर्टिकल में ऊपर बताया गया कि उससे आपके मन पर क्रोध वाला प्रभाव पड़ेगा जिससे हमें बचना चाहिए।
एक बात जो बहुत आसानी से देखी और समझी जा सकती है कि पश्चिमी सभ्यता द्वारा साइकोलॉजी विषय के बारे में रिसर्च करने और इस विषय पर कोर्स शुरू करने से हज़ारों साल पहले हिन्दू धर्म के महान आध्यात्मिक रिसर्च यानी तपस्या करने वाले ऋषि-मुनियों ने कितने सूझ-बूझ और मनोविज्ञान को समझते हुए देवी-देवताओं की मूर्तियों का स्वरुप आदि ग्रंथों और प्राचीन शास्त्रों के जरिए दुनिया को बताया।
भगवान की मूर्ति को सही तरीके से रखने पर घर-परिवार में सभी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और घर में समृद्धि आती है, इसलिए आप भी भगवान की मूर्ति रखने के इन नियमों का विशेष ध्यान रखें।