हिन्दू प्रथा में जब भी कोई निर्माण कार्य होता है तो वह प्राचीन वास्तु शास्त्र के अनुसार सही माना जाता है, क्योंकि वास्तु शास्त्र के ये सिद्धांत समय की कसौटी पर खरे उतर चुके हैं, जिनकी महत्ता आज के वैज्ञानिक भी स्वीकार करते हैं। पूजाघर के निर्माण पर भी यह बात खरी उतरती है। पूजा के कमरे का डिज़ाइन कैसा हो, इस के लिए भारतीय वास्तु शास्त्र पर आधारित कुछ जानकारियों का आप यहाँ, हमारी वेबसाइट से, लाभ उठा सकते हैं।
कमरे की दिशा और सही स्थान का रखें ध्यान
आपके पूजा घर का सही दिशा में होना बहुत ज़रूरी है। ऐसा इसलिए है कि पूजा घर में आप हमेशा चाहेंगे की सात्विकता भरी सकारात्मक ऊर्जा उस स्थान पर रहे और यह एक वैज्ञानिक तथ्य है की दिशायें हमारे मन पर प्रभाव डालती हैं, इसलिए, वास्तु के सिद्धांत के अनुसार आप इस कमरे को उत्तर पूर्व दिशा में रखें।
इस का एक कारण यह भी है कि इस दिशा में सुबह और दिन के समय आप के कमरे में हल्की धूप के जरिए प्राकृतिक रौशनी आएगी, जो कि ईश्वर का ध्यान और पूजा के लिए बहुत अच्छा है। यदि ठीक उत्तर पूर्व दिशा में ना सम्भव हो पाए तो आप इस कमरे को उत्तर या पूर्व दिशा में भी बनवा सकते हैं।
यह भी ध्यान रखें कि कमरा हवादार हो जिससे कि आप वहां प्राणायाम और ध्यान भी कर पायें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा कमरा घर में सही स्थान पर बने। पूजा कमरे से लगा हुआ बाथरूम या टॉयलेट रूम वगैरह नहीं होना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात कि आपका यह सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र, पूजा स्थल, घर की सीढ़ियों के नीचे नहीं बना हुआ होना चाहिए।
आपके पूजाघर का डिज़ाइन और आकार कैसा होना चाहिए
अगर संभव हो सके तो पूजा के कमरे की छत पिरामिड के आकर की बनायें जैसी की सामान्य मंदिरों में होती है। दरअसल इस प्रकार की छतों वाले मंदिरों या पूजा घर में, ऊर्जा एक जगह केंद्रित होती है। यदि आप आसानी से ऐसा कर पायें तो ठीक है, अन्यथा परेशान ना हों, आप चौकोर या आयताकार,सपाट छत वाले कमरे में भी अच्छी पूजा कर सकते हैं।
एक दूसरा तरीका यह भी है कि मान लीजिये यदि आपका घर पहले से बना हुआ है और अब कमरे में आप छत नहीं बदल सकते हैं या आपका घर बहुत छोटा हो यानी आप एक पूरा कमरा पूजा के लिए ना रख पा रहे हों तो, इन दोनों ही सूरतों में आप अपनी आवश्यकता के अनुसार एक छोटा सा पूजा घर बनवा सकते हैं। यह पूजाघर आपके घर के एक छोटे से हिस्से में ही रहेगा।
उपासना के लिए बनवाया गया यह पूजा घर लकड़ी का हो तो सबसे अच्छा है या आपकी क्षमता के अनुसार यह संगमरमर का भी हो सकता है। इस तरह का पूजा घर लगभग 2 फ़ीट से 5 फ़ीट तक के आकार का आपको आम तौर पर पूजा के सामान बेचने वाली दुकानों पर मिल जाएगा।
अपने पूजा घर में आप जिन देवताओं की पूजा रोज़ करते हैं, उनकी मनोहारी छवि वाली तसवीरें, प्रतिमाएँ, कैलेंडर, इत्यादि रख सकते हैं। यहाँ पर आप अपने पूर्वजों की तसवीरें ना रखें, जो कि अपशकुन माना जाता है और उन तस्वीरों को आप अपने घर के किसी भी अन्य कमरे में रख सकते हैं। अपने पूजा घर में आप किसी देवता के रौद्र रूप की तस्वीर न लगायें जिससे आपकी पूजा में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है।
पूजा कमरे में सफाई का विशेष ध्यान रखें
हर दिन अपना पूजा का कमरा अच्छे से साफ करें, उसमें बासी फूल, पत्तियां और माचिस इत्यादि ना रहने दें। यदि कोई हवन या विशेष पूजा में सामग्री एक दिन तक वहीँ छोड़नी है तो नियत समय तक वहां छोड़ने के बाद उसे वहां से ज़रूर हटा कर सही तरीके से पास के किसी बहते जल के स्रोत में प्रवाहित करें या पीपल के नीचे रख दें।
पूजा के स्थान पर झाड़ू, पोछा, साफ-सफाई करने के बाद ही पूजा शुरू करने के लिए बैठें। यदि आप शिवलिंग पर जल से या दूध इत्यादि से अभिषेक करते हैं तो उसे इधर-उधर ना फेंक कर किसी पौधे में डालें। भगवान को आप रोज़ ताज़े फूल चढ़ायें, गणेश जी की प्रतिमा को सर्वप्रथम नमन कर के अपनी पूजा-अर्चना आरम्भ करें और पुण्य-लाभ अर्जित करें, जिससे आपके घर में शांति, सुख और समृद्धि का वास रहे।