इस लेख के शीर्षक को पढ़कर आप यही कहेंगे शायद हम बाबा आदम के जमाने की बात कर रहें हैं। क्योंकि आज के युग में रेडियो कौन सुनता है ! निश्चित रूप से आपके यही विचार होंगे कि आज ओ टी टी और स्मार्टफोन्स आदि के युग में रेडियो के कार्यक्रम सुनना बीते जमाने की बात हो गई है।
लेकिन हम भी उस युग की बात कर रहें हैं जब रेडियो ही हमारे घर की आन बान और शान हुआ करता था। आज हम आपको एक ऐसे गाँव से परिचित कराने जा रहें हैं जहाँ के गाँव वालों की रेडियो के प्रति दीवानगी को निश्चित रूप से गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड में दर्ज किया जाना चाहिए।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अपने ही देश में एक ऐसा कस्बा है जो रेडियो पर प्रसारित होने वाले प्रोग्रामों को सबसे अधिक सुनता है। यह भारत का वह स्थान है जहां सबसे अधिक रेडियो की आवाज गूँजती है। वर्ष 1950 के दशक से यह सिलसिला चला आ रहा है। उस गाँव के लोगों का रेडियो से लगाव देखते ही बनता है ।
बताया जाता है कि रेडियो स्टेशन विविध भारती और इस गांव के ग्रामवासियों का रिश्ता कई साल पुराना है। रेडियो पर अपने पसंद के फिल्मी गीत सुनने की फरमाइश करने वालों में इस गांव का स्थान नंबर वन था। आइए जानते हैं कि वह कौन सा गांव है ? जहां रेडियो की आवाज को सुनने वाले गाँव वालों की कहानी आज विश्व प्रसिद्ध हो गई है।
झुमरी तलैया कहां पर है
यह अदभुत कस्बा है झुमरी तलैया, जहाँ भारत में सबसे अधिक रेडियो सुना जाता रहा है। यह झुमरी तलैया नाम का कस्बा भारत के झारखंड राज्य कि कोडरमा जिले में स्थित है। जब भारत में रेडियो युग आरंभ हुआ तो कौन जानता था कि रेडियो के आवाज के जादू के सम्मोहन में इस गाँव के लोग बंध जाएंगे। इस गाँव की आबादी एक लाख के करीब है।
यहाँ के लोगों की भाषा मगही है लेकिन इनकी हिन्दी भाषा में बजने वाले फिल्मी गीतों के प्रति दीवानगी देखते ही बनती है। इस कस्बे के लोगों की रेडियो सुनने की ललक पूरे देश में जानी जाती है। यह वर्ष 1957 का समय था जब विविध भारती रेडियो स्टेशन शुरू हुआ। उस दिन से झुमरी तलैया नामक इस गाँव में रात-दिन रेडियो बजने लगा।
उठते-बैठते, काम करते समय ,यहां तक की कुछ लोग अपने साथ में रेडियो लेकर ही एक स्थान से दूसरे स्थान जाया करते थे। झुमरी तलैया के लोग रेडियो स्टेशन पर बजने वाले फिल्मी गीतों को बड़े चाव से सुना करते थे। वे ग्रामवासी रेडियो पर बजने वाले फिल्मी गीत केवल सुनते ही नहीं थे बल्कि वे अपने पसंदीदा फिल्मी गीतों को सुनने के लिए फरमाइश पत्र भी लिखकर रेडियो स्टेशन भेजा करते थे।
रेडियो स्टेशन विविध भारती के कर्मचारियों द्वारा आने वाले श्रोताओं के पत्रों को जब एकत्र किया जाता था तब रेडियो स्टेशन के कर्मचारियों को बड़ा आश्चर्य होता था कि वहाँ आने वाली अधिकतर चिट्ठियां झुमरी तलैया की ही होती थीं। उस समय लोगों के मन में यही कौतूहल जागता था कि देश में यह कौन सा स्थान है जहां सबसे अधिक लोग रेडियो सुनते हैं और अपने पसंदीदा गीतों की फरमाइश भी किया करते हैं।
आपको जानकर अचरज लगेगा कि झुमरी तलैया को पहले लोग कोई काल्पनिक स्थान समझते थे
इसका कारण था इसका विचित्र नाम। अपने इस नाम के कारण झुमरी तलैया को लोग बाग पहले मनगढ़ंत नाम मानते थे। लोग यही सोचते थे कि रेडियो स्टेशन वाले झूठ- मुठ अपने सुनने वालों के नाम के साथ झुमरी तलैया का नाम बोलते है।
जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। बाद में पूरे देश को पता चल गया झुमरी तलैया कोई काल्पनिक नाम नहीं बल्कि एक जीता -जागता कस्बा है जहाँ रहने वाले गांव वालों के दिलों में फिल्मी गीतों के प्रति गहरा जुड़ाव है। यह वह समय था जब रेडियो ही मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था। ऐसे में लोग घरों में रेडियो के माध्यम से फिल्मी गीत आदि को सुनकर लोग आनंद का अनुभव करते थे।
इस गांव के सबसे अधिक रेडियो सुनने वालों में रामेश्वर वर्णवाल और नंदलाल सिन्हा आदि अनेकों लोगों का नाम आज पूरा भारत जानता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यदि रेडियो की दुनिया में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की बात हो तो इस गांव का नाम सबसे पहले नंबर पर आएगा। साथ ही रामेश्वर वर्णवालऔर नंदलाल सिन्हा जैसे लोगों को एक सर्वश्रेष्ठ श्रोता का पुरस्कार भी मिल सकता है।
