भगवान विष्णु पूरे ब्रम्हांड के पालनहार माने जाते हैं और जो शक्ति पूरे संसार को चलाती है, उससे आप कुछ भी छुपा नहीं सकते, इसलिए भगवान विष्णु की जो भी पूजा आप करें वो सच्चे ह्रदय और साफ़-सुथरे मन से ही होनी चाहिए। उनके साथ आप माँ लक्ष्मी की भी पूजा करें तो और भी बढ़िया यानी सोने पे सुहागा है।
भगवान की सच्ची पूजा के लिए उन को मंहगे पदार्थों के भोग लगाया जाए या सोने-चांदी की मूर्तियां हों, यह आवश्यक नहीं है। श्री हरी भगवान विष्णु के साथ उनकी अर्धांगिनी देवी लक्ष्मी जी की भी मूर्ति आप अवश्य लगायें क्योंकि वो उनकी अर्धांगिनी हैं। आइए, इस बारे में समझते हैं कि इससे सम्बंधित प्रचलित मान्यतायें और प्राचीन ग्रन्थ क्या कहते हैं?
विष्णु भगवान की कौन सी मूर्ति घर में रखनी चाहिए?
घर में रखने के लिए भगवान विष्णु की मूर्ति कैसी हो, इस को समझने के लिए आप भगवान विष्णु के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को समझें, विशेषकर जो वस्तुएँ उन्होंने अपने हाँथ में पकड़ी हुई हैं, वो हर चीज़ उनकी एक विशेष शक्ति को दर्शाती है।
भगवान विष्णु की मूर्ति के ऊपर वाले, दायें वाले हाँथ में जो सुदर्शन चक्र है वो इस ब्रम्हांड में उनकी सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है क्योंकि सुदर्शन चक्र सभी देवों के अस्त्रों में से सर्वोच्च है, जो आसुरी शक्तियों से धर्म को संरक्षित रखती है। ये सबसे निकृष्टम पापियों यानी राक्षसी ताकतों के लिए है जिनका वो अंत कर देते हैं।
उनके नीचे वाले दायें हाँथ में जो गदा (यानी दंड का प्रतीक) है वो एक ऐसा हथियार है जो हर छोटी बड़ी बाकी बुराइयों के लिए है और संसार में अनुशासन कायम रखता है। यह बिलकुल ठीक उसी तरह है जैसे कोई मास्टर जी अपने बदमाश छात्रों को पिटाई करके अनुशासन कायम रखते हैं।
उनके ऊपर वाले बायें वाले हाँथ में शंख किसी विशेष शुरुआत को दर्शाता है क्योंकि हिन्दू धर्म में कोई भी विशेष कार्य शुरू करने के पहले शंख बजा कर घोषित करने का नियम है। कई लोग शंख को केवल एक युद्ध की चेतावनी देने वाला यंत्र मानते हैं पर ऐसा माना जाता है कि विष्णु भगवान के इस शंख को पांचजन्य कहते हैं और ये युग परिवर्तन का भी एक तरह का बिगुल है। उन्होंने अपने नीचे वाले बायें हाँथ में जो कमल का पुष्प पकड़ा हुआ है, वह आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है।
विशेषज्ञों के अनुसार, घर में रखने के लिए भगवान विष्णु की पीतल धातु की मूर्ति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है क्योंकि वह पीली धातु की होती है और भगवान विष्णु को पीला रंग सबसे प्रिय होता है। आप भगवान की मूर्ति को केवल मंदिर में ही रखें क्योंकि भगवान की मूर्ति पूजा के लिए होती है और यह कोई शो पीस नहीं है।
ध्यान रहे, आप ऊपर लिखी हुई चारों वस्तुओं के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति पूजा कमरे में रख सकते हैं परंतु सुदर्शन चक्र से किसी दैत्य का वध करते हुए मूर्ति या फोटो अपने घर में कहीं भी ना रखें क्योंकि वो भगवान का रौद्र रूप है जो कि घर-परिवार के लिए अच्छा नहीं माना जाता और मनोविज्ञान की कसौटी पर देखें तो भी अच्छा नहीं माना जा सकता।
श्री हरी भगवान विष्णु की एक अन्य मूर्ति जो घर के मंदिर के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है वो है शेषनाग के फन वाले सिंहासन पर विश्राम करते हुए भगवान की छवि। यह भगवान का शांत स्वरुप है जो आपको मन को शांति और स्थिरता प्रदान करेगा।
लक्ष्मी जी की मूर्ति किस प्रकार की घर के लिए अच्छी है?
लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं और ऐसा माना जाता है कि वह ही श्री हरी भगवान विष्णु की सक्रिय शक्ति हैं। उनकी कृपा और आशीर्वाद से लोगों को धन-धान्य और संपत्ति प्राप्त होती है। इसलिए उनकी चार भुजाओं में से दो हाथों से धन निकलता दीखता रहता है।
लक्ष्मी माता की चार भुजाएँ, वेदों में वर्णित मनुष्यों के चार मूल कर्तव्यों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को भी दर्शाती हैं। आप ये सुनिश्चित करें कि लक्ष्मी माता की मूर्ति कमल पर आराम से बैठी हुई अवस्था में दिखे। खड़ी हुई अवस्था में लक्ष्मी माँ की मूर्ति इसलिए अच्छी नहीं होती क्योंकि पुराने ग्रंथों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी (यानि धन-संपत्ति) चलायमान होती हैं।
इसका अर्थ यह है कि चंचल स्वाभाव का होने के कारण वो एक जगह आसानी से टिकती नहीं हैं, इस कारण आप भी उनकी बैठी हुई मूर्ति ही अपने घर में रखें, जिससे आपके घर में धन-संपत्ति टिक कर के लंबे समय तक रहे।
गणेश भगवान लक्ष्मी जी के दत्तक पुत्र माने जाते हैं और आम तौर पर लक्ष्मी माता के साथ गणेश जी की मूर्ति रखी जाती है। आप गणेश जी की मूर्ति को लक्ष्मी जी की मूर्ति के बायीं ओर रखें। हर शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है और फिर लक्ष्मी जी की भी पूजा और आरती होती है।
दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा कैसे करें
कुछ त्योहारों पर तो विशेष मुहूर्तों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती। दीपावली पर जो लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों का जोड़ा लोग खरीद कर लाते हैं उसको बहुत शुभ माना जाता है, उनकी विशेष पूजा होती है और हर साल पुरानी मूर्तियां नदी में प्रवाहित कर के (या पीपल के पेड़ के नीचे मिट्टी में गाड़ कर के) धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश की नयी मूर्तियां घर में लाने का रिवाज़ लगभग हर हिन्दू परिवार द्वारा माना जाता है।
इसके अलावा शेषनाग पर लेटे हुए भगवान विष्णु के पैरों को दबाती हुईं लक्ष्मी जी की फोटो भी आप अपने पूजा कमरे में रख सकते हैं, जो बहुत शुभ माना जाता है और इससे परिवार में खुशहाली बढ़ती है।
आप अपने पूजा घर में श्री हरी भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की फोटो या मूर्तियां चाहे किसी भी कीमती धातुओं की रखें या साधारण मिट्टी की, ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि उन मूर्तियों की पूजा भावपूर्ण भक्ति से की जानी चाहिए, क्योंकि वो कहावत है ना कि अगर आप ना मानो तो भगवान की मूर्ति भी पत्थर ही है और अगर मानो तो उस पत्थर में भी भगवान हैं।
ईश्वर की दृष्टी हम सब पर एक सामान रूप से होती है। इस तरह से आप के द्वारा सच्चे मन से अपने पूजा कमरे में श्री हरी भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की मूर्ती या तस्वीर लगा कर पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।