क्या आप भी उन दुकानदारों में से हैं जो पूरी श्रद्धा के साथ दूकान में कदम रखते ही सबसे पहले देवी-देवताओं को नमन-पूजन कर के शुभ वातावरण रखने में विश्वास करते हैं? अगर ऐसा है तो आज हम आपके लिए लाए हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ।
दुकान में किन देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखें?
दुकान में गणेश भगवान की प्रतिमा बहुत ही शुभ मानी जाती है और चूँकि उनको विघ्न-बाधा दूर करने वाला देवता भी माना जाता है, अतः आप अपने प्रतिष्ठान में गणेश भगवान और लक्ष्मी माता की मूर्ति या फोटो अवश्य लगायें। दूकान में कदम रखते ही सबसे पहले शुद्ध मन से आप उन्हें नमन करें और धूपबत्ती जला कर वातावरण को सुगन्धित एवं पवित्र करें।
इससे आपके प्रतिष्ठान में सकारात्मकता का वास रहेगा। जहाँ सकारात्मक ऊर्जा होती है, देवता भी वहीँ वास करते हैं और लक्ष्मी जी सदैव बनी रहती हैं। यदि आपको अपने कुल-देवता के बारे में पता हों तो उनका भी चित्र या मूर्ति पूरी श्रद्धा के साथ अपने प्रतिष्ठान में अवश्य रखें जो कि आप लिए विशेष फलदायी होगा।
बहुत बड़े चित्र और मूर्तियाँ रखना अच्छा नहीं माना जाता है। इसके लिए नियम यह है कि अपने हाँथ की हथेली से बड़े चित्र नहीं होने चाहिए और देव मूर्ति भी ऐसी चुनें जो आपके अंगूठे के आकर से ज़्यादा बड़ी ना हो। हर नियम के पीछे कोई ना कोई वैज्ञानिक आधार ज़रूर होता है, इसके पीछे भी अवश्य ही होगा।
संभवतः ऐसा फ़िज़ूलख़र्ची रोकने के लिए और ज़्यादा दिखावेबाजी ना हो, इसलिए होगा क्योंकि भगवान तो भाव के भूखे हैं ना कि दिखावे के और सरल भाव से की गयी प्रार्थना ज़्यादा फलदायी होती है।
अपने प्रतिष्ठान में मूर्ति को कहाँ रखें?
वास्तु के अनुसार, देवी-देवताओं के चित्र या मूर्तियाँ उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण में लगायी जानी चाहिए, जिससे आपकी दूकान में दिव्यता और सकारात्मक वातावरण बना रहे। इसलिए आपको भी इसी प्रकार अपने आराध्य देवी-देवताओं के चित्रों या मूर्तियों को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
यह भी ध्यान रखें कि देव मूर्ति के आस-पास गंदगी ज़रा भी ना हो क्योंकि देवता वहीं वास करते हैं जहाँ साफ-सफाई और शुद्ध वातावरण रहता है। दुकान के अंदर अपना आसन ऐसा रखें कि आपका मुँह हमेशा उत्तर या पूर्व की ओर रहे।
दिन में एक या दो बार कपूर या लोबान जला कर वातावरण सुगन्धित करें, इससे पवित्र ऊर्जा आकर्षित होती है और ऐसा करने से नकारात्मकता भी दूर हो जाती है। पूजा की जगह पर कोई भी भारी वस्तु नहीं रखी जानी चाहिए क्योंकि पूजा घर से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और भारी-भरकम वस्तुओं से ऊर्जा की हानि होती है।
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि दूकान के सात्विक कोने यानि पूजा स्थल में कभी भी अँधेरा ना रहने दें क्योंकि अँधेरा नकारात्मकता का प्रतीक होता है। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आपके प्रतिष्ठान के पूजा घर में या उसके आस-पास सीलन बिल्कुल भी ना हो जो कि वास्तु-शास्त्र के अनुसार बहुत अशुभ मानी जाती है।
प्रतिष्ठान में किस तरह की तस्वीरें या मूर्तियाँ ना लगायें?
अभी हमने आपको जानकारी दी कि प्रतिष्ठान में किन देवी-देवताओं की मूर्तियाँ लगाना शुभ रहता है परन्तु साथ में यह भी जानना महत्वपूर्ण होता है कि किन देवी-देवताओं की मूर्तियाँ आपको दूकान में नहीं लगानी चाहिए। गणेश भगवान और लक्ष्मी जी की मूर्ति लगाना अत्यंत शुभ होता है परन्तु ध्यान रहे कि आप उनकी बैठी हुई तस्वीर या मूर्ति ना लगायें।
बैठे हुए देवता उस गुण के भी बैठ जाने या कम हो जाने का प्रतीक होते हैं जिस गुण के वो देवता हैं। उदहारण के लिए कुबेर जी की बैठी हुई मूर्ति का अर्थ है धन-संपत्ति का बैठ जाना यानि कम हो जाना। इस तरह से उपरोक्त बातों का ध्यान रख कर आप प्रतिष्ठान में उचित जगह पर अपना पूजा स्थल बनायें और उसमें सही ढंग से देव-मूर्तियाँ या चित्र सजाएं, आपको इससे अभीष्ट लाभ ज़रूर होगा।