यह दोनों वह नाम है जो विविध भारती रेडियो स्टेशन पर अपना पसंदीदा फिल्मी गीत सुनने के लिए हर दिन चिट्ठी लिखा करते थे। जिसके कारण उनका नाम रेडियो पर लगभग हर दिन बोला जाता था और साथ ही उनका फेवरेट सॉन्ग सुनाया जाता था। आज भी इनका नाम रेडियो स्टेशन विविध भारती में इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है।
अब जरा कल्पना कीजिए कि अपने व्यस्ततम जीवन में रामेश्वर वर्णवाल और नंदलाल सिन्हा जैसे गांव के अनेक लोग हर दिन किस प्रकार रेडियो स्टेशन को पत्र लिखते होंगे। हर दिन अपना पत्र पोस्ट ऑफिस जाकर लैटर बॉक्स में डालने के पीछे उनका एक मात्र उद्देश्य बस यही था कि रेडियो में उनका पसंदीदा गीत सुनने के लिए मिल जाए।
फिल्मी गीतों के प्रति उनकी यह दीवानगी वास्तव में अनोखी थी। विविध भारती रेडियो स्टेशन पर रामेश्वर वर्णवाल और नंदलाल सिन्हा आदि वह नाम हैं जो हर दिन फरमाइशी गीतों के कार्यक्रम में बोले जाते थे। झुमरी तलैया स्थान को आम से खास बनाने में रामेश्वर वर्णवाल और नंदलाल सिन्हा जैसे लोगों का बहुत बड़ा हाथ रहा है। हिंदी फिल्मी गीतों के प्रति दीवानगी ने झुमरी तलैया का नाम झारखंड राज्य से रेडियो स्टेशन तक और उसके बाद बॉलीवुड तक पहुँचा दिया है।
आइये जानते हैं कि झुमरी तलैया से विविध भारती रेडियो स्टेशन को पहला पत्र कब और क्यों लिखा गया
यह बात 1950- 60 के दशक की है। जिन दिनों देश के लगभग हर घरों में रेडियो का बोलबाला था। सबको पता है कि गाँवो में तो रेडियो लंबे समय तक गीत- संगीत और समाचार सुनने का प्रमुख माध्यम बना रहा।
एक बार इस झुमरी तलैया गांव के रामेश्वर वर्णवाल और नंदलाल सिन्हा नाम के व्यक्ति रेडियो पर फिल्मी गीत सुन रहे थे। लेकिन उस दिन उनका पसंदीदा गीत नहीं प्रसारित हो रहा था। आइए यह भी जानते हैं कि वह पसंदीदा गीत कौन सा था? जिस गीत को सुनने के लिए रामेश्वर वर्णवाल ने रेडियो स्टेशन को पत्र लिखने का सिलसिला आरंभ किया।
वह गीत एक राजकपूर साहब की पुरानी फिल्म श्री 420 का था। जिस फिल्म के लोकप्रिय गीत ‘रमैया वस्तावैया’ को सुनने की रामेश्वर वर्णवाल को प्रबल इच्छा थी। लेकिन अफसोस रेडियो पर वह गीत आ ही नहीं रहा था। तब रामेश्वर वर्णवाल ने अपने मित्र नंदलाल सिन्हा का सुझाव मानकर एक पोस्टकार्ड (पत्र) विविध भारती रेडियो स्टेशन को लिखा कि मुझे मेरा पसंदीदा गीत ‘रमैया वस्तावैया’ सुनाने की कृपा करें।
विविध भारती रेडियो स्टेशन वालों को वह पत्र मिलते ही उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने रामेश्वर वर्णवाल के फेवरेट सॉन्ग को रेडियो पर पूरे दिन में 4 बार चलाया, जिसको सुनकर रामेश्वर वर्णवाल झूम उठे। क्योंकि विविध भारती ने उनका गीत ही नहीं चलाया था बल्कि पहली बार उनका नाम भी रेडियो स्टेशन पर लिया गया था।
इसके बाद तो झुमरी तलैया से विविध भारती रेडियो स्टेशन को पत्र लिखने का सिलसिला आरंभ हो गया। गाँव के रामेश्वर वर्णवाल और नंदा लाल सिन्हा आदि कई लोग लगभग रोज अपना पसंदीदा गीत सुनने के लिए रेडियो स्टेशन पर विविध भारती को पत्र लिखने लगे।
झुमरी तलैया गाना
उनका यह छोटा सा काम आज इतिहास बन गया। उनका नाम रेडियो की सर्वश्रेष्ठ श्रोताओं के इतिहास में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा। रामेश्वर वर्णवाल और नंदा लाल सिन्हा को क्या पता था उनका एक छोटा सा काम उनके गाँव झुमरी तलैया के नाम को कितना ऊंचा बना देगा।
आज झुमरी तलैया वह नाम है जिसका नाम बॉलीवुड तक पहुंच गया है। फिल्म निर्माताओं को यह नाम इतना पसंद आया कि फिल्मों के संवादों और गीतों में झुमरी तलैया नाम खूब इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष 1968 में रिलीज होने वाली फिल्म ‘हसीना मान जाएगी’ एक गीत ‘झुमरी तलैया जाऊंगी सैंया तोरे कारण’ खूब पसंद किया गया। इसी तरह वर्ष 1975 में रिलीज होने वाली फिल्म ‘मोंटो’ में भी ‘झुमरी तलैया से आई’ गीत लोकप्रिय रहा। कुछ समय पूर्व कैटरीना की फिल्म ‘जग्गा जासूस’ के एक गीत में झुमरी तलैया का नाम लोगों में चर्चा का विषय बना।