जैसा कि आप जानते हैं की भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य कहे गए हैं। किसी भी मंगल कार्य या अपनी दैनिक पूजा में हमें सबसे पहले श्री गणेश भगवान का स्मरण और पूजन करना चाहिए। भगवान गणेश ना केवल विघ्नहर्ता है पर वह बुद्धि के भी देवता हैं। श्री गणेश की पूजा और ध्यान मात्र से हमारे सारे क्लेश दूर होते हैं और वह हमारी बुद्धि का भी विकास करते हैं।
आइए देखें कि यदि आप दूकान में गणेश जी की आराधना करने के लिए मूर्ति रख रहे हैं तो उनकी मूर्ति किस तरह की होनी चाहिए।
दुकान के लिए गणेश जी की सूंड किस तरफ अच्छी होती है
आपने अक्सर ही लोगों को यह चर्चा करते सुना होगा कि गणेश जी की मूर्ति या चित्र में उनकी सूंड किस तरफ होनी चाहिए। दाहिनी तरफ की ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणपति को सूर्य के प्रभाव वाले गणपति माना जाता है। ऐसा माना जाता है की दाहिनी ओर की सूंड वाले गणपति सिद्धि विनायक हैं।
बाई तरफ मुड़ी हुई सूंड वाले गणपति चंद्र के प्रभाव वाले कहे जाते हैं और ऐसा स्वरूप विघ्न-विनाशक माना गया है जिन्हें सिद्धिविनायक भी कहा जाता है। ऐसी प्रतिमा वाले गणेश जी जल्दी ही प्रसन्न होने वाले माने गए हैं। सूंड के महत्व का निर्धारण स्वर विज्ञान के हिसाब से किया गया है।
अधिकतर लोगों का मानना है कि दाई ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणपति दुकान में स्थापित नहीं करने चाहिए। इस प्रकार के गणपति की प्रतिमा सिर्फ मंदिरों में स्थापित करनी चाहिए क्योंकि इनकी नियमित और पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना होनी चाहिए जो कि सिर्फ मंदिरों में ही हो सकती है।
ऐसे गणपति कीआराधना से आप दुश्मनों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और शक्ति प्रदर्शन के कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं, तो आप इसका अवश्य ही ध्यान रखें। बाई दिशा की ओर घूमी हुई गणपति जी की प्रतिमा या चित्र हमें अपने दुकान और कार्यस्थल में स्थापित करनी चाहिए।
इनकी पूजा आराधना से व्यापार स्थल में वृद्धि होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। ऐसी मूर्ति की पूजा करने से आप में बुद्धि का विकास होता है और आपकी रचनात्मकता बढ़ती है। व्यापार स्थल के लिए आपको यह भी कोशिश करनी चाहिए कि गणपति जी का स्वरुप खड़ा हुआ ना हो और 12 अंगुल या उससे छोटा ही हो।
यह ध्यान रखें कि कभी भी गणेश जी का स्वरूप खड़ा हुआ नहीं होना चाहिए क्योंकि यह गणपति के रौद्र रूप को दिखाता है। आपको इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गणपति जी के एक हाथ में मोदक और उनका दूसरा हाथ आशीर्वाद देता हुआ हो।
दुकान में मंदिर का मुख किस दिशा में होना चाहिए
आपकी दुकान में आपको मंदिर की एक निश्चित जगह भी बनानी चाहिए। दुकान में मंदिर रखने या बनाने के लिए उत्तर या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) की दिशा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि गलत दिशा में किसी वस्तु को रखने, विशेषकर कि मंदिर को गलत दिशा में रखने से फायदे की बजाय नुकसान भी हो सकता है और कई प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए इस वास्तु विज्ञान का ध्यान रखें और मंदिर को दिशा नाप कर के सही दिशा में रखें।
कौन सी गणेश मूर्ति व्यवसाय के लिए अच्छी है?
जब आप गणपति जी के चित्र या मूर्ति में उनकी सूंड की दिशा निर्धारित करना चाहते हैं तो आप उनके सामने मुख करके खड़े हो जाएं और अब जिस स्वरुप में सूंड आपके दाहिने हाथ की ओर हो, वह गणपति जी के उल्टे हाथ की तरफ होगी। ऐसी ही प्रतिमा या चित्र को आप अपने व्यवसाय स्थल पर स्थापित करें।
यदि आपने दाएं दिशा की ओर वाले गणपति अपने दुकान में स्थापित करें हैं तो आपके व्यापार से जो भी पैसा आएगा वह टिकेगा नहीं। ऐसा हुआ तो पैसा आएगा और तुरंत ही चला भी जाएगा। आपको इस बात का भी विशेष ध्यान रखना है कि आपकी दुकान के मंदिर में जब आप गणपति जी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर रहे हैं तो उनका मुख दक्षिण दिशा की तरफ बिल्कुल भी ना हो।
ऐसी सूंड वाले गणपति हठी स्वभाव के माने गए हैं और उनका पूजन पूरे नियम से होना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके कर्मचारियों में हमेशा अनबन बनी रहेगी। यदि आप गणपति जी की मूर्ति मुख्य द्वार पर स्थापित करना चाहते हैं तो आप उन्हें दरवाजे के ऊपर स्थापित कर सकते हैं।
उनका मुख आपके घर के अंदर की ओर हो क्योंकि कई लोगों का मानना है कि गणेश जी की पीठ की तरफ दरिद्रता निवास करती है। अतः आप अंदर की ओर से उनकी पीठ की तरफ एक और गणपति की मूर्ति या चित्र स्थापित कर सकते हैं, परंतु सबसे अच्छा यह माना गया है कि उनकी प्रतिमा की जगह उनका प्रतीक चिन्ह दरवाजे पर स्थापित किया जाए। जी हां, आप अपने ऑफिस या दुकान के दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बना सकते हैं। यह ना केवल आपके व्यापार को शुभता देगा बल्कि उस जगह के वास्तु दोष को भी खत्म करेगा।
सीधी सूंड के गणेश जी कैसे होते हैं?
ऐसा माना जाता है कि सीधी सूंड वाले गणेश जी यह दर्शाते हैं कि हमारे शरीर के सारे चक्र पूरे संतुलित है। भगवान गणेश मूलाधार चक्र के स्वामी हैं, इसलिए सीधी सूंड वाले गणेश जी की पूजा अक्सर वही लोग करते हैं जिन्होंने कम से कम अपने मूलाधार चक्र को संतुलित कर लिया हो यानी ये पूजा वे लोग करें जो सिद्ध पुरुष हों तो और भी अच्छा फल मिलेगा। यदि आप अपने घर या व्यापार स्थल पर सीधी सूंड वाले गणेश जी की स्थापना करते हैं और उनकी पूजा करते हैं तो उस जगह पर पूरा वातावरण संतुलन में रहेगा।
ऑफिस में गणेश जी की मूर्ति कहां लगाएं?
श्री गणेश जी की मूर्ति किसी भी जगह के वास्तु को भी ठीक करती है। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि हम यह ध्यान रखें कि कहां और किस प्रकार की गणेश जी की मूर्ति हमें स्थापित करनी है। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र की माने तो अलग-अलग रंगों और अलग-अलग प्रकार की मूर्तियां विभिन्न वास्तु दोषों को दूर कर हमारे सौभाग्य को बढ़ाती है।
आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि बहुत सारे गणपति की मूर्तियां या चित्र एक साथ एक स्थान पर ना रखें। यदि आप श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं तो वह एक फुट से बड़ी ना हो। पीले या सिंदूरी रंग के गणपति की प्रतिमा बहुत ही शुभ मानी जाती है।
दरवाजे पर गणेश जी की मूर्ति क्यों लगाते हैं?
आपके घर के मुख्य द्वार से ही आपके घर में सुख शांति और समृद्धि प्रवेश करती है। आप के मुख्य द्वार से ही आपके घर में दुख तकलीफ भी आते हैं इसलिए आप अपने घर के मुख्य द्वार को शुभ और स्वच्छ रखें। यदि आप ऐसा करते हैं तो हमेशा सकारात्मक ऊर्जा ही आपके घर में प्रवेश करेगी।
शास्त्रों के अनुसार यदि आप अपने मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं तो ऐसी ही शुभता आपको भी मिलेगी और आप विघ्न बाधाओं से बचे रहेंगे। आपके घर में शुभता आए और संकट दूर रहे इसीलिए आप अपने घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर लें क्योंकि गणेश जी की पीठ की ओर दरिद्रता वास करती है और उनके पेट में संपन्नता होती है तो आप जब भी अपने मुख्य द्वार पर गणेश जी का चित्र लगाएं तो सुनिश्चित करें कि उनका स्वरूप बैठा हुआ हो, उसे घर के अंदर की ओर मुख करते हुए ही स्थापित करें।
ऐसा करने से बाहर निकलते वक्त आप गणपति के दर्शन करते हुए निकलेंगे और आपके घर में सभी शुभ कार्य निर्विघ्न रुप से संपन्न होंगे। यदि आप इन सब बातों का ध्यान रखेंगे तो निश्चय ही आपकोअपने व्यापार को बढ़ाने और सफलता हासिल करने में सहायता मिलेगी।
भगवान गणेश अपने भक्तों के विघ्नों का हरण कर के उनको सुख और समृद्धि भरा जीवन प्रदान करते हैं, तो ऐसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देवता की आप विधि-विधान से अपनी दूकान में प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें, वो आपको व्यापार में अवश्य लाभ प्रदान करेंगे।