शाम को किसी भी समय की गयी पूजा-अर्चना का वह प्रतिफल प्राप्त नहीं होता जो ज्योतिष शास्त्र में बताये गये उचित समय पर की गयी पूजा-पाठ से मिलता है। शाम को ठीक समय पर किये गये पूजन अथवा ईश- वंदना से हम वह सब कुछ पा सकते हैं जो हमारी अन्तर्मन की कामना होती है।
क्योंकि ऐसा माना जाता हैं कि शास्त्रों में वर्णित पूजन के समय में भक्ति करने से प्रभु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पंडित गिरधर गोपाल शास्त्री के अनुसार शास्त्रों द्वारा निर्धारित पूजा-काल के समय में ईश्वर भक्तों के लिये ही उपस्थित रहते हैं। इसलिए उचित समय की आराधना को चमत्कारिक प्रभाव वाला बताया गया हैं।
जो मांगेंगे वह मिलेगा। आपको बस ध्यान रखना होगा कि सायंकाल के पूजन को बिल्कुल उचित समय पर किया जाये। इसलिए पूजा-पाठ में रुझान रखने वाले व्यक्तियों को शाम की पूजा का समय अवश्य जानना चाहिए।
शाम को पूजा करने का वास्तविक समय क्या है यह आज हम आपको बतायेंगे। कहते हैं कि शाम को समयानुसार पूजन करना हमारे सोये हुये भाग्य को जगा सकता है। इसलिए आइये जानते हैं कि शाम के पूजा के सही समय को लेकर आध्यात्मिक पंडित क्या कहते हैं।
क्यों है शाम की पूजा विशेष
शास्त्रों के अनुसार सुबह की पूजा जहाँ ईश्वर को प्रसन्न करने के लिये की जाती है तो वहीं शाम की पूजा से जहाँ घर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है साथ ही उससे आवास की आसुरी शक्ति का पूर्णतया नाश होता है। सायंकाल की पूजा से घर में बुरी आत्मा का वास नहीं होने पाता, इसलिए घर के मंदिर में शाम को दीपक जलाना, भजन -आरती आदि करना हमारे जीवन में मंगल कारी समय लाता है।
जिसके परिणाम स्वरूप आपके घर में सुख-शांति और समृध्दि का आगमन होता है। पंडित गिरधर गोपाल शास्त्री का कहना है कि जीवन की व्यस्तता में यदि प्रातःकाल की पूजा करने में असमर्थ हों तो सायंकाल को घर में दिया-बाती अवश्य करना चाहिए। क्योंकि शाम को घर के मंदिर में जगमगाने वाले दीपक का प्रकाश आपके उन्नति के मार्ग को उज्जवल कर देता है।
शाम की पूजा का सही समय क्या है?
शास्त्रों में शाम के पूजन को सूर्यास्त के बाद करना उचित बताया गया है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि सूर्य के डूबने के पश्चात के समय को पूजा-पाठ के लिए सही समय बताया गया है। हम यह भी कह सकते हैं जब दिन समाप्त हो रहा हो और रात के आगमन की शुरुआत हो तो यह समय पूजन के लिये सर्वोत्तम है।
जब रात और दिन दोंनो समय मिल रहें हों तो उस समय हमें पूजा करनी चाहिये। यह समय जाड़ा, गर्मी आदि भिन्न-भिन्न मौसम में अलग-अलग हो सकते हैं। सामान्य रूप से सायंकाल को पूजन का समय शाम 6 बजे से 7 बजे के मध्य बताया गया है।
असमय पूजा करने से हो सकता है अनर्थ
शास्त्रों का कथन है कि असमय पूजा करने से अपेक्षित प्रतिफल नहीं मिलता बल्कि कभी-कभी गलत समय पर पूजा करने पर उल्टा प्रभाव भी देखने को मिलता है। इसलिए किसी भी समय पूजा पाठ करने से बचना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार दोपहर 12 से 3 बजे का समय भगवान के विश्राम करने का समय माना गया है।
अतः इस समय को पूजा करने के लिए वर्जित बताया गया है। आरती के पश्चात पूजा नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि इस समय पूजा करने से उसका लाभ नहीं मिलता। असमय पूजा करने से अच्छा है कि पूजा सही समय पर की जाये,अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि होने की संभावना बनी रहती है